Ganja seized : अंतराज्यीय गांजा तस्कर को पुलिस ने किया गिरफ्तार, कब्ज़े से गांजा भी किया जप्त

Ganja seized : अंतराज्यीय गांजा तस्कर को पुलिस ने किया गिरफ्तार, कब्ज़े से गांजा भी किया जप्त

Chhattisgarh Talk / कोण्डागांव न्यूज़ : छत्तीसगढ़ में आदर्श आचार संहिता लागू होने के पश्चात केशकाल थाना क्षेत्र में एसपी वाय. अक्षय कुमार के निर्देशन एंव पुलिस अनुविभागीय अधिकारी केशकाल भूपत सिंह धनेश्री के पर्यवेक्षण में लगातार आने जाने वाले गाड़ियों एवं संदिग्ध व्यक्तियों की जांच पड़ताल की जा रही थी।

17 अक्टूबर को मुखबीर से सूचना प्राप्त हुई कि विश्रामपुरी चौक के पास एक व्यक्ति काले रंग के बैग में अवैध मादक पदार्थ गांजा की बिक्री करने हेतु छिपाकर अपने पास रखा है एवं वहां से जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा है कि सूचना पर विश्रामपुरी चौक रवाना होकर चौक के पास खड़े संदेही को घेराबंदी कर पकड़कर उसका नाम पता पुछने पर उसके द्वारा अपना नाम नितेश जायसवाल पिता विनोद जायसवाल उम्र 23 वर्ष थाना कुण्डा जिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश का होना बताया गया एवं उसके कब्जे से बरामद काले रंग के बैग के अंदर रखे हुए 02 पैकेट जिसमें अवैध मादक पदार्थ गांजा कुल वजन 10. 420 किलोग्राम एवं आरोपी के कब्जे से एक विवो कम्पनी का मोबाईल नगदी रकम 1150 रूपये को जप्त कर आरोपी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 94 / 2023 धारा 20(ख) एनडीपीएस एक्ट कायम कर आरोपी को गिर कर न्यायिक रिमाण्ड पर भेजा गया है।

सम्पुर्ण कार्यवाही में थाना प्रभारी केशकाल आनन्द सोनी, सउनि मण्डल, प्र. आर. अजय बघेल, मनोहर निषाद, गिरजू मरकाम, दिनेश मरकाम, जितेन्द्र माहला की अहम भूमिका रही.

क्या है आदर्श आचार संहिता?

मुक्त और निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होती है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनावों को एक उत्सव जैसा माना जाता है और सभी सियासी दल तथा वोटर्स मिलकर इस उत्सव में हिस्सा लेते हैं। चुनावों की इस आपाधापी में मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने पक्ष में हवा बनाने के लिये सभी तरह के हथकंडे आजमाते हैं। ऐसे माहौल में सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल वोटर्स के बीच जाते हैं। ऐसे में अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को रखने के लिये सभी को बराबर का मौका देना एक बड़ी चुनौती बन जाता है, लेकिन आदर्श आचार संहिता इस चुनौती को कुछ हद तक कम करती है।

  • चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही यह लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है।
  • दरअसल ये वो दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है। इनका मकसद चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष एवं साफ-सुथरा बनाना और सत्ताधारी राजनीतिक दलों को गलत फायदा उठाने से रोकना है। साथ ही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना भी आदर्श आचार संहिता के मकसदों में शामिल है।
  • आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिये आचरण एवं व्यवहार का पैरामीटर माना जाता है।
  • दिलचस्प बात यह है कि आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है। यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनी और विकसित हुई है।
  • सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया कि क्या करें और क्या न करें।
  • 1962 के लोकसभा आम चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया। इसके बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में पहली बार राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे राजनीतिक दलों से इसका अनुपालन करने को कहें और कमोबेश ऐसा हुआ भी। इसके बाद से लगभग सभी चुनावों में आदर्श आचार संहिता का पालन कमोबेश होता रहा है।
  • गौरतलब यह भी है कि चुनाव आयोग समय-समय पर आदर्श आचार संहिता को लेकर राजनीतिक दलों से चर्चा करता रहता है, ताकि इसमें सुधार की प्रक्रिया बराबर चलती रहे।