Chhattisgarh News: सीमेंट फैक्ट्री से उड़ने वाली धूल जन जीवन को कर रही प्रभावित, नए कलेक्टर साहब लेंगे संज्ञान??
बालगोविंद मार्कण्डेय/बलौदाबाजार: स्थानीय अंबुजा अडानी सीमेंट संयंत्र अपनी परिधि के गांव में बसे वासिदो के सांसों में रात को डस्ट छोड़कर जहर घोलने का काम कर रही है संयंत्र रात्रि 10:00 बजे के बाद डस्ट, फ्लाईएस व कोयले के बारिक कण छोड़कर वातावरण को दूषित कर रही है। साथ ही स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बीमारी में धकेलने का काम कर रही है। संयंत्र प्रतिदिन भारी मात्रा में डस्ट छोड़कर वातावरण में मौजूद प्राण वायु को दूषित कर रही हैं। संयंत्र अपने आसपास के लोगों के सांसों में स्लो पाइजन (धिमा जहर) घोल रही है। जिसके कारण ग्रामीण श्वास संबंधी बीमारियों के चपेट में आकर असमय मौत के गाल में समा रहे हैं।
सीमेंट फैक्ट्री रोजाना छोड़ रहा डस्ट
सीमेंट संयंत्र द्वारा भारी मात्रा में रोजाना डस्ट छोड़ा जा रहा है जो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानियों का सबक बना हुआ है। संयंत्र द्वारा रात में छोड़े गए डस्ट को सुबह संयंत्र प्रभावित क्षेत्र में आसानी से देखा जा सकता है गांव के घरों में फर्श पर, पक्की घरों के छतों पर व तालाबों के ऊपर पानी में डस्त की मोटी परत आसानी से देखी जा सकती है। तालाब का पानी संयंत्र से निकलने वाले डस्ट के कारण प्रदूषित होते जा रहा है जिससे इसमें स्नान करने वाले लोगों को चर्म रोग, खुजली शिकायत की शिकायत होने लगी है।
संयंत्र डस्ट से बीमारियां फैलने का खतरा
इसके अलावा बड़े-बड़े पेड़ों के पत्तों पर डस्ट की मोटी परत जमी हुई है। स्थानीय लोग रात में सोते वक्त ऑक्सीजन कम डस्ट ज्यादा फांक रहे हैं। संयंत्र से निकलने वाले डस्ट आक्सीजन के साथ घुलकर रात में सो रहे लोगों के सांशो के माध्यम से फेफड़ों में जा रही है । रात में सो रहे लोगों के नाक में सुबह डस्ट की काली परत को भी आसानी से देखी जा सकती है। संयंत्र से निकलने वाला डस्ट सांसों के माध्यम से लोगों के गले में जमने लगा है। जिससे लोगों को फेफड़े संबंधित बीमारियों व सर्दी, खांसी, एलर्जी, जैसी बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा संयंत्र से निकलने वाले प्रदूषण से लोगों में दमा जैसे बीमारियां फैलने का खतरा मंडराने लगा है।

खेतिहार जमीन होते जा रहे बंजर
संयंत्र से निकलने वाले प्रदूषण से खेतिहर जमीन बंजार होते जा रही है संयंत्र का डस्ट खेतिहर जमीन मैं गिरकर जमीन के सतह पर जम रही है। जिससे जमीन का उपजाऊ पान खत्म होते जा रहा है जिस जमीन में किसान प्रति एकड़ 25 से 30 बोरा धान की फसल उपजाया करता था। आज वहां 15 से 16 बोरा ही धान की फसल हो पा रही है। जमीन का उपजाऊ पान संयंत्र से निकलने वाले डस्ट के कारण धीरे-धीरे खत्म होते जा रहा है। संयंत्र के डस्ट से फसलों को कई प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ता है। जिससे संयंत्र के परिधि में कृषि करने वाले कृषकों की चिंता बढ़ गई है।
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