wick as it is : ‘बाती’ जस-की-तस डिमांड ने पकड़ी गति? मूल्य वृद्धि के संकेत नहीं मिल रहे क्यो जानिए

wick as it is : ‘बाती’ जस-की-तस डिमांड ने पकड़ी गति? मूल्य वृद्धि के संकेत नहीं मिल रहे क्यो जानिए

Chhattisgarh Talk / राजकुमार मल / भाटापारा : कई उपयोग, कई किस्म। इसलिए शांत है कपास। यही वजह है कि मांग के दिनों में भी कपास की बाती, कीमत के मामले में जस-की-तस है। मूल्य वृद्धि के संकेत नहीं मिल रहे हैं।

बेहद छोटी सी चीज मानी जाती है कपास याने रुई को लेकिन हर घर, हर मंदिरों में उपस्थिति अहम है, बाती के रूप में। सामान्य दिनों की तुलना में मांग, दोगुनी इसलिए हो चली है क्योंकि गणेश पूजा के बाद अब नवरात्रि की डिमांड है। ठीक पीछे आ रही है, दीपावली। जब बाजार लगभग शीर्ष पर होगा।

इसलिए जस-की-तस

60, 70, 75, 80,100 और 150 रुपए किलो। रुई में यह छह कीमत, भिन्न गुणवत्ता वाली कपास की उपलब्धता की वजह से तय की गई है। सफाई के बाद गुणवत्ता के मानक को देखते हुए प्रयोग क्षेत्र तय किया जाता है। यही वजह है कि बाती की दर स्थिर है।

आए दिन मांग के

गणेश पर्व विदा ले चुका है। चल रही है नवरात्रि। ठीक पीछे है दीपोत्सव। इसमें दोगुनी मांग की उम्मीद इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि उपलब्धता के क्षेत्र में हर क्रय शक्ति वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए रुई ने पहुंच बना ली है। इसलिए मांग दोगुनी होने की संभावना के साथ तैयार है बाजार।

निकल रही मांग यहां से भी

गद्दा,रजाई और तकिया। बनाने और बेचने वाला क्षेत्र, आ रही शीत ऋतु के लिए रुई की मांग के साथ पहुंच चुका है। सीजन की मांग के अलावा शादी-ब्याह की भी डिमांड है। लिहाजा खपत दोगुनी जाने की संभावना है। ऐसी स्थिति में हल्की गर्मी के संकेत मिल रहे हैं।