राजकुमार मल/भाटापारा: बढ़ रही है तरबूज, खरबूज और ककड़ी में अंतर प्रांतीय मांग। इसलिए ऐसे हाइब्रिड बीज की मांग निकली हुई है, जिसकी फसल शीघ्र तैयार हो जाती है। नया बदलाव यह आया है कि बीज में तेज कीमत भी किसान स्वीकार कर रहे हैं।
Summer Session: बोनी का समय है तरबूज, खरबूज और ककड़ी की फसल के लिए। इस बरस रकबा में विशेष बढ़ोतरी की संभावना है क्योंकि खेतों में भी इन तीनों की फसल तैयार लिए जाने वाले बीज विकसित किये जा चुके हैं। कीमत ज्यादा जरूर है लेकिन बीज विक्रेता, कंपनियों से विकसित बीज की डिमांड कर रहे हैं क्योंकि रुझान ऐसे ही बीज में ज्यादा बना हुआ है।
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अंतर प्रांतीय और अंतरदेशीय मांग
Summer Session: कद्दूवर्गीय फसल लेने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ की पहचान इसलिए भी मजबूती से बनी हुई है क्योंकि निर्यात के लिए मांगी जाने वाली गुणवत्ता, यहां के तरबूज, खरबूज, ककड़ी और खीरा में भरपूर मिलती है। इसलिए दिल्ली, मुंबई और अरब देशों के लिए निर्यात करने वाले कारोबारी बोनी के समय ही अग्रिम सौदे कर लेते हैं। यही वजह है कि किसान ऐसे बीज की मांग कर रहे हैं, जो समय से पहले परिणाम और गुणवत्ता के मानक पूरा करने में सक्षम हैं।
नया परिवर्तन
नदीतट की रेतीली भूमि पर ली जाती है तरबूज और खरबूज की फसल। ऐसे बीज विकसित किये जा चुके हैं, जो खेत में भी बेहतर परिणाम देते हैं। यह नया बदलाव तरबूज, खरबूज और ककड़ी की खेती का रकबा बढ़ा रहा है। सब्जी की खेती करने वाले किसान भी इसकी खेती कर रहें हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि अपेक्षित मांग भी पूरी की जा सकेगी और बेहतर कीमत भी मिलेगी।
मंजूर है यह भाव
तेज है तरबूज बीज की कीमत लेकिन मंजूर है 10 ग्राम बीज के लिए 240 रुपए का लिया जाना। इसी तरह हाईब्रिड क्वालिटी के खरबूज के बीज भी 10 ग्राम के पाउच में 60 रुपए में खरीद रहे हैं किसान तो 10 ग्राम वजन में ककड़ी के बीज 20 रुपए में लिए जा रहे हैं। रहती थी कभी लोकल बीज की मांग खीरा में लेकिन अब इसमें भी हाईब्रिड बीज मांगे जा रहे हैं। ऐसे में संस्थानों से 10 ग्राम के पाउच 20 रुपए में उपलब्ध हो रहे हैं।
65 दिन में तैयार
कद्दूवर्गीय फसलें 65 दिन में तैयार हो जातीं हैं। विकसित बीजों की बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें खेतीहर भूमि में बोया जा सकता है। यह परिवर्तन किसान और बाजार, दोनों के लिए सुखद है। – डॉ अमित दीक्षित, डीन, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सांकरा, दुर्ग