



कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा और श्याम बिहारी जायसवाल की प्रेस वार्ता से टीवी रिपोर्टर्स ने किया बहिष्कार, पत्रकारों ने कहा- जब तक सम्मान नहीं, कवरेज नहीं।
बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में एक अभूतपूर्व दृश्य सामने आया। भाजपा जिला कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में मंच पर राज्य सरकार के दो कैबिनेट मंत्री—राजस्व व खेल मंत्री टंकराम वर्मा और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तो मौजूद थे, लेकिन टीवी चैनलों के जिला रिपोर्टर्स ने प्रेस वार्ता का सामूहिक बहिष्कार कर दिया। कैमरे मंच में चालू नहीं हुए। माइक नहीं लगे। प्रेस वार्ता थी, लेकिन कवरेज नहीं।
बार-बार अपमान, अब एकजुट प्रतिरोध
ETV भारत, NDTV, AAJ TAK, News24, IBC24, News18, Bansal समेत सभी टीवी चैनलों के जिला पत्रकारों ने मंच की शोभा बनने की बजाय, सवालों की गरिमा को बचाना चुना। प्रेस वार्ता का बहिष्कार केवल कैमरे बंद करने का निर्णय नहीं था — यह लोकतंत्र में पत्रकार की भूमिका को फिर से परिभाषित करने का साहसिक कदम था। यह बहिष्कार केवल कवरेज बंद करना नहीं था, बल्कि सम्मान और संवाद की मांग को लेकर किया गया संगठित विरोध था।
पत्रकारों ने बताया कि बीते एक वर्ष में कई बार मंत्रियों या उनके स्टाफ द्वारा बदसुलूकी, अनदेखी और संवादहीन रवैये का सामना करना पड़ा है। अब पानी सिर से ऊपर हो चुका है, इसलिए यह सामूहिक और मजबूत विरोध दर्ज कराया गया।
हम जनहित में काम करते हैं। प्रेस, किसी मंत्री या दल का निजी प्रचारक नहीं होता। संवाद में गरिमा, सवालों में आज़ादी और पत्रकारों में सम्मान — यही लोकतंत्र की बुनियाद है। जब इन सबका हनन होता है, तो विरोध स्वाभाविक है। हमारा बहिष्कार किसी पार्टी विशेष से नहीं, बल्कि उस कार्यशैली से है जो पत्रकारों को निमंत्रित जरूर करती है, लेकिन संवाद नहीं देती। जब तक संवाद में सम्मान नहीं लौटेगा, कवरेज स्थगित रहेगी। और ये फैसला अंतिम है और स्पष्ट है। : चंद्रकांत (चंदु) वर्मा, ETV भारत, जिला रिपोर्टर
टीवी मीडिया पूरी तरह नदारद, मंच पर दिखा असहज माहौल
जहां कुछ वेब और प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधि कार्यक्रम में मौजूद रहे, वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अनुपस्थिति ने माहौल को असहज कर दिया। मंच पर मंत्रियों की मौजूदगी, भाजपा जिला कार्यालय बलौदाबाजार की प्रेस वार्ता में दो कैबिनेट मंत्री राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, शिवरतन शर्मा बैठे रहे, लेकिन खामोश थे टीवी चैनलों के कैमरे — इस दृश्य ने साफ कर दिया कि सम्मान न हो, तो प्रसारण नहीं होगा।
हम प्रचार नहीं करते, संवाद करते हैं
NDTV के जिला रिपोर्टर दीपेंद्र शुक्ला का कहना है कि बीते एक साल से मंत्रियों के व्यवहार में अहंकार, उपेक्षा और संवादहीनता का बोलबाला है। सवाल पूछने पर एफआईआर की धमकी, मंच पर पत्रकारों को अनदेखा करना, और प्रेस वार्ताओं को महज़ फोटोशूट में बदल देना — यही आज की पत्रकारिता का सामना कर रही है।
हमने हर पार्टी के हर कार्यक्रम को कवर किया। लेकिन जब पत्रकार केवल मूक दर्शक बनकर बुलाए जाएं, जब सवाल पूछने पर अपराधी जैसा बर्ताव हो — तो कवरेज नहीं, आत्मसम्मान बचाना ज़रूरी हो जाता है। : अरविंद मिश्रा, न्यूज़ 24 जिला रिपोर्टर
सिर्फ कवरेज नहीं, सम्मान भी जरूरी — मीडिया की दो टूक
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े सभी टीवी चैनल के पत्रकारों ने स्पष्ट कहा कि “हम लगातार भाजपा और मंत्रियों के कार्यक्रमों को कवरेज देते आ रहे हैं, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र के आयोजन हों या शहर में होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस। लेकिन अगर संवाद में सम्मान, गरिमा और सहयोग नहीं मिलेगा, तो कवरेज महज दिखावा बनकर रह जाएगा।” इसी के चलते पत्रकारों ने न सिर्फ इस प्रेस वार्ता, बल्कि भाजपा के आगामी कार्यक्रमों और विशेष रूप से दोनों कैबिनेट मंत्रियों की गतिविधियों के बहिष्कार का निर्णय लिया है।
⚠️ जब सवाल पूछना अपराध बना दिया गया…
गौर करने वाली बात ये है कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बीते एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकार आलोक मिश्रा के सवाल पूछने पर एफआईआर की धमकी दी थी, जिससे तब भी रोष पैदा हुआ था।
हालांकि उस समय प्रतिक्रिया सीमित रही, लेकिन वह घटना पत्रकारों की स्मृति में आज भी ताज़ा है — और यही आज की एकजुटता का बीज बन गई।
क्या संगठन संवाद की पहल करेगा?
अब सबकी नजर भाजपा जिला संगठन और मंत्रियों की प्रतिक्रिया पर है। क्या संवाद स्थापित होगा? या यह दूरी और बढ़ेगी? पत्रकारों की नाराजगी को हल करना अब पार्टी की प्राथमिकता होनी चाहिए, वरना यह असंतोष जनसंपर्क की बड़ी चुनौती बन सकता है।
IBC24 के रिपोर्टर सुनील साहू ने कहा कि राजनीति को यह समझना होगा कि प्रेस का मंच केवल प्रचार का औजार नहीं है, बल्कि जनचेतना का आईना है। और जब इस आईने में प्रतिबिंब बिगाड़ने की कोशिश होती है, तो पत्रकारों का विरोध स्वाभाविक है।
यह वक्त है संवाद की मर्यादा को बहाल करने का। मंत्री हों या अधिकारी, सभी को यह स्वीकार करना होगा कि सम्मान सिर्फ पद से नहीं, व्यवहार से मिलता है। पत्रकार अगर माइक बंद करें, तो सच्चाई की आवाज कौन उठाएगा? : चंदु वर्मा, ईटीवी भारत
आलोक मिश्रा ने कहा कि, गत कई अवसरों पर हमारे साथ न केवल असहयोगात्मक व्यवहार हुआ, बल्कि सवाल पूछने पर एफआईआर की धमकी तक दी गई। प्रेस को केवल फोटोशूट या मूक प्रचार का माध्यम समझा जाने लगा है, जो न पत्रकारिता के मूल्यों के अनुकूल है, न लोकतंत्र की मर्यादा के।
हमारा यह बहिष्कार एकजुट निर्णय है। जब तक संवाद में गरिमा और पत्रकारों के प्रति सम्मान नहीं लौटता, कवरेज स्थगित रहेगा। : देवेश साहू, बंसल न्यूज़
पत्रकार संघ की ओर से वर्जन
हम वर्षों से बिना किसी भेदभाव के हर दल, हर जनप्रतिनिधि और हर कार्यक्रम की कवरेज करते आए हैं। चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस, या अन्य कोई राजनीतिक दल। हमारा उद्देश्य केवल सूचना देना नहीं, बल्कि जनहित में संवाद को मजबूत करना है। लेकिन जब संवाद की जगह उपेक्षा ले ले, सम्मान की जगह तानाशाही व्यवहार आ जाए, और सवाल पूछने पर एफआईआर की धमकी मिले — तब पत्रकारिता नहीं, केवल दिखावा बचता है। आज का बहिष्कार किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि उस कार्यशैली और व्यवहार के विरोध में है जो संवाद की मर्यादा को बार-बार तोड़ती है।
हम चाहते हैं कि मीडिया को केवल प्रचार का माध्यम न समझा जाए, बल्कि समान सहभागिता और सम्मान के साथ संवाद का एक जरूरी स्तंभ माना जाए। जब तक यह नहीं होता, तब तक कवरेज भी स्थगित रहेगी — यह हमारा एकजुट निर्णय है। हमारी अपेक्षा है कि भाजपा जिला संगठन और माननीय मंत्रीगण इस विषय को गंभीरता से लें और भविष्य में संवाद को गरिमामय और सहयोगात्मक बनाएं। यही लोकतंत्र की असली ताकत है।” — जिला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संघ, बलौदाबाजार (ETV भारत, Bharat Express, NDTV, Aaj Tak, न्यूज़ 24, IBC 24, Sahara Samay, Sadhana, News18, India News, Asian, INH, Swaraaj Express, Raftar, Total TV सहित सभी चैनल्स के प्रतिनिधियों द्वारा अनुमोदित)
भाजपा संगठन और मंत्रियों की अगली चाल पर निगाहें
इस अभूतपूर्व बहिष्कार के बाद अब सबकी निगाहें भाजपा जिला संगठन और दोनों मंत्रियों की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
क्या वे संवाद की पहल करेंगे? या यह टकराव लंबा खिंचेगा?
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