poor quality vegetables: ऐसी सब्जियां भी खूब; जिम्मेदारों ने साधा मौन धड़ल्ले से बेची जा रही गुणवत्ताहीन सब्जियां

poor quality vegetables: ऐसी सब्जियां भी खूब; जिम्मेदारों ने साधा मौन धड़ल्ले से बेची जा रही गुणवत्ताहीन सब्जियां
poor quality vegetables: ऐसी सब्जियां भी खूब; जिम्मेदारों ने साधा मौन धड़ल्ले से बेची जा रही गुणवत्ताहीन सब्जियां

राजकुमार मल/भाटापारा: तय है सेल्फ लाईफ। नजर में रहती है गुणवत्ता। फिर भी कीमत कम करके बेची जा रहीं है गुणवत्ताहीन सब्जियां। कमोबेश आलू और प्याज में भी ऐसी ही शिकायतें आ रहीं हैं। निगरानी एजेसिंयों ने जिस तरह आंखें मुंदी हुई हैं इसलिए विवशता में ऐसी सब्जियां खरीद रहा है उपभोक्ता।

poor quality vegetables: मौसम सब्जियों का। तारीख शादियों के राजनैतिक और धार्मिक समारोह भी खूब हो रहे हैं। इसलिए सब्जियों में मांग का दबाव स्वाभाविक रुप से बढ़ा हुआ है। ऐसे में आपा-धापी के बीच हो रही खरीदी में ऐसी सब्जियां भी खूब खपाई जा रहीं हैं जिनकी गुणवत्ता खराब होने की स्थिति में आ चुकी होती है। शाम के वक्त लगने वाले सब्जी बाजार में यह गतिविधियां खूब देखी जा रही है।

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इनमें खूब

टमाटर, करेला, तुरई, मटर,गोभी, आलू, प्याज और लहसुन में सर्वाधिक शिकायतें आ रहीं है। जानकारी में होती है खराब होने की स्थिति, लेकिन ढेर की शक्ल में दिया जाकर बेचा जा रहा है। जल्दबाजी और भीड़ की वजह से दुकानदारों को पूरा मौका मिल रहा है। दूसरी वजह है सस्ता होना। ऐसी स्थितियां सहज ही उपभोक्ता खरीदी को बढ़ाने में सहायक बन रहीं हैं।

नजर अंदाज सुरक्षा को

खाद्य सामग्रियों को विक्रय करने की जगह स्वच्छ होनी चाहिए लेकिन मानने से इंकार कर रहीं हैं सब्जी दुकानें। खराब हो चुकी सब्जियों के निष्पादन के लिए सही उपाय डस्टबिन का होना अनिवार्य है लेकिन यह नजर नहीं आते। ऐसे में यत्र-तत्र फेंक दी जाती हैं। नालियों के किनारे नहीं लगाना है दुकानें। इसे लेकर भी चिंता नहीं जताई जा रही है।

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खामोश हैं जिम्मेदार

नगर पालिका प्रशासन और खाद्य एवं औषधि प्रशासन। समान रूप से इस तरह की अवैधानिक कारोबारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन जैसी खामोशी इन दोनों ने ओढ़ रखी है, उससे एक ही बात सामने आ रही है कि जांच और कार्रवाईयों को लेकर इच्छाशक्ति का अभाव है। जाने कब मौन टूटेगा? इंतज़ार कर रहा है उपभोक्ता।

 

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