अरुण पुरेना, बेमेतरा। आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास और शासकीय योजनाओं के त्वरित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे “धरती आबा जनभागीदारी अभियान” के अंतर्गत नवागढ़ विकासखंड के ग्राम बोईकछार में आयोजित होने वाला शिविर अब एक दिन आगे बढ़ा दिया गया है। पहले यह शिविर 23-24 जून को प्रस्तावित था, जिसे अब अपरिहार्य कारणों से 24 एवं 25 जून 2025 को आयोजित किया जाएगा। इस संबंध में जानकारी जिला आदिम जाति विकास विभाग के सहायक आयुक्त अभिषेक जायसवाल ने दी।
धरती आबा अभियान बेमेतरा जिले में 15 जून से 30 जून तक पूरी सक्रियता के साथ संचालित हो रहा है। इस अभियान के माध्यम से भारत सरकार की मंशा है कि आदिवासी बहुल इलाकों में रहने वाले हर पात्र व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ बिना किसी रुकावट के पहुंचे। उद्देश्य साफ है — “आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को शासन की प्रत्येक सुविधा का लाभ मिले।”
धरती आबा अभियान : चार आदिवासी बहुल गांवों में हो रहा विशेष आयोजन
बेमेतरा जिले के चार प्रमुख आदिवासी बहुल ग्रामों को इस अभियान के लिए विशेष रूप से चयनित किया गया है—
ग्राम झालम (जनपद बेमेतरा)
ग्राम बुड़ेरा (जनपद साजा)
ग्राम कोरवाय (जनपद साजा)
ग्राम बोईकछार (जनपद नवागढ़)
इन गांवों में दो-दिवसीय शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जहां पंचायत भवनों अथवा शासकीय परिसरों को सेवा केंद्र के रूप में तब्दील किया गया है।
धरती आबा अभियान : एक ही स्थान पर मिल रही हैं बहुविध सेवाएं
धरती आबा शिविरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन शिविरों में आम जनता को एक ही छत के नीचे विभिन्न विभागों की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, स्वास्थ्य परीक्षण, पीएम आवास, वनाधिकार पत्र, आयुष्मान कार्ड, श्रमिक पंजीयन, वृद्धावस्था/विकलांग पेंशन, उज्ज्वला योजना, स्वरोजगार योजनाएं आदि शामिल हैं।
धरती आबा अभियान : झालम शिविर से हुई शुरुआत, लोगों में दिखा उत्साह
इस अभियान की शुरुआत 16 एवं 17 जून को ग्राम झालम से हुई, जहां बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लेकर योजनाओं का लाभ उठाया। शिविर में विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने मौके पर मौजूद रहकर दस्तावेजों की जांच, आवेदन की प्रक्रिया एवं तत्काल लाभ वितरण सुनिश्चित किया।
प्रशासन की पूरी निगरानी, जनसुनवाई भी हो रही
धरती आबा शिविरों की निगरानी स्वयं प्रशासनिक अधिकारी कर रहे हैं। प्रत्येक शिविर स्थल पर जनसुनवाई की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें ग्रामीण अपनी समस्याएं सीधे अधिकारियों के समक्ष रख सकते हैं।
बोईकछार में भी बनेगा लाभ पहुंचाने का सेतु
अब बारी ग्राम बोईकछार की है, जहां 24-25 जून को आयोजित होने वाले शिविर में एक बार फिर प्रशासन आमजन से सीधे संवाद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि “कोई भी पात्र व्यक्ति योजनाओं से वंचित न रहे।”
धरती आबा अभियान आदिवासी समाज के साथ-साथ शासन-प्रशासन के बीच सेतु निर्माण का कार्य कर रहा है, जिससे ‘जनकल्याण’ की भावना को धरातल पर साकार किया जा सके। यह केवल एक शिविर नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और सहभागिता का उत्सव है।
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