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vegetable crops: बढ़ेगी चमक, बढ़ेगा उत्पादन; वरदान है सब्जी फसलों के लिए मौसम में यह बदलाव

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vegetable crops: बढ़ेगी चमक, बढ़ेगा उत्पादन; वरदान है सब्जी फसलों के लिए मौसम में यह बदलाव

राजकुमार मल / भाटापारा: बढ़ेगी चमक। बढ़ेंगे पोषक तत्व। शीत लहर और गिर रही ओस, सब्जी फसलों के लिए वरदान बनकर आई है। अच्छी बात यह है कि इस बरस प्रदेश में आलू का उत्पादन नया कीर्तिमान बना सकता है क्योंकि अनुकूल मौसम का साथ मिल रहा है।

लुढ़कता पारा भले ही जन-जीवन पर असर डाल रहा है लेकिन सब्जी फसल के लिए वरदान से कम नहीं है। मौसम और तापमान पर नजर रख रहे सब्जी वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होंगी, तो चमक भी गहरी देखी जाएगी। सब्जी की कुछ प्रजातियों में यह बदलाव ज्यादा नजर आएगा क्योंकि इन्हें ऐसे मौसम और तापमान की ही जरूरत होती है।

गोभी और भाजी

फूल गोभी, पत्ता गोभी और गांठ गोभी। मौसम में आया बदलाव इनमें सबसे ज्यादा देखा जाएगा। प्राकृतिक चमक बढ़ेगी, तो पोषक तत्व की मात्रा में अपेक्षाकृत ज्यादा बढ़ी हुई महसूस की जाएगी। भाजी की लगभग सभी प्रजातियों के लिए मौसम का नया रूप वरदान बनकर आया है। इसे गुणवत्तायुक्त भाजी की पहुंच के रूप में आगामी सप्ताह से देखा जा सकेगा।

अनुकूल है आलू के लिए

सरगुजा के साथ प्रदेश के वह क्षेत्र जहां आलू की व्यावसायिक खेती की जा रही है, उन क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार भरपूर लाभ का संदेश लेकर आया है यह मौसम। पहली बार आलू की फसल को अनुकूल तापमान मिल रहा है। इससे छत्तीसगढ़ में आलू का उत्पादन नया कीर्तिमान बना सकता है। आलू के लिए आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम होगा।

पाला नहीं

माना जाता रहा है कि तापमान के इस रूप से सब्जियों की कुछ प्रजातियों पर पाला पड़ता है लेकिन तापमान और सब्जी फसलों की स्थिति पर नजर रख रहे सब्जी वैज्ञानिकों ने फिलहाल इस आशंका को खारिज करते हुए कहा है कि मौसम का पूरा साथ मिल रहा है सब्जी फसलों को। खतरे की कोई बात नहीं है।

ओस से सिंचाई

मौसम विज्ञान विभाग के पास ओस की जैसी जानकारी पहुंच रही है, उसे सब्जी वैज्ञानिकों ने पर्याप्त सिंचाई मानते हुए कहा है कि ओस की बूंदे सिंचाई की ज़रूरतें पूरी कर रहीं हैं तो भूजल स्रोत को भी बचाए रखने में मदद मिल रही है।

तापमान का यह स्तर सब्जी फसलों के लिए सर्वोत्तम है। खासकर गोभी, आलू और भाजी फसलों के लिए सही है। पाला लगने जैसी आशंका नहीं है। उत्पादन बढ़ेगा – डॉ अमित दीक्षित, डीन, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सांकरा

 

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