



बलौदाबाजार में नगरीय निकाय चुनाव 2025 के नामांकन विवाद में निर्दलीय पार्षदों ने BJP और प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाया। जानें इस मामले में क्या हुआ और निर्दलीय उम्मीदवारों ने किस तरह न्याय की मांग की।
नगरीय निकाय चुनाव 2025 में नामांकन प्रक्रिया को लेकर बलौदाबाजार जिले में विवाद गहरा गया है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने BJP और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उनका नामांकन फॉर्म सत्ता बल के कारण जानबूझकर रद्द किया गया है, जबकि BJP के उम्मीदवारों को त्रुटियों के बावजूद समयसीमा समाप्त होने के बाद भी सुधारने का मौका दिया गया।
नामांकन निरस्त होने पर उभरे आरोप
बलौदाबाजार में नगरीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया में दो निर्दलीय पार्षद उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप यह है कि BJP ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए इन निर्दलीय उम्मीदवारों का नामांकन रद्द करवाया, जबकि BJP के अपने उम्मीदवारों को समयसीमा समाप्त होने के बाद भी त्रुटियों को सुधारने का मौका दिया गया।
इन आरोपों में प्रमुख नाम हैं घनश्याम भारती और पवन कुमार नायक, जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपने नामांकन दाखिल किए थे। दोनों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि चुनावी प्रक्रिया में प्रशासन ने जानबूझकर उनके नामांकन फॉर्म को निरस्त किया और उन्हें चुनावी मैदान में उतरने से रोकने का प्रयास किया।
नगरीय निकाय चुनाव: घनश्याम भारती का आरोप
घनश्याम भारती, जो वार्ड 10 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में थे, ने आरोप लगाया कि उन्होंने BJP से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय रूप से नामांकन दाखिल किया था। उनका कहना है कि जब उन्होंने नामांकन फॉर्म दाखिल किया था, तो रिटर्निंग ऑफिसर ने उस फॉर्म को चेक किया और पावती दी थी। लेकिन स्कूटनी के दौरान यह आरोप लगाया गया कि उनके फॉर्म में प्रस्तावक के हस्ताक्षर नहीं थे, जिसकी वजह से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया।
उन्होंने कहा, “अगर फॉर्म में कोई कमी थी, तो मुझे पहले ही बता दिया गया होता और मैं उसे सुधार सकता था। मगर अब समय समाप्त होने का हवाला देकर हमारा नामांकन निरस्त कर दिया गया। यह पूरी प्रक्रिया गलत थी।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि BJP के दो प्रत्याशियों के नामांकन फॉर्म में भी त्रुटियां थीं, लेकिन उन्हें समय सीमा समाप्त होने के बाद भी सुधारने का अवसर दिया गया। उन्होंने इसे पूरी तरह पक्षपाती निर्णय करार दिया और कहा, “हमें चुनावी मुकाबले से बाहर करने के लिए यह सब किया जा रहा है, क्योंकि यदि हम चुनाव में खड़े होते, तो BJP की हार तय थी। अब हम इस मामले को अदालत में ले जाएंगे और न्याय की मांग करेंगे।”
नगरीय निकाय चुनाव: पवन कुमार नायक का भी आरोप
पवन कुमार नायक, जो वार्ड 12 से निर्दलीय उम्मीदवार थे, ने भी सत्ताधारी BJP और प्रशासन पर मिलकर काम करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि BJP से टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था। पवन ने आरोप लगाया कि उनका नामांकन निरस्त होने के बाद वे यह समझ नहीं पाए कि आखिर क्यों उनके जैसे निर्दलीय उम्मीदवारों के फॉर्म को सख्ती से खारिज किया गया, जबकि BJP के उम्मीदवारों के फॉर्म को सुधारने का अवसर दिया गया।
पवन कुमार नायक ने कहा, “हम BJP के विरोधी थे और हमारी जीत से BJP को खतरा था। इसलिए प्रशासन ने मिलकर हमारा नामांकन निरस्त करवा दिया। यह पूरी तरह से गलत है और हमें चुनाव में भाग लेने का पूरा हक मिलना चाहिए था।”
नगरीय निकाय चुनाव: रिटर्निंग ऑफिसर का स्पष्टीकरण
इस पूरे विवाद पर रिटर्निंग ऑफिसर दीप्ति गोते ने अपना स्पष्टीकरण पेश किया। उन्होंने कहा कि 28 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया के दौरान कुछ फॉर्म में त्रुटियां पाई गईं, जिसके बाद उनकी समीक्षा की गई। दीप्ति गोते ने कहा, “नामांकन की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि कुछ फॉर्म में कमी थी। इनमें से जिन फॉर्मों में त्रुटियां पाई गईं, उन्हें निरस्त कर दिया गया।”
उन्होंने यह भी बताया कि नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए 6 उम्मीदवारों और वार्ड पार्षद पद के लिए 66 उम्मीदवारों के नामांकन की स्कूटनी पूरी की जा चुकी है। दीप्ति गोते ने यह स्पष्ट किया कि नाम वापसी का समय खत्म हो चुका है और अब जो भी उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया में बने रहेंगे, वही चुनाव लड़ने के पात्र होंगे।
नगरीय निकाय चुनाव: कानूनी रास्ता अपनाने का ऐलान
इस विवाद के बाद, निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस मामले को न्यायालय में ले जाने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि चुनाव में निष्पक्षता का उल्लंघन हुआ है और इस मुद्दे पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दोनों उम्मीदवारों ने कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया और उन्हें पूरी प्रक्रिया में न्याय नहीं मिला।
नगरीय निकाय चुनाव: भविष्य की दिशा
अब यह देखना यह होगा कि इस मामले में उच्च निर्वाचन अधिकारियों और न्यायालय द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है। अगर निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा लगाए गए आरोप सही साबित होते हैं, तो यह चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाएगा और BJP और प्रशासन के ऊपर दबाव बढ़ाएगा। यह मामला पूरे जिले में चुनाव प्रक्रिया के निष्पक्षता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर सकता है।
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-छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ (Chhattisgarh Talk News)
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