छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में गड़बड़ी, कौन हैं जिम्मेदार?

छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में गड़बड़ी (Chhattisgarh Talk: Mistakes in Road Accident Data)
छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में गड़बड़ी (Chhattisgarh Talk: Mistakes in Road Accident Data)

Mistakes in Road Accident Data In Baloda Bazar: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार-भाटापारा जिले में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी सामने आई है, जिससे न केवल यातायात विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि विभाग की विश्वसनीयता भी प्रभावित हो रही है। पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़े और शहर में लगे यातायात बोर्डों पर प्रदर्शित आंकड़ों के बीच बड़ा अंतर पाया गया है। हालांकि, विभाग ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताते हुए मामले की जांच करने की बात कही है, लेकिन यह मुद्दा अब जन जागरूकता और विभागीय पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।

आंकड़ों में गड़बड़ी: विभागीय प्रचार बोर्ड और आधिकारिक आंकड़ों का विरोधाभास

बलौदा बाजार-भाटापारा पुलिस विभाग द्वारा सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित जारी किए गए आंकड़े और शहर में लगे यातायात पुलिस के प्रचार बोर्डों पर दी गई जानकारी के बीच बड़ा अंतर पाया गया है।

  • विभागीय बोर्ड के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में कुल 541 सड़क दुर्घटनाएं, 287 मौतें और 449 लोग घायल हुए हैं।
  • वहीं, पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 के अंत तक जिले में 618 सड़क दुर्घटनाएं, 270 मौतें और 447 घायल होने का दावा किया गया है।

यह विरोधाभास स्पष्ट रूप से विभाग की कार्यप्रणाली और आंकड़ों की सटीकता पर सवाल उठाता है।

इस गड़बड़ी के कारण न केवल जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है, बल्कि विभाग की विश्वसनीयता भी गंभीर संकट में है। यह गड़बड़ी दिखाती है कि क्या विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली को सही तरीके से लागू किया है या यह महज कागजी खानापूर्ति के रूप में रह गई है।

यातायात विभाग की सफाई

इस मामले पर जब मीडिया ने पुलिस विभाग से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो जिला पुलिस के यातायात विभाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हेमसागर सिदार ने इसे एक लिपिकीय त्रुटि करार दिया। उन्होंने कहा, “हमें इस बारे में जानकारी नहीं थी। यह संभवतः आंकड़ों के संग्रहण में कोई गलती हो सकती है। मैं इस मामले की जांच कराऊंगा और संबंधित दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि विभाग जनता को गलत सूचना नहीं देना चाहता और इस गड़बड़ी को शीघ्र सुधारने का प्रयास किया जाएगा।

पुलिस विभाग का दावा: कार्रवाई से मौतों में कमी

पुलिस विभाग ने यह दावा किया है कि सख्त कार्रवाई के कारण सड़क दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में कमी आई है, खासकर नशे में वाहन चलाने वाले चालकों के खिलाफ। विभाग के अनुसार, 2024 में 875 नशेड़ी वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई और 90 लाख रुपये की वसूली कोर्ट के माध्यम से की गई। इसके अलावा, 292 चालकों पर ओवरस्पीडिंग, 190 चालकों पर खतरनाक ड्राइविंग और 75 नाबालिग चालकों पर कार्रवाई की गई।

इसके बावजूद, दुर्घटनाओं की संख्या 2023 के मुकाबले 2024 में अधिक रही है, जो पुलिस विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है। यह दर्शाता है कि विभाग की कड़ी कार्रवाई के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई, बल्कि आंकड़ों के अनुसार दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है।

विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल -विभाग है जिम्मेदार?

यह गड़बड़ी न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यातायात सुरक्षा के प्रति उनकी गंभीरता को भी संदेहास्पद बना देती है। सवाल यह है कि जब विभाग अपने आंकड़ों को सही तरीके से संकलित और प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है, तो यह नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता से काम कर रहा है? आंकड़ों की यह गड़बड़ी न केवल जनता को गुमराह करती है, बल्कि विभाग की लापरवाही और अनियमितताओं को भी उजागर करती है। यह घटना विभाग के लिए एक चेतावनी है कि वह अपनी कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनाए।

दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि: क्या है कारण?

हालांकि, पुलिस विभाग ने नशेड़ी वाहन चालकों और खतरनाक ड्राइविंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात की है, फिर भी दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि क्यों हो रही है? क्या यह दर्शाता है कि सड़क सुरक्षा उपायों की कमी है, या फिर सख्त कार्रवाई के बावजूद चालक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब विभाग को देना होगा। 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, दुर्घटनाओं में वृद्धि ने यह साबित कर दिया कि विभाग को अपनी नीतियों और योजनाओं पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

Mistakes in Road Accident Data In Baloda Bazar: बलौदा बाजार-भाटापारा पुलिस विभाग को इस गड़बड़ी का शीघ्र समाधान करना चाहिए और सही आंकड़े जनता के सामने लाने चाहिए। सड़क सुरक्षा को लेकर विभाग को अधिक गंभीर और पारदर्शी होने की आवश्यकता है। विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ी से बचा जा सके। मामले की गहन जांच से यह स्पष्ट होगा कि यह महज एक लिपिकीय त्रुटि थी या विभाग की कार्यप्रणाली में कोई गंभीर अनियमितता थी। साथ ही, विभाग को अपनी सड़क सुरक्षा रणनीतियों पर पुनः विचार करना चाहिए ताकि सड़क दुर्घटनाओं में वास्तविक कमी लाई जा सके और जनता का विश्वास पुनः बहाल किया जा सके।

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