



Ground Report: बलौदाबाजार के बिटकुली के आंगनबाड़ी केंद्र में लापरवाही का खुलासा! बच्चों को सही पोषण और शिक्षा नहीं मिल रही। ग्रामीणों में आक्रोश, कार्यकर्ताओं पर गड़बड़ी के गंभीर आरोप। पढ़ें पूरी खबर!
मिथलेश वर्मा, सुहेला/बलौदाबाजार: बलौदाबाजार जिले की ग्राम बिटकुली में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 1 में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। बच्चों के पोषण और शिक्षा की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने कार्यकर्ता और सहायिका पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
जब छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ की मीडिया टीम ने मौके पर पहुंचकर बलौदाबाजार के बिटकुली आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया, तो पाया कि—
✅ केंद्र का दरवाजा अंदर और बाहर से बंद था, जबकि चैनल गेट खुला था।
✅ कई घंटे इंतजार के बाद भी कोई कार्यकर्ता नहीं आया।
✅ ग्रामीणों ने बच्चों को बुलाकर भेजा, तब जाकर केंद्र खोला गया।
ग्रामीणों के अनुसार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संतोषी वर्मा और सहायिका पुष्पलता वर्मा नियमित रूप से केंद्र को खोलकर चली जाती हैं और वहां बच्चों को उचित भोजन व शिक्षा नहीं दी जाती।
बिटकुली आंगनबाड़ी केंद्र: ग्रामीणों के गंभीर आरोप – बच्चों का हक छीन रहे जिम्मेदार!
गांववालों ने आरोप लगाया है कि—
❌ केंद्र का संचालन सही तरीके से नहीं हो रहा है।
❌ बच्चों को नियमित रूप से पोषण आहार नहीं दिया जाता।
❌ महीने में मुश्किल से 2-4 दिन ही भोजन मिलता है।
❌ केंद्र में कार्यकर्ता और सहायिका के बीच झगड़े होते रहते हैं।
❌ बच्चों की वास्तविक संख्या छिपाने के लिए बड़े बच्चों को बुलाकर दिखावा किया जाता है।
बिटकुली आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को सिर्फ बिस्किट और दलिया देकर भगा दिया जाता है!
गांव की महिलाओं ने बताया कि बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिलता। शासन द्वारा दो बार पोषण आहार देने की योजना बनाई गई है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां बच्चों को सिर्फ बिस्किट या कभी-कभार दलिया दिया जाता है।
👉 “हमने जब बच्चों के खाने और पढ़ाई के बारे में पूछा, तो कार्यकर्ता बहस करने लगीं।” – सावित्री बाई, स्थानीय ग्रामीण
काम के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया, कार्यकर्ता-सहायिका में आपसी विवाद!
जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संतोषी वर्मा से सवाल किया गया, तो उन्होंने सारा दोष सहायिका पर डाल दिया।
🔹 “मैं तो फाइलेरिया की दवाई खिलाने गई थी, केंद्र की जिम्मेदारी सहायिका की थी।”
🔹 “हम रोज केंद्र खोलते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं।”
🔹 “कल रेडी टू ईट खिलाया गया था, लेकिन कितने बच्चे आए थे, इसकी जानकारी नहीं है।”
🔹 “मैं दोनों तरफ की ड्यूटी कैसे करूंगी?”
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दूसरी ओर, सहायिका पुष्पलता वर्मा ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
🔸 “मैं बीमार थी, इसलिए आज नहीं आ पाई।”
🔸 “हम रोज सुबह 9:30 बजे आते हैं और 3:30 बजे तक रुकते हैं।”
🔸 “बच्चों के लिए नियमित रूप से नाश्ता और भोजन बनाया जाता है।”
🔸 “कल 11 बच्चे आए थे, हमने दाल-भात, आलू और बंदगोभी की सब्जी बनाई थी।”
ग्रामीणों की मांग – दोषी कर्मचारियों पर हो कार्रवाई!
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बच्चों के पोषण और शिक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर अनियमितताओं के कारण बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
🛑 “अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो हम विरोध प्रदर्शन करेंगे!”
🛑 “बच्चों को उनका हक मिलना चाहिए!”
🛑 “आंगनबाड़ी केंद्र में ईमानदार और जिम्मेदार लोगों की नियुक्ति हो!”
👉 अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है? क्या लापरवाह कार्यकर्ता और सहायिका पर कार्रवाई होगी, या फिर बच्चों का भविष्य इसी तरह बर्बाद होता रहेगा?
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