Vijayadashami : अनोखी परम्परा!! रावण की नाभि से निकले अमृत का करते है तिलक पढ़िये पूरी खबर
भुमका व हिर्री के दशहरा में नही होता रावण दहन!! रामलीला मंचन के बाद करते हैं रावण का वध
Chhattisgarh Talk / फरसगांव : दशहरा उत्सव का नाम आते ही रामलीला व रावण दहन की छवि मानस पटल पर होती है, जिसमे दशहरा के अंत मे रावण का दहन किया जाता है लेकिन कोण्डागांव जिले के कुछ छोटे से गाँव मे चार दशक से भी अधिक समय से परंपरा चल रही है जहाँ रावण बनाया जाता है लेकिन उसे जलाया नही जाता, बल्कि मिट्टी के बने रावण का वध किया जाता है । यह अनोखी परप्परा ग्राम हिर्री व भूमिका में होती है। जो इस साल 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को देखने मिला जहाँ रावण का वध किया गया। इसे देखने के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में ग्रामीण भुमका और हिर्री में पहुचे।
Kondagaon News : छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले के फरसगांव ब्लाक अंतर्गत ग्राम भुमका व हिर्री में दशहरा मंचन अनोखे तरीके से किया जाता है, विगत कई वर्षो से परम्परा अनुसार भुमका और हिर्री में दशहरा पर्व में रावण के पुतला का दहन नहीं किया जाता बल्कि रावण की मुर्ति बनाकर रावण का वध किया जाता है, ग्रामीणों का कहना है रावण को मारना मुश्किल था क्योंकि उसके नाभि में अमृत है, जिसका भगवान राम के द्वारा रावण की नाभि में तीर चलाकर वध किया जाता है, फिर उसके बाद ग्रामवासी रावण की नाभि से निकलने वाले अमृत के लिए रावण पर टूट पड़ते है, नाभि से निकलने वाले अमृत का माथे में तिलक करते हैं, महाज्ञानी ब्राम्हण रावण के बुरे कार्यो पर सचाई की जीत का तिलक वंदन करते है, इस अनोखी परम्परा को देखने के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुचते है । दशहरा की यह अनोखी परम्परा भुमका और हिर्री में विरासत काल से चली आ रही है, जिसका आसपास के लोगो का बेसबरी से इंतजार रहता है।
रावण की नाभि से निकले अमृत का करते है तिलक–
भुमका के ग्रामीण वीरेन्द्र चनाप और हिर्री के ग्रामीण भारद्वाज वैध का कहना है रावण का दहन करने से उसके साथ उसके नाभि के अमृत का भी दहन हो जाता है जिसके कारण हमारे गाँव मे रावण दहन नही किया जाता हैं, बल्कि रावण का वध कर नाभि से निकले अमृत का तिलक करते हैं, ऐसी मान्यता है नाभि से निकलने वाले अमृत तिलक करने से शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक रूप से स्वस्थ्य लाभ होता है ।
मिट्टी से बने रावण की मूर्ति का किया जाता है वध– मूर्तिकार
मूर्तिकार भुमका निवासी रूपसिंह निषाद, मोहन कुँवर व हिर्री निवासी मूर्तिकार रामचंद्र राणा ने बताया की दशहरा में रावण की मूर्ति बनाने एवं सजाने का काम हर वर्ष गॉव के मूर्ति बनाने के काम को बखूभी निभाते है, रावण मूर्ति की नाभि में मिटटी के पात्र में लाल रंग भरकर रावण की नाभि में डाला जाता हैं, भगवान राम द्वारा के मिट्टी से बने रावण की मूर्ति का वध किया जाता है।
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