एक था टाइगर… और अब टाइगर-2! बारनवापारा के जंगल में फिर लौट आया जंगल का राजा

एक था टाइगर… और अब टाइगर-2! बारनवापारा के जंगल में फिर लौट आया जंगल का राजा (Chhattisgarh Talk)
एक था टाइगर… और अब टाइगर-2! बारनवापारा के जंगल में फिर लौट आया जंगल का राजा (Chhattisgarh Talk)

एक था टाइगर… और अब टाइगर-2! बारनवापारा अभयारण्य में फिर गूंजा दहाड़ का स्वर, टाइगर की वापसी से उत्साह और सतर्कता दोनों चरम पर

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य में एक बार फिर “टाइगर की दस्तक” ने हलचल मचा दी है। जंगलों में कैमरा ट्रैप और पदचिह्नों के निशान इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि यहां एक बाघ की मौजूदगी फिर दर्ज की गई है। वन विकास निगम क्षेत्र के अधिकारी और फील्ड स्टाफ लगातार सर्च ऑपरेशन में जुटे हैं। इलाके में ग्रामीणों की आवाजाही रोक दी गई है, ताकि बाघ को एक शांत और सुरक्षित वातावरण मिल सके। बारनवापारा अभयारण्य, जो पिछले कुछ वर्षों से हाथियों के दल और तेंदुओं की गतिविधियों के लिए जाना जा रहा था, अब एक बार फिर “जंगल के असली राजा” की वापसी का गवाह बन रहा है।

एक था टाइगर…अब टाइगर-2 की दस्तक से जंगल में हलचल

पिछले सप्ताह वन विकास निगम क्षेत्र में बाघ के पंजों के ताजा निशान और शिकार के संकेत मिले। टीम ने जब सर्च ऑपरेशन शुरू किया, तो यह स्पष्ट हुआ कि यह कोई छोटा जानवर नहीं, बल्कि एक परिपक्व नर बाघ है, जो संभवतः पड़ोसी राज्य ओडिशा के जंगलों से यहां पहुंचा है। स्रोतों के मुताबिक, फिलहाल इसका मूवमेंट बलौदाबाजार और महासमुंद जिला सीमा के बीच स्थित वन विकास निगम के जंगलों में रिकॉर्ड किया गया है। फिरहाल आज 10 नवंबर को मीडिया को DFO गणवीर धमसील ने इसकी पुष्टि की और मीडिया को टाइगर से सम्बंधित जानकारी दी हैं।

वन विभाग के अधिकारी इस बाघ को “टाइगर-2” कह रहे हैं, क्योंकि ठीक डेढ़ साल पहले इसी क्षेत्र में एक और बाघ की मौजूदगी दर्ज की गई थी, रक था टाइगर- बाघ करीब 7 से 8 वर्ष का का था और पूरी तरह स्वस्थ था जिसे बाद में सुरक्षा कारणों से ट्रेंकुलाइज कर गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व भेजा गया था।

“एक था टाइगर” – 2024 की कहानी

9 नवंबर 2025 को जब बाघ के नए मूवमेंट की खबर आई, तो वन विभाग के पुराने रिकॉर्ड खंगाले गए। पता चला कि 10 अप्रैल 2024 को ETV भारत ने इसी अभयारण्य में “एक था टाइगर” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। तब सबसे पहले शिक्षक कांशीराम पटेल ने 7 मार्च 2024 को सिरपुर रोड के पास बाघ को देखा था। उन्होंने वीडियो बनाकर वन विभाग को भेजा था, लेकिन शुरुआती दिनों में विभाग ने इस सूचना को हल्के में लिया।

जब वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ, तब जाकर प्रशासन और वन विभाग हरकत में आया। पूर्व कलेक्टर कुमार लाल चौहान ने तत्काल टीम गठित की, 7 गांवों में धारा 144 लागू की गई, और बाघ की सुरक्षा को लेकर SOP लागू हुआ। 14 मार्च को बल्दाकछार परिक्षेत्र के कर्मचारियों ने बाघ को प्रत्यक्ष देखा और NTCA के प्रोटोकॉल के तहत कार्रवाई शुरू हुई। बाद में वही बाघ ट्रेंकुलाइज कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया।

अब “टाइगर-2” का मूवमेंट: एक नए अध्याय की शुरुआत

नवंबर 2025 की शुरुआत में जब नए बाघ के पैरों के निशान मिले, तो पूरे विभाग में हलचल मच गई। स्थानीय लोग इसे “टाइगर-2 की वापसी” कह रहे हैं। बारनवापारा अभ्यारण्य में फिर से टाइगर की मौजूदगी दर्ज की गई है। वन विकास निगम क्षेत्र में टाइगर मूवमेंट के संकेत मिलने के बाद वन विभाग अलर्ट पर है। अधिकारियों ने सर्च ऑपरेशन तेज करते हुए इलाके में गश्त और निगरानी बढ़ा दी है। दरअसल, बलौदाबाजार और महासमुंद जिले की सीमा पर स्थित वन विकास निगम क्षेत्र में बाघ के पैरों के निशान और मूवमेंट के संकेत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार, यह बाघ पड़ोसी राज्य के जंगलों से यहां पहुंचा है। फिलहाल विभाग बाघ के मूवमेंट पर नजर रखे हुए है और इलाके में कैमरा ट्रैप एवं पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है ताकि उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

ग्रामीणों की आवाजाही पर रोक, सर्च ऑपरेशन जारी

वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल के अंदर या आसपास न जाएं। कई पगडंडियों और पर्यटन मार्गों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

एक अधिकारी ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि, –“हम चाहते हैं कि बाघ को मानव गतिविधि से दूर रखा जाए। फिलहाल कैमरा ट्रैप से हमें सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। यह हमारे लिए संरक्षण की दिशा में एक शुभ संकेत है।”बारनवापारा अभयारण्य के अधीक्षक ने भी पुष्टि की कि बाघ की सुरक्षा के लिए पूरे इलाके में अतिरिक्त टीमों की तैनाती की गई है।

हाथियों की मौजूदगी से बढ़ी चुनौती

बाघ की वापसी के साथ ही विभाग के सामने एक नई मुश्किल भी खड़ी हो गई है। इसी इलाके में 28 हाथियों का दल कई महीनों से सक्रिय है। कुछ दिन पहले हरदी गांव में एक किसान की हाथी हमले में मौत हो चुकी है। वहीं, तीन हाथी एक कुएं में गिर गए थे, जिनके लिए विभाग को 8 घंटे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा था। अब बाघ और हाथी दोनों की उपस्थिति ने फील्ड टीमों के लिए स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

एक अधिकारी ने बताया –“जहां बाघ है, वहां शिकार प्राणी भी होंगे। ऐसे में हाथियों का दल और बाघ एक ही क्षेत्र में रहना विभाग के लिए मॉनिटरिंग की बड़ी चुनौती बन गया है।”

ऐसे में टाइगर की मौजूदगी से विभाग के लिए एक और चुनौती खड़ी हो गई है। जंगल में अब एक तरफ हाथियों का दल है और दूसरी तरफ बाघ का मूवमेंट, जिससे फील्ड टीम को 24 घंटे चौकसी रखनी पड़ रही है।

संरक्षण के लिहाज से अच्छी खबर

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ की मौजूदगी यह दर्शाती है कि बारनवापारा की पारिस्थितिकी अब भी जीवंत और सक्षम है। इसका मतलब यह है कि जंगलों में पर्याप्त शिकार, जल स्रोत और सुरक्षित कॉरिडोर मौजूद हैं।“किसी भी क्षेत्र में बाघ का लौटना पारिस्थितिकी की मजबूती का संकेत होता है। यह दिखाता है कि वहां शिकार प्राणी, पेड़-पौधे और पर्यावरण सभी संतुलित हैं। बारनवापारा के लिए यह उत्साहजनक खबर है।”

लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं

बाघ की सुरक्षा आसान नहीं होगी। विभाग के पास सीमित संसाधन हैं, और शिकारियों की सक्रियता लगातार खतरा बनी हुई है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जंगलों में करंट तार, फंदे, और जहर मिले जल स्रोत जैसी घटनाएं हर साल कई जानवरों की जान ले लेती हैं। ऐसे में टाइगर की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

Chhattisgarhtalk.com की पड़ताल में सामने आया है कि पिछले तीन वर्षों में बारनवापारा और आसपास के जंगलों में 50 से अधिक जंगली जानवरों की मौत शिकार या करंट से हुई है।

DFO द्वारा दिये गए रिपोर्ट के मुताबिक,

  • वर्ष 2023 में कुल 15 वन्यप्राणियों की मौत: आवारा कुत्तों के हमले से 8, प्राकृतिक-2, बीमारी से-2, अज्ञात कारणों से-3।
  • वर्ष 2024 में कुल 22 वन्यप्राणियों की मौत : आवारा कुत्तों के हमले से 4, वन्यप्राणियों के हमले से-3, प्राकृतिक-4, पानी मे डूबने से-1, अज्ञात कारणों से-6, आपसी लड़ाई-1, अवैध शिकार से-2, वाहन दुर्घटनाओं से-1
  • वर्ष 2025 में कुल 15 वन्यप्राणियों की मौत : आवारा कुत्तों के हमले से 3, वन्यप्राणियों के हमले से-3, प्राकृतिक-2, बीमारी से-1, अज्ञात कारणों से-4, अवैध शिकार से-1, वाहन दुर्घटनाओं से-1

वीडियो फुटेज एक था टाइगर का है (यानी पिछले साल का)…

📍बलौदाबाजार से केशव साहू की ग्राउंड रिपोर्ट

चंद्रकांत वर्मा, संपादक – ChhattisgarhTalk.com
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