बलौदाबाजार में उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष कार्यशाला

उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष कार्यशाला (Chhattisgarh Talk News Baloda Bazar)
उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष कार्यशाला (Chhattisgarh Talk News Baloda Bazar)

बलौदाबाजार में उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष कार्यशाला, जानिए उच्च जोखिम गर्भावस्था की पहचान, जोखिम घटाने के उपाय और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के बारे में

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में पहली बार उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और प्रसव पूर्व एवं पश्चात देखभाल को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य जिले में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाना और मातृ मृत्यु दर को घटाना था। कार्यशाला जिला अस्पताल बलौदाबाजार के सभाकक्ष में आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में पदस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों और ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों के लिए आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्घाटन नगर पालिका अध्यक्ष चित्तावर जायसवाल ने किया।

उद्घाटन के बाद, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश कुमार अवस्थी ने बताया कि यह कार्यक्रम जिले में अपनी तरह का पहला प्रशिक्षण सत्र था, जिसमें सात स्त्री रोग विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताओं पर विस्तार से चर्चा की। यह पहल मातृत्व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और सुरक्षित गर्भावस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।

उच्च जोखिम गर्भवती महिलाएं: जीवन को संकटमुक्त बनाने के लिए जरूरी कदम

  1. प्लेसेंटा प्रीविया: जब बच्चा पालने वाली थैली निचले हिस्से में आ जाती है, तो इससे प्रसव के समय जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा हो सकता है। सोनोग्राफी के जरिए इस स्थिति की पहचान की जा सकती है और इसकी तैयारी की जा सकती है।
  2. उच्च रक्तचाप: यदि गर्भवती महिला का रक्तचाप 140/90 से अधिक हो, तो उसे निगरानी और दवाई की आवश्यकता होती है। उच्च रक्तचाप की स्थिति में महिला को झटके आ सकते हैं और समय से पूर्व प्रसव हो सकता है।
  3. रक्तस्राव की स्थिति: प्रसव के दौरान 500 मिली से अधिक रक्तस्राव हो सकता है, जो जानलेवा हो सकता है। इस स्थिति में, बैलून टेंपोनाट का उपयोग किया जाता है, जिससे रक्तस्राव को कुछ समय के लिए रोका जा सकता है और उच्च संस्थान में भेजने के लिए समय मिल सकता है।
  4. एनीमिया: अगर महिला का हीमोग्लोबिन 9 ग्राम से कम है, तो उसे आयरन सुक्रोज दिया जाता है, और यदि यह 7 ग्राम से कम हो, तो रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है।

बलौदाबाजार में “गर्भवती महिलाएं” को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाएं

जिला कार्यक्रम प्रबंधक सृष्टि मिश्रा ने बताया कि बलौदाबाजार जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत, हर महीने की 9 और 24 तारीख को गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाती है। इसके अलावा, मंगलवार और शुक्रवार को आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के टीकाकरण के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं की भी जांच की जाती है। गर्भवती महिलाओं को कुल चार बार निर्धारित स्वास्थ्य परीक्षण किए जाते हैं। संस्थागत प्रसव करने पर ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है।

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उच्च जोखिम गर्भवती महिलाएं: विशेषज्ञ ने कहा?

कार्यशाला के दौरान, मातृत्व स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डॉ. शशि जायसवाल ने उच्च जोखिम गर्भवस्था के लक्षणों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अधिक उम्र, छोटा कद, पहले से रक्तस्राव, जुड़वा बच्चों का होना, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और गंभीर एनीमिया जैसी समस्याएं उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि यदि गर्भवती महिला ने अपनी गर्भावस्था के दौरान चार बार स्वास्थ्य जांच करवाई है, तो उसकी स्थिति को ठीक से जाना जा सकता है, जिससे उसे उच्च जोखिम में आने से पहले आवश्यक देखभाल मिल सके।

प्रशिक्षण में शामिल विशेषज्ञ: कार्यशाला में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता वर्मा, डॉ. गीतिका शंकर तिवारी, डॉ. खुशबू बाजपेयी, डॉ. प्रीति बाला, डॉ. स्वाति, डॉ. करुणा यादव, डॉ. ऋतु शिल्प वर्मा, सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार वर्मा, अस्पताल सलाहकार रीना सलूजा, आरएमएनसीएच सलाहकार हर्षलता जायसवाल, नर्सिंग ऑफिसर कुमुदिनी वर्मा सहित अन्य स्टाफ उपस्थित रहे।

यह कार्यशाला स्वास्थ्य कर्मियों को गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और मातृत्व स्वास्थ्य पर गहरी समझ प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, सही आहार, तनाव मुक्त जीवनशैली, और चिकित्सा सलाह की अहम भूमिका है। यदि इन कदमों को सही तरीके से अपनाया जाए तो गर्भवती महिला और शिशु दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है और गर्भावस्था के दौरान किसी भी संकट से बचा जा सकता है।

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