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litchi fruit sale: भांसी पोरोकमेली मे लीची की बदौलत भीमा की कैसे बदली जिन्दगी? सीजन में लीची फल विक्रय से कृषक को हो रही है 08 से 10 हजार की रोज आमदनी

litchi fruit sale: भांसी पोरोकमेली मे लीची की बदौलत भीमा की कैसे बदली जिन्दगी? सीजन में लीची फल विक्रय से कृषक को हो रही है 08 से 10 हजार की रोज आमदनी
litchi fruit sale: भांसी पोरोकमेली मे लीची की बदौलत भीमा की कैसे बदली जिन्दगी? सीजन में लीची फल विक्रय से कृषक को हो रही है 08 से 10 हजार की रोज आमदनी

असीम पाल/ दंतेवाड़ा: अपने आकर्षक रंगत और विशिष्ट स्वाद के बलबूते लीची के फल सदैव पसंद किये जाते रहे है। वैसे तो लीची एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार फल है। इसमें कार्बोहाइड्रेट एंव कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा फास्फोरस, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, विटामिन-सी आदि भी पाये जाते हैं।

litchi fruit sale: इन्हीं गुणों के कारण लीची के फल भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाए हुए हैं। इस क्रम में बदलते समय के साथ जिले के कुछ उन्नतशील कृषकों का रुझान परंपरागत फसलों के अलावा बागवानी फसलों की ओर भी हो रहा है और वे आधुनिक कृषि तकनीक के साथ अन्य बागवानी फसल से जुड़ रहे है। इनमें एक नाम मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर स्थित ग्राम पोरो कमेली निवासी 37 वर्षीय श्री भीमा तेलाम का भी है। जिनके लगभग 2 एकड़ के भूमि में चटख फलों से लदे हुए लीची के पेड़ आने जाने वालों के लिए सहज ही आकर्षण का केंद्र है, और इस सीजन में बीमा के लिए अतिरिक्त आमदनी का जरिया बन चुके है। इस संबंध में भीमा बताते है कि लीची एक मीठा स्वादिष्ट फल है, जिसका छिलका लाल रंग का पाया जाता है। जिसके अंदर सफेद रंग का गूदा होता है जो बहुत ही मीठा होता है

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litchi fruit sale: उन्होंने आगे बताया कि 15 वर्ष पहले 10-12 लीची के पौधे बाहर से लाए थे और प्रायोगिक तौर पर अपनी भूमि में लगाकर भली-भांति देखरेख किया। फलस्वरूप 7 वर्ष के पश्चात लीची के पेड़ में फल आना प्रारंभ हुआ जिसे उन्होंने स्थानीय बाजारों में विक्रय करना शुरू किया और उन्हें शुरुआत में मई-जून के दो महीने में ही 60-80 हजार रुपए से ज्यादा की कमाई हुई और अब तो स्थिति यह है कि वे रोज सुबह अपनी धर्मपत्नी के साथ लीची को लेकर बचेली मुख्यालय मार्केट (बाजार) पर जाकर स्वयं 200 रूपये किलो पर विक्रय कर रहे है। जिससे उन्हें प्रतिदिन 7 से 10 हजार रूपये की आमदनी हो रही है और पिछले दो माह में लगभग 1 लाख की आमदनी हो चुकी है।

litchi fruit sale: उनका यह भी कहना है कि लीची के अधिक पेड़ों के मालिक किसान तो सीजन में 5 से 8 लाख तक भी कमा लेते हैं। लीची के फलों के बदौलत अपनी आर्थिक स्थिति में सुखद बदलाव के विषय में वह प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहते है कि वे परम्परागत कृषि तो करते ही है। लेकिन बड़ा बदलाव तो बागवानी कृषि से आया, इसके चलते अब तो उसने अपनी भूमि में उन्नत नस्ल के आम और अमरूद जैसे फलदार पेड़ों को भी लगाया है।

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litchi fruit sale: इस प्रकार उन्हें अब कृषि के गैर मौसमी दिनों में रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता। बागवानी कृषि का पुरजोर समर्थन करते हुए उनका मानना है कि समय की यही मांग है कि अधिक से अधिक कृषक गैर परम्परागत खेती में भी संभावनाएं तलाशें। क्योंकि कई वैकल्पिक कृषि क्षेत्र है जो अतिरिक्त आमदनी के स्रोत बन सकता है। जिस प्रकार भीमा तेलाम ने अपनी दूरदर्शिता से बागवानी कृषि में रूचि लेकर अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को नया मुकाम दिया है। इसे देखते हुए वह अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है।

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