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tradition of chhattisgarh : छत्तीसगढ़ की परंपरा कोअक्षुण बनाए रखने में नन्हे नन्हे बच्चों का विशेष योगदान

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tradition of chhattisgarh : छत्तीसगढ़ की परंपरा कोअक्षुण बनाए रखने में नन्हे नन्हे बच्चों का विशेष योगदान

Chhattisgarh Talk / बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ की परंपरा संस्कृति कला को सहेज कर एवं संजोकर रखने में आज भी नन्हे नन्हे बच्चों का विशेष योगदान देखने को मिल रहा है आज समय की बढ़ती भाग दौड़ में लोग अपने-अपने निजी स्वार्थ के चलते उलझते जा रहे हैं समाज एवं औरों के लिए बिल्कुल बड़ी मुश्किल से समय निकाल पाते हैं

tradition of chhattisgarh :वहीं छोटे-छोटे बच्चों द्वारा निस्वार्थ रूप से छत्तीसगढ़ की परंपरा को बचाए रखने में लगे हुए हैं आज की इस आधुनिक युग में लोगों को इतनी भी फुर्सत समय नहीं है कि लोग अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने में विशेष योगदान दे जबकि नन्हे नन्हे बच्चे अभी भी परंपरा को निभाने के लिए समय-समय पर विशेष योगदान दिखाते रहते हैं जहां छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छत्तीसगढ़ की परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पारंपरिक खेल गिल्ली डंडा भंवरा बांटी पिट्ठूल सांखली फुगड़ी कबड्डी खो-खो जैसे इत्यादि खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए महिला पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था कर परंपरा को बचाए रखने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है

tradition of chhattisgarh :इसी कड़ी में आज भी नन्हे नन्हे बच्चे स्वंफूर्त ही छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवंत रखने के लिए संघर्षरत हैं जब से कार्तिक मास लगा है तब से लवन क्षेत्र के ग्राम कोलिहा मुंडा धनधनी बरदा सरवाडी जुड़ा सुंधेला कोरदा डोगरा अहिल्दा चिरपोटा में छोटे-छोटे बच्चों द्वारा अपनी परंपरा को बचाने अक्षुण बनाए रखने के उद्देश्य से सुबह शाम नृत्य करते दिख रहे हैं और घर-घर जाकर लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ अपनी परंपरा को भी बनाए रखने का संदेश दे रहे हैं छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ की लोक कला पंथी कर्मा ददरिया सुवा राउत नाचा गैरी गौरा जैसे नृत्य जिसके बदौलत आज छत्तीसगढ़ की एक विशेष पहचान रही है इन्हीं सांस्कृतिक कला के लिए पूरे भारत में भारत ही नहीं अपितु विश्व में छत्तीसगढ़ का एक विशिष्ट पहचान संस्कृति परम्परा कला रहन सहन खान पान के लिए पहचान बना हुआ है

tradition of chhattisgarh : आज इसी कला को ननिहाल बच्चों द्वारा जीवंत रखने के लिए घर-घर पहुंचकर सुबह शाम नित्य करते दिख रहे हैं और लोगों द्वारा भी छोटे-छोटे बच्चों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अन्य दान के साथ-साथ द्रव्य दान भी देकर बच्चों को प्रोत्साहित कर रहे हैं इसके बदले छोटे-छोटे बच्चों द्वारा प्रत्येक घरों के परिवार को गीत के माध्यम से आशीष प्रदान करते दिख रहे हैं

ग्राम कोलिहा में kg1 से लेकर दूसरी तीसरी के भी बालिकाओं ने विशेष रुचि लेकर कुमारी अक्षिता वर्मा सजल साहू मानवी वर्मा सहित अपने टीम के द्वारा प्रत्येक घरों में जाकर नित्य कर रहे हैं और कार्तिक मास में के अंत में सुआ नृत्य से प्राप्त अन्य दान एवं द्रव्य दान का उपयोग सामूहिक भोज के साथ साथ अच्छे कार्यों के लिए किया जाता है एक विशेष आयोजन किया जाता है

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