पत्रकारों से भड़के कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जैस्वाल, झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई पर धमकी दी
Chhattisgarh Raj Utsav: छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदाबाजार भाटापारा जिले के राज उत्सव कार्यक्रम (Raj Utsav Program) में एक हैरान कर देने वाला वाकया सामने आया, जब राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जैस्वाल ने पत्रकारों के सवालों पर बुरी तरह से गुस्से का इज़हार किया और उन्हें धमकी दी। यह घटना उस वक्त हुई जब स्वास्थ्य मंत्री झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे। इससे पहले जब 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस समारोह में कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जैस्वाल से झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया था जिसपर कार्यवाही करने की बात कही गयी थी।
कैबिनेट मंत्री ने पत्रकारों को मानहानि केस की दी धमकी
दरअसल, छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदाबाजार भाटापारा जिले में झोला छाप डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना को लेकर मंत्री से पत्रकारों ने सवाल पूछे थे। इस दौरान कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जैस्वाल के गुस्से का सामना पत्रकारों को करना पड़ा, जब उन्होंने झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के मसले को लेकर और कार्यवाही नहीं करने के लिए अधिकारियों द्वारा की जा रही वसूली के सवाल पूछे गए सवालों पर मंत्री तुरंत भड़क गए और जवाब देते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री व स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भड़क गए, उन्होंने पत्रकारों को मानहानि और कार्रवाई की धमकी देने लगे। मंत्री ने पत्रकार से सबूत मांगा और कहा मैं आपके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दूंगा।” मंत्री ने कहा कि सबूत हो तो सवाल करो मैं कार्यवाही करूँगा नही तो सवाल पूछने पर मैं उल्टा आपके ऊपर मानहानि का केस करूँगा। आगे कहा कि मीडिया को इन मुद्दों पर समझदारी से रिपोर्ट करनी चाहिए, न कि गलत जानकारी फैलानी चाहिए।
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छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री व स्वास्थ्य मंत्री @ShyamBihariBjp भड़क गए, उन्होंने पत्रकारों को मानहानि और कार्रवाई की धमकी देने लगे। मंत्री ने पत्रकार से सबूत मांगा और कहा मैं आपके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दूंगा..
कैसे साहब अब पत्रकार सवाल भी न करे? @ChhattisgarhCMO pic.twitter.com/Re6nVxw50M
— Chhattisgarh Talk (@ChhatisgarhTalk) November 6, 2024
मंत्री का यह गुस्सा उस समय बढ़ गया जब पत्रकारों ने उनसे कार्रवाई के कारणों और असर को लेकर सवाल किए। मंत्री ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए कहा कि यदि पत्रकारों ने खबर का गलत रूप पेश किया तो वे खुद को अदालत में खड़ा कर देंगे।
भारत में सवाल पूछने का अधिकार संविधान द्वारा सभी नागरिकों को दिया गया है। यह अधिकार मुख्य रूप से संविधान की धारा 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and Expression) के अधिकार के तहत आता है। यह अधिकार लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नागरिकों को सरकार और समाज के कार्यों पर निगरानी रखने और अपनी चिंताओं को उठाने की अनुमति देता है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद कई पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों ने मंत्री के इस व्यवहार की आलोचना की है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व पत्रकार संगठन ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताते हुए विरोध दर्ज किया। उनका कहना था कि किसी भी मंत्री का इस तरह का व्यवहार न केवल पत्रकारिता के स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि यह लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ भी है।
राज्य में झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई की प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार लगातार दबाव में है, खासकर तब जब इन डॉक्टरों के कारण कई मरीजों की जान खतरे में पड़ी थी। यह मामला न केवल स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि मीडिया में भी चर्चा का विषय बन चुका है।
बताइए साहब कितने में हुआ समझौता? ना स्टेट कंट्रोल को जानकारी हैं और ना जिला प्रशासन को, छापा के नाम पर स्पेशल 26 मूवी जैसी दिखी कार्यवाही
अब देखना यह है कि कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी का यह विवादित बयान और उनके द्वारा दी गई धमकी, मीडिया और राजनीति में किस प्रकार की हलचल मचाती है?
पत्रकार को सवाल करने का अधिकार हैं?
भारत में पत्रकारों को भी सवाल पूछने का अधिकार है, और यह अधिकार संविधान द्वारा सुनिश्चित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (धारा 19) के तहत मिलता है। पत्रकारों का मुख्य कार्य सार्वजनिक सूचना जुटाना, जनहित के मुद्दों को उजागर करना और सरकारी कामकाजी व्यवस्था पर निगरानी रखना है। इस अधिकार के तहत, पत्रकार किसी भी व्यक्ति, संस्थान, या सरकारी अधिकारी से सवाल पूछ सकते हैं, बशर्ते वे यह सवाल निष्पक्ष, जिम्मेदारी और पेशेवर तरीके से करें। पत्रकारों का यह अधिकार लोकतंत्र की मूलभूत धारा है, जो उन्हें सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार जैसे मामलों पर प्रकाश डालने का अवसर देता है।
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पत्रकार को सवाल करने के लिए सबूत की आवश्यकता नहीं होती
पत्रकार को सवाल पूछने के लिए सिद्धांत रूप में सबूत की आवश्यकता नहीं होती। सवाल पूछने का उद्देश्य आमतौर पर सूचना प्राप्त करना या किसी मुद्दे पर स्पष्टता प्राप्त करना होता है, न कि किसी आरोप को साबित करना। हालांकि, जब पत्रकार किसी विशेष घटना या विवादित मुद्दे पर रिपोर्टिंग करते हैं, तो उन्हें उस विषय पर तथ्यों और साक्ष्यों की आवश्यकता हो सकती है, ताकि वे अपनी रिपोर्ट को सटीक और विश्वसनीय बना सकें।
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