छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ -सरकार की डिजिटल पहल पर सवाल, ऑनलाइन कार्य कैसे होगा?

छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ -सरकार की डिजिटल पहल पर सवाल, ऑनलाइन कार्य कैसे होगा?
छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ -सरकार की डिजिटल पहल पर सवाल, ऑनलाइन कार्य कैसे होगा?

“छत्तीसगढ़ के पटवारियों को ऑनलाइन कार्य के लिए जरूरी डिजिटल संसाधन नहीं” सरकार की डिजिटल पहल पर सवाल- ऑनलाइन कार्य कैसे होगा?

छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ: छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल क्रांति का दावा किया था और यह कहा था कि सभी सरकारी कार्य ऑनलाइन होंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और समय की बचत होगी। लेकिन, जब बात राजस्व विभाग के पटवारियों की आई, तो यह दावा पूरी तरह से धरातल पर न उतरता दिखाई दे रहा है। हाल ही में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी में यह सामने आया है कि राज्य सरकार ने पटवारियों को ऑनलाइन कार्यों के लिए न तो कंप्यूटर, न लैपटॉप, और न ही इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की हैं।

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यह स्थिति तब सामने आई है, जब राज्य सरकार ने भू-अभिलेख जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को ऑनलाइन कर दिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि पटवारियों के पास डिजिटल संसाधन नहीं हैं, तो कैसे वे इन कार्यों को सही तरीके से कर पाएंगे?

RTI से मिली जानकारी

अनिल साखरे द्वारा दायर सूचना के अधिकार आवेदन में पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार ने पटवारियों को ऑनलाइन कार्य संपादन के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप या अन्य डिजिटल उपकरण प्रदान किए हैं? इसके अलावा, यह भी पूछा गया था कि वर्तमान में इन उपकरणों की स्थिति क्या है, कितने उपकरण काम कर रहे हैं और कितने खराब पड़े हुए हैं।

छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ: सरकारी अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने पटवारियों को ऑनलाइन कार्यों के लिए कोई कंप्यूटर या लैपटॉप उपलब्ध नहीं कराया है। इससे यह साफ होता है कि जबकि विभाग ने भू-अभिलेख से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को ऑनलाइन कर दिया है, लेकिन उन कार्यों को सटीक तरीके से निष्पादित करने के लिए पटवारियों को कोई डिजिटल संसाधन मुहैया नहीं कराया गया है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पटवारियों को काम करने में मुश्किलें

राज्य सरकार ने भू-अभिलेख के कार्यों को डिजिटल और ऑनलाइन बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है, लेकिन यह कदम बिना उचित संसाधनों के कहीं न कहीं पटवारियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। पटवारी ग्रामीण इलाकों में कार्यरत होते हैं और उनके पास इन कार्यों को ऑनलाइन करने के लिए आवश्यक उपकरणों की भारी कमी है। ऐसे में, यदि पटवारियों को कंप्यूटर या लैपटॉप नहीं मिलेंगे, तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कैसे काम होगा और राजस्व संबंधित कार्यों में कितना प्रभाव पड़ेगा, यह सवाल गंभीर है।

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छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ: विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल माध्यम से कार्य करने के लिए एक मजबूत और सुचारू ढांचा होना चाहिए, जो न केवल उपकरणों को शामिल करता है, बल्कि इंटरनेट की सुविधाएँ भी प्रदान करता है। ऐसे में, यदि राज्य सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, तो ऑनलाइन कार्य प्रणाली प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाएगी।

शासन की जवाबदेही पर सवाल

यह स्थिति तब आई है जब राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई योजनाओं के तहत डिजिटल क्रांति का दावा किया था। सरकार ने कई बार यह कहा है कि सभी सरकारी कार्य ऑनलाइन किए जाएंगे, ताकि पारदर्शिता और समय की बचत हो सके। लेकिन जब पटवारियों को बुनियादी उपकरण भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, तो राज्य के डिजिटल अभियान की सफलता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

इसके अलावा, विभाग द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि न तो उपकरणों की मरम्मत के लिए कोई ठोस व्यवस्था की गई है और न ही भविष्य में उन्हें कार्यशील बनाए रखने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं। इससे यह साफ होता है कि शासन की ओर से पटवारियों की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में पटवारियों की समस्याएँ

पटवारियों के पास न तो कंप्यूटर हैं, न लैपटॉप, और न ही इंटरनेट की उचित सुविधा, जबकि उनका काम अब पूरी तरह से ऑनलाइन हो चुका है।

पटवारियों का कहना है कि बिना उपकरणों के ऑनलाइन काम करना असंभव है। इनका मुख्य कार्य भूमि अभिलेखों की अद्यतन जानकारी, खतौनी, जमाबंदी, भूमि सर्वेक्षण और भूमि विवादों का समाधान करना है। अब जब यह कार्य ऑनलाइन हो गया है, तो पटवारियों को अपनी कार्य क्षमता में सुधार के लिए डिजिटल संसाधनों की आवश्यकता है।

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पटवारियों की समस्याएँ:

  1. कंप्यूटर और लैपटॉप की कमी: पटवारियों के पास कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट की सुविधाएँ नहीं हैं, जो उनके ऑनलाइन कार्य के लिए आवश्यक हैं।
  2. ऑनलाइन कार्य में कठिनाई: भूमि अभिलेखों की अद्यतन जानकारी, खतौनी, जमाबंदी, भूमि सर्वेक्षण और भूमि विवादों का समाधान अब पूरी तरह से ऑनलाइन किया जा रहा है, लेकिन बुनियादी उपकरणों की कमी के कारण पटवारियों को यह कार्य करना असंभव हो रहा है।
  3. डिजिटल संसाधनों की आवश्यकता: पटवारियों का कहना है कि बिना कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट के ऑनलाइन कार्य संपादित करना न केवल कठिन है, बल्कि असंभव भी है। उनके कार्यों में सुधार के लिए डिजिटल संसाधनों की सख्त आवश्यकता है।
  4. राज्य सरकार की उपेक्षा: राज्य सरकार ने ऑनलाइन कार्य प्रणाली को लागू किया है, लेकिन पटवारियों को इस कार्य को सही तरीके से करने के लिए कोई डिजिटल संसाधन नहीं प्रदान किए गए, जिससे उनकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
  5. सिस्टम की सफलता पर सवाल: यदि राज्य सरकार पटवारियों को आवश्यक उपकरणों और सुविधाओं से वंचित रखेगी, तो डिजिटल राजस्व प्रणाली का सफल कार्यान्वयन मुश्किल होगा और यह राज्य सरकार के डिजिटल अभियान पर सवाल खड़ा कर सकता है।

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क्या है सरकार का रुख?

राज्य सरकार की ओर से इस मामले पर कोई स्पष्ट बयान अभी तक नहीं आया है। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस मुद्दे पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा और पटवारियों के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने पर विचार किया जाएगा। लेकिन, इस बीच, यह सवाल उठता है कि क्या यह कदम शासन की प्राथमिकता में है या यह सिर्फ एक और सरकारी आश्वासन होगा जो लंबे समय तक लागू नहीं हो पाएगा।

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छत्तीसगढ़ के पटवारियों को राज्य शासन ने नहीं दी कंप्यूटर लैपटॉप और इंटरनेट सुविधाएँ: राज्य के डिजिटल पहल को प्रभावी बनाने के लिए यह जरूरी है कि सरकार पटवारियों को आवश्यक उपकरण और इंटरनेट सुविधाएँ प्रदान करे। अन्यथा, ऑनलाइन प्रणाली का सही तरीके से कार्यान्वयन संभव नहीं हो सकेगा। समय की जरूरत है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और पटवारियों को कार्य संपादन के लिए डिजिटल संसाधन जल्द मुहैया कराए, ताकि राज्य का राजस्व कार्य सुचारू रूप से चल सके।

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