भाटापारा में अस्पताल स्टाफ के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार: डॉक्टरों ने उठाई सुरक्षा की चिंता
रायपुर, छत्तीसगढ़: बलौदाबाजार जिले के स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर एक दर्दनाक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पूरे बलौदाबाजार भाटापारा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के प्रभारी जिले में एक बार फिर भाटापारा में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार की शर्मनाक घटना ने स्थानीय अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने न केवल अस्पतालों के कर्मचारियों की सुरक्षा को चुनौती दी है, बल्कि नगरवासियों के आचरण और सम्मान का भी एक कड़ा संदेश दिया है।
- भाटापारा के डॉ. जे.के. आडिल अस्पताल में जहरखुरानी के मरीज के साथ हुई हिंसक घटना।
- अस्पताल स्टाफ ने कोरोना काल की सेवा को याद करते हुए सुरक्षा की चिंता जताई।
- डॉक्टरों ने सार्वजनिक माफी की मांग की और कड़ी कार्रवाई की बात की।
- रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाओं पर संकट, अस्पतालों को सुरक्षा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता।
छत्तीसगढ़ के भाटापारा में अस्पताल स्टाफ के साथ हिंसा: डॉक्टरों ने सुरक्षा की चिंता जताई, रात्रिकालीन सेवाओं पर संकट
मिली जानकारी के अनुसार, बीती रात करीब 12:30 बजे, एक जहरखुरानी के गंभीर मरीज को लेकर उसके करीब 10 दोस्त भाटापारा के प्रमुख डॉ. जे.के. आडिल अस्पताल में पहुंचे। अस्पताल के स्टाफ ने स्थिति को गंभीर मानते हुए मरीज के दोस्तों को सूचित किया कि चिकित्सक फिलहाल शहर से बाहर हैं और प्रारंभिक उपचार के लिए प्रशासन से बातचीत करने को कहा। इस पर मरीज के दोस्तों ने अस्पताल प्रशासन को गालियाँ दीं और फोन पर अभद्र व्यवहार किया। जब स्टाफ ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया, तो अस्पताल के अंदर मारपीट भी की गई।
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कोरोना काल में अस्पतालों की सेवा को याद करते हुए डॉक्टरों ने दी चेतावनी
डॉ. विकास आडिल और डॉ. जे.के. आडिल ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई और शहरवासियों को याद दिलाया कि यह वही अस्पताल है जिसने कोरोना महामारी के दौरान बिना किसी भय के 12-12 घंटे की ड्यूटी की, जब पूरा देश स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा था। डॉ. जेके आडिल ने फेसबुक पर भी लिखा पढ़ने के लिए- क्लिक करे
उन्होंने कहा, “यह वही स्टाफ है जिसने कोरोना के दौरान नगरवासियों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना काम किया। लेकिन आज वही स्टाफ हिंसा और दुर्व्यवहार का शिकार हो रहा है। क्या यही है भाटापारा का उच्च आचरण?”
अगर डॉक्टर सुरक्षित नहीं होंगे, तो मरीजों का इलाज कौन करेगा?
डॉक्टरों ने नगरवासियों से अपील की है कि वे अस्पताल स्टाफ और डॉक्टरों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें। “अगर डॉक्टर सुरक्षित नहीं होंगे, तो फिर मरीजों का इलाज कौन करेगा?” यह सवाल डॉ. विकास आडिल ने उठाया।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से अस्पतालों की रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है, और यदि स्थिति यही रही, तो अस्पताल को यह सेवाएं बंद करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
डॉ. आडिल की मांग: “हिंसक व्यवहार करने वालों से सार्वजनिक माफी और कड़ी कार्रवाई हो”
इस घटना के बाद, डॉ. आडिल ने उन लोगों से सार्वजनिक माफी की मांग की है जिन्होंने इस प्रकार का हिंसक व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्य मानवता के खिलाफ हैं और इनका उद्देश्य सिर्फ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा को नष्ट करना है। “सेवा करने वालों के लिए यह एक तरह से मानवता की हत्या है। ऐसे कृत्यों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
भाटापारा के अस्पतालों में रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाओं पर संकट: सुरक्षा को लेकर पुनर्विचार की आवश्यकता
यह घटना एक बड़ा संकेत है कि भाटापारा के अस्पतालों को अपनी सुरक्षा नीति और रात्रिकालीन सेवाओं के बारे में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। कई अस्पतालों ने इसी प्रकार के दुर्व्यवहार के कारण रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी हैं। यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो हमारे अस्पतालों को भी यह कदम उठाना पड़ सकता है, जिससे मरीजों को और भी अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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इस शर्मनाक घटना ने न केवल अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक समाज और स्थानीय समुदाय स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व को समझेगा और सम्मान देगा, तब तक ऐसे कृत्यों का दौर जारी रहेगा। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन, अस्पताल प्रबंधन और नागरिकों को एकजुट होकर कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो भाटापारा में डॉक्टरों की स्थिति गंभीर हो सकती है, और इससे मरीजों को भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
- भाटापारा के अस्पताल में एक जहरखुरानी के मरीज को लेकर हिंसक घटना हुई।
- अस्पताल स्टाफ ने कोरोना काल की याद दिलाते हुए अस्पताल सुरक्षा की चिंता जताई।
- डॉक्टरों ने सार्वजनिक माफी की मांग की और कड़ी कार्रवाई की बात की।
- रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाओं पर संकट, अस्पतालों को फिर से सुरक्षा पर विचार करने की जरूरत।
यह घटना स्थानीय प्रशासन, अस्पताल प्रबंधन और नागरिकों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: क्या हम स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व को समझते हैं और उनके प्रति सम्मानपूर्ण आचरण करते हैं?