छत्तीसगढ़ में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भर्ती पर विवाद, NHM विशेषज्ञों ने CGPSC नियमों का किया विरोध

छत्तीसगढ़ में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भर्ती पर विवाद, NHM विशेषज्ञों ने CGPSC नियमों का किया विरोध (Chhattisgarh Talk)
छत्तीसगढ़ में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भर्ती पर विवाद, NHM विशेषज्ञों ने CGPSC नियमों का किया विरोध (Chhattisgarh Talk)

Mental Health Jobs: छत्तीसगढ़ में PSC द्वारा क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट की भर्ती में स्थानीय योग्यता और अनुभव की अनदेखी पर NMHP कर्मियों ने जताया विरोध।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोक सेवा आयोग (PSC) द्वारा क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के 12 पदों पर की जा रही सीधी भर्ती को लेकर प्रदेशभर के जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत एनएचएम क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट में भारी नाराजगी है। स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाने वाले इन विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य की शैक्षणिक व्यवस्था को नजरअंदाज कर बाहरी योग्यता को मान्य किया गया है, जिससे राज्य के युवाओं और वर्षों से सेवा दे रहे मनोवैज्ञानिकों के साथ अन्याय हो रहा है।

छत्तीसगढ़ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भर्ती: राज्य की यूनिवर्सिटी में नहीं मिलती ‘क्लिनिकल साइकोलॉजी’ की अलग डिग्री

छत्तीसगढ़ के किसी भी विश्वविद्यालय में क्लिनिकल साइकोलॉजी में अलग से स्नातकोत्तर (Postgraduate) डिग्री उपलब्ध नहीं है। सभी विश्वविद्यालय केवल “मनोविज्ञान” (Psychology) में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करते हैं, जिसमें छात्र क्लिनिकल या एजुकेशनल साइकोलॉजी को एक विशिष्ट क्षेत्र (Specialization) के रूप में चुनते हैं। ऐसे में PSC द्वारा निर्धारित की गई योग्यता सीधे तौर पर राज्य के विद्यार्थियों को बाहर कर रही है।


छत्तीसगढ़ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भर्ती: CGPSC के विज्ञापन में अनुभव शून्य, वर्षों की सेवा पर उठे सवाल

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) के अंतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में पिछले 5 से 10 वर्षों से कार्यरत क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट PSC की इस भर्ती प्रक्रिया में अपने अनुभव के बावजूद खुद को पात्र मानने में असमर्थ पा रहे हैं।

चयन प्रक्रिया में अनुभव को वेटेज अंक (Weightage Marks) न दिए जाने से नाराज इन विशेषज्ञों ने रायपुर स्थित लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर समायोजन और अनुभव आधारित वरीयता की मांग रखी है।


🔴छत्तीसगढ़ में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट भर्ती क्या कह रहे हैं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट?

“हम वर्षों से मानसिक स्वास्थ्य सेवा दे रहे हैं। हम ही हैं जो आत्महत्या, अवसाद, तनाव और मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों को काउंसलिंग देकर जीवन की राह दिखा रहे हैं। अब जब स्थायी भर्ती हो रही है, तो हमारी योग्यता और अनुभव दोनों को दरकिनार किया जा रहा है। यह अन्याय है।” — एक जिला अस्पताल में पदस्थ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट


🧠 मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर असर की आशंका

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस भर्ती प्रक्रिया को योग्यता और अनुभव की कसौटी पर पुनः परिभाषित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में प्रदेश की मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर संकट में पड़ सकती हैं। वर्तमान में एनएचएम के अंतर्गत पदस्थ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट ही ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर प्राथमिक सेवा देने वाले विशेषज्ञ हैं।


📜 मांगें क्या हैं?

  1. छत्तीसगढ़ राज्य की यूनिवर्सिटी में संचालित डिग्री को आधार बनाकर योग्यता निर्धारित की जाए।
  2. एनएचएम में वर्षों से कार्यरत क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट को समायोजन का अवसर मिले।
  3. PSC भर्ती में अनुभव को वेटेज अंक प्रदान किया जाए, जिससे सेवायुक्त कर्मियों को न्याय मिल सके।

⚠️ निष्कर्ष: नीति में संशोधन नहीं हुआ तो आंदोलन तय!

यदि जल्द ही इस विषय पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं होता, तो राज्यव्यापी विरोध की स्थिति बन सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि वे मानसिक रोगियों की सेवा करते हैं, पर अब खुद को मानसिक प्रताड़ना झेलना पड़ रहा है।


📝 यह मामला सिर्फ नौकरी या योग्यता का नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम को सुधारने की मांग है, जिसमें स्थानीय युवाओं, शिक्षित मनोवैज्ञानिकों और वर्षों से सेवाएं दे रहे संविदाकर्मियों को न्याय मिल सके।


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