yearning for liberation : रामनगर मुक्तिधाम में दर्जनों लोग मुक्ति को तरस रहे, आखिर क्या है?? मुक्ति दिलाने वाला यह फैसला आप भी देखिए…..
Chhattisgarh Talk अतुल शर्मा / दुर्ग : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के सुपेला स्थित रामनगर मुक्तिधाम जिसमें अब भी दर्जनों लोग मुक्ति को तरस रहे हैं, उन्हें मुक्ति नहीं मिल पाई है, जिसके लिए अब नगर निगम के मुक्तिधाम प्रशासन ने एक कड़ा फैसला लिया है, आखिर क्या है? मुक्ति दिलाने वाला यह फैसला आप भी जानने के लिए पढ़िये….
छत्तीसगढ़ के दुर्ग से आई इस खबर में दरअसल हिंदू रीति रिवाज के अनुसार व्यक्ति के अमृत होने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है, अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों का संग्रहण कर मुक्तिधाम में रखा जाता है,जिसके बाद उसकी अस्थियों को विसर्जित करने के लिए व्यक्ति अपने समर्थ के अनुसार गंगा जी में विसर्जित करता है, तो जो कोई गंगा जी नहीं जा सकते वे लोग स्थानीय नदियों में ही प्रवाहित की जाती है, हिंदू धर्म के अनुसार मानता है कि अस्ति कलश के विसर्जन के बाद ही मृत आत्मा को शांति मिलती है,
लेकिन यकीन मानिए दुर्ग जिले के रामनगर मुक्तिधाम में अब भी 41 कलश ऐसे ही पड़े हैं, क्योंकि मृत व्यक्ति के परिजनों ने अब तक इनका अस्थि विसर्जन नहीं किया है, जिसके कारण अब रामनगर मुक्तिधाम की अलमारियां भी इन अस्तिकालत से भर चुकी है,आपको बता दे की रामनगर मुक्तिधाम में वर्षों से विसर्जन के लिए रखे गई लोगों के दिवंगत परिजन की अस्थियां उनका इंतजार अभी कर रही है, लेकिन शायद परिजन अस्थियां रखवा कर या तो भूल गए हैं,या फिर खुद विसर्जन नहीं करना चाहते, जिसके चलते हस्तियों के सुरक्षित रखरखाव की जिम्मेदारी में लगे लोगों के लिए अब इन अस्थियों का अंबार सर दर्द साबित हो रहा है,
नतीजेतन नगर निगम प्रशासन ने ऐसे लोगों को चेतावनी पत्र जारी किया है, कि वह अपने दिवंगत परिजन की अस्थियों ले जाए संस्था को देकर विसर्जन करवा दी जाएगी वही बताया जा रहा है, कि दाह संस्कार के पश्चात मृतकों के अस्थि कलश को विधिवत विसर्जन हेतु परिजन लेकर जाते हैं,लेकिन कई परिजन कुछ दिन बाद आते हैं, इसलिए अस्थि को मुक्तिधाम के लॉकर में सुरक्षित रख दिया जाता है, बीते कुछ वर्षों से बहुत से मृतक के परिजन अच्छी लेकर नहीं गए हैं, जिसमें कई अस्ति कलश तो 2008 के भी पहले का है जो अस्थि कलश अभी अपने मुक्ति की बात जो रहे हैं. मुक्तिधाम के केयरटेकर कृष्ण देशमुख का कहना है कि जिन लोगों का नाम है उन परिवार वालों से अपील करते हैं कि आकर अस्ति कलश लेकर जाए — कृष्ण देशमुख,सुपेला रामनगर मुक्तिधाम केयरटेकर
जनसंपर्क अधिकारी शरद दुबे का कहना है कि 2008 से अस्ति कलश रखा हुआ है,अब तक इसके परिजन लेने नहीं आए हैं,अस्ति सुरक्षित रखी गई है, इसको लेकर एक समाज सेवी संस्था पहल किया है-— शरद दुबे, जनसंपर्क अधिकारी भिलाई नगर निगम