



बलौदाबाजार में कांग्रेस को बड़ा झटका! कद्दावर नेता के.के. वर्मा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। पढ़ें पूरी खबर।
सागर साहू, बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.के. वर्मा ने जिला कांग्रेस कमेटी बलौदाबाजार-भाटापारा से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वर्मा के इस फैसले से जिले की कांग्रेस राजनीति में हलचल मच गई है। खासतौर पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले उनका यह कदम कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
बलौदाबाजार कांग्रेस में भूचाल! वरिष्ठ नेता के.के. वर्मा ने छोड़ा पार्टी का साथ
के.के. वर्मा ने अपने इस्तीफे में कांग्रेस पार्टी की जनविरोधी नीतियों और पदाधिकारियों के व्यवहार को अपने फैसले का मुख्य कारण बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी की मौजूदा कार्यशैली से वे बेहद आहत हैं और अब उसमें बने रहना उचित नहीं समझते।
उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा –
“कांग्रेस पार्टी की जनविरोधी नीति एवं पदाधिकारियों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसी कार्यप्रणाली से आहत होकर मैं अपने पदों से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर पड़ेगा असर?
गौरतलब है कि के.के. वर्मा ग्रामीण क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते हैं और उनका प्रभाव बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के पंचायत स्तर तक देखा जाता है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से ठीक पहले उनका इस्तीफा कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी मजबूत पकड़ थी और उनकी नाराजगी से पार्टी को संभावित वोटों का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
इन पदों से दिया इस्तीफा
के.के. वर्मा ग्राम पंचायत लटुआ, तहसील बलौदाबाजार के निवासी हैं और कांग्रेस संगठन में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे थे। उन्होंने निम्नलिखित पदों से इस्तीफा दिया है –
- प्रदेश महामंत्री (पिछड़ा वर्ग विभाग)
- जिला उपाध्यक्ष
- बूथ झोन प्रभारी
- अन्य सभी संगठनात्मक दायित्व
क्या होगा वर्मा का अगला कदम?
के.के. वर्मा के इस्तीफे के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि वे आगे की राजनीति में क्या कदम उठाएंगे। क्या वे किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होंगे या स्वतंत्र रूप से जनता के बीच काम करेंगे? इसको लेकर फिलहाल उन्होंने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके अगले कदम पर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं।
कांग्रेस को होगा नुकसान?
के.के. वर्मा की छवि जिले में एक कर्मठ और लोकप्रिय नेता की रही है। पंचायत चुनाव से ठीक पहले उनके कांग्रेस छोड़ने से निश्चित रूप से पार्टी को गंभीर नुकसान हो सकता है। पहले से ही पार्टी में असंतोष की स्थिति बनी हुई थी और अब यह इस्तीफा संगठन में और अधिक अस्थिरता ला सकता है।
राजनीतिक माहौल गर्माया
वर्मा के इस्तीफे से बलौदाबाजार-भाटापारा जिले का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। स्थानीय कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच उनके इस फैसले को लेकर चर्चा तेज हो गई है। वहीं, कांग्रेस की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस नेतृत्व इस मसले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और के.के. वर्मा की आगे की रणनीति क्या होगी।
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-छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ (Chhattisgarh Talk News)
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