बलौदाबाजार हत्या मामला: दर्रा में शराब विवाद के बाद चार सगे भाइयों ने रामशंकर साहू की बेरहमी से हत्या कर दी। सत्र न्यायालय ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। पूरी केस स्टडी पढ़ें।
बलौदाबाजार: गांव की गलियों में अक्सर छोटे-छोटे विवाद होते हैं, लेकिन जब नशा, गुस्सा और हिंसा एक साथ मिल जाएं, तो अंजाम कितना भयावह हो सकता है, इसकी एक दिल दहला देने वाली मिसाल सामने आई है। बलौदाबाजार जिले के ग्राम दर्रा, थाना गिधौरी टुंडरा में शराब पीने और पिलाने को लेकर शुरू हुआ विवाद एक मासूम परिवार के लिए ऐसी त्रासदी बन गया, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। करीब एक साल पहले की वह रात आज भी गांव वालों की स्मृतियों में सिहरन पैदा कर देती है। 29 अक्टूबर 2024, रात लगभग 10 बजे, चार सगे भाइयों ने मिलकर एक व्यक्ति को उसके ही परिवार के सामने इस कदर पीटा कि उसकी जान चली गई। अब इस मामले में न्याय ने अपना फैसला सुना दिया है।
बलौदाबाजार हत्या मामला: फोन कॉल से शुरू हुआ मौत का बुलावा
घटना की रात गांव दर्रा सामान्य दिनों की तरह शांत था। लेकिन गांव के एक कोने में कुछ और ही साजिश रची जा रही थी। आरोपी कृष्णा साहू, राजेश कुमार साहू, उमेश कुमार साहू और रविशंकर साहू, चारों सगे भाई, शराब पीने और पिलाने को लेकर रामशंकर साहू से नाराज थे। रात करीब 10 बजे चारों आरोपियों ने रामशंकर साहू की पत्नी और बच्चे को रास्ते में रोक लिया। उन्हें वहीं बैठा कर रखा गया और रामशंकर को फोन कर मौके पर बुलाया गया। फोन कॉल किसी सामान्य बातचीत के लिए नहीं, बल्कि एक सोची-समझी हिंसा के लिए किया गया था।
पत्नी और बच्चे के सामने टूटी दरिंदगी
जब रामशंकर साहू मौके पर पहुंचा, उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह उसकी ज़िंदगी की आखिरी रात होने वाली है। जैसे ही वह वहां पहुंचा, चारों आरोपियों ने उसे घेर लिया। पहले हाथ-मुक्कों से बेरहमी से मारपीट शुरू की गई। रामशंकर गिरता-पड़ता रहा, मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन चारों भाई रुकने को तैयार नहीं थे। इसके बाद आरोपियों ने उसे उठाकर जमीन पर पटक दिया। यह दृश्य उसकी पत्नी, उसका बच्चा और भतीजा नितेश अपनी आंखों से देख रहे थे। जब पत्नी और परिजन बीच-बचाव के लिए आगे आए, तो आरोपियों ने उन्हें भी नहीं बख्शा।
बीच-बचाव करने वालों को दी जान से मारने की धमकी
मृतक की पत्नी जब अपने पति को बचाने आगे बढ़ी, तो आरोपियों ने उसे धमकाया,“यहां से भाग जाओ, नहीं तो तुम्हें भी मार देंगे।”उसके साथ बच्चे भी मौजूद था। इतना ही नहीं, मृतक के भतीजे नितेश ने जब बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो उसे भी पत्थर से मारा गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना स्थल पर अफरा-तफरी मच गई। चारों आरोपी वारदात को अंजाम देकर मौके से फरार हो गए।
अस्पताल पहुंचने से पहले बुझ गई सांसें
परिजन किसी तरह लहूलुहान हालत में रामशंकर साहू को उठाकर अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन नियति कुछ और ही लिख चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद रामशंकर को मृत घोषित कर दिया। एक मामूली विवाद ने एक परिवार का सहारा छीन लिया। पत्नी का सुहाग उजड़ गया, बच्चे के सिर से पिता का साया उठ गया और गांव में मातम पसर गया।
बलौदाबाजार हत्या मामला: पुलिस जांच और चारों भाइयों की गिरफ्तारी
घटना की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई गई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की। चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। पुलिस जांच में घटना स्थल, मेमोरेंडम कथन, जप्ती पत्रक और चश्मदीद गवाहों के बयान महत्वपूर्ण साक्ष्य बने।
अदालत में चला लंबा ट्रायल, 18 गवाहों की गवाही
मामला सत्र न्यायालय बलौदाबाजार में चला। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 18 साक्षियों के बयान दर्ज कराए गए। इनमें मृतक की पत्नी, बच्चा, घायल भतीजा नितेश और अन्य प्रत्यक्षदर्शी शामिल थे। सभी गवाहों ने अदालत के समक्ष स्पष्ट रूप से बताया कि कैसे चारों आरोपियों ने मिलकर रामशंकर साहू पर हमला किया और उसकी हत्या की।
बलौदाबाजार हत्या मामला: लोक अभियोजक की सख्त दलीलें
मामले की सुनवाई के दौरान अंतिम तर्क के समय सरकारी वकील एवं लोक अभियोजक थानेश्वर वर्मा ने अदालत के सामने सशक्त और तथ्यपूर्ण दलीलें प्रस्तुत कीं। उन्होंने कहा कि यह कोई आकस्मिक झगड़ा नहीं था, बल्कि एक पूर्व नियोजित हमला था। आरोपियों ने रामशंकर को फोन कर बुलाया, उसके परिवार को बंधक जैसी स्थिति में रखा और फिर सबके सामने बेरहमी से उसकी पिटाई कर हत्या कर दी। लोक अभियोजक ने कहा कि समाज में इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए कठोर सजा जरूरी है, ताकि यह फैसला एक नजीर बने।
बचाव पक्ष की दलीलें हुईं कमजोर
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपियों को निर्दोष साबित करने की कोशिश की, लेकिन चश्मदीद गवाहों के बयान, मेडिकल रिपोर्ट और साक्ष्यों के सामने बचाव पक्ष की दलीलें टिक नहीं सकीं। अदालत ने माना कि घटना में चारों आरोपियों की भूमिका समान और स्पष्ट है।
सत्र न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
सभी पक्षों को सुनने और साक्ष्यों का विश्लेषण करने के बाद प्रधान सत्र न्यायाधीश बलौदाबाजार, अब्दुल जाहिद कुरैशी ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने आरोपी कृष्णा साहू, राजेश कुमार साहू, उमेश कुमार साहू और रविशंकर साहू को भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1), 115(2) एवं 3(5) के तहत हत्या का दोषी ठहराया।
लोक अभियोजक थानेश्वर प्रसाद वर्मा का पक्ष
इस पूरे प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से केस लड़े लोक अभियोजक थानेश्वर प्रसाद वर्मा ने फैसले को न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति की हत्या का नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती हिंसा और नशे की प्रवृत्ति पर एक कड़ा संदेश है। लोक अभियोजक वर्मा ने बताया कि अभियोजन ने अदालत के समक्ष यह स्पष्ट किया कि यह घटना अचानक हुई झड़प नहीं थी, बल्कि पूर्व नियोजित और सामूहिक हमला था। चारों आरोपियों ने मृतक को फोन कर बुलाया, उसकी पत्नी और बच्चों को पहले ही रोककर रखा और फिर सबके सामने बेरहमी से मारपीट की। यह दर्शाता है कि आरोपियों की मंशा स्पष्ट रूप से हत्या करने की थी।
उन्होंने कहा कि इस केस में चश्मदीद गवाहों की गवाही, घायल भतीजे के बयान, मेडिकल रिपोर्ट, घटना स्थल के साक्ष्य और आरोपियों के मेमोरेंडम कथन अभियोजन के लिए निर्णायक साबित हुए। कुल 18 गवाहों ने एक सुर में घटना की पुष्टि की, जिससे आरोपियों की भूमिका निर्विवाद रूप से सिद्ध हुई। लोक अभियोजक ने अदालत से आग्रह किया था कि इस जघन्य अपराध में कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि समाज में यह संदेश जाए कि कानून अपने हाथ में लेने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया आजीवन कारावास का निर्णय पूरी तरह न्यायसंगत और साक्ष्यों के अनुरूप है। उन्होंने अंत में कहा कि यह फैसला पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के साथ-साथ समाज में कानून के प्रति विश्वास को मजबूत करता है। –लोक अभियोजक थानेश्वर प्रसाद वर्मा
चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा
अदालत ने चारों आरोपियों को
👉 आजीवन कारावास
👉 प्रत्येक को 10,000-10,000 रुपए का अर्थदंड
से दंडित किया। साथ ही आदेश दिया गया कि यदि अर्थदंड की राशि जमा नहीं की जाती है, तो आरोपियों को अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतना होगा। फिलहाल सभी आरोपी जेल में निरुद्ध हैं।
न्याय ने दिया पीड़ित परिवार को सहारा
इस फैसले के बाद मृतक रामशंकर साहू के परिवार को कुछ हद तक न्याय का एहसास हुआ है। हालांकि कोई भी सजा एक पिता और पति की कमी पूरी नहीं कर सकती, लेकिन यह फैसला समाज को यह संदेश जरूर देता है कि हिंसा और नशे की दरिंदगी को कानून बर्दाश्त नहीं करेगा।
समाज के लिए सबक
यह मामला एक चेतावनी है कि शराब और आपसी विवाद जब हिंसा में बदलते हैं, तो उसका खामियाजा पूरे परिवार और समाज को भुगतना पड़ता है। न्यायालय का यह फैसला आने वाले समय में ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक मजबूत संदेश माना जा रहा है। गांव दर्रा की वह रात भले ही कभी न भूलने वाला जख्म बन गई हो, लेकिन अदालत का यह फैसला यह साबित करता है कि कानून देर से सही, लेकिन न्याय जरूर देता है।
रिपोर्ट: चंद्रकांत वर्मा, संपादक – ChhattisgarhTalk.com
📍बलौदाबाजार से केशव साहू की ग्राउंड रिपोर्ट
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