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SECL stuck file : SECL मेगा प्रोजेक्ट विस्तार की अटकी फाइल, मंत्रालय में थी लंबित; कोल इंडिया को आवंटित वन भूमि कोयला खनन कैसे हो रहा है? पढ़िए

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SECL stuck file : SECL मेगा प्रोजेक्ट विस्तार की अटकी फाइल, मंत्रालय में थी लंबित; कोल इंडिया को आवंटित वन भूमि कोयला खनन कैसे हो रहा है? पढ़िए

वन महानिरीक्षक व चेयरमैन ने किया निरीक्षण कोल इंडिया की ओर से खदान विस्तार को लेकर कई प्रस्ताव दिए गए हैं, जो मंत्रालय में लंबित है कोल इंडिया को आवंटित वन भूमि कोयला खनन कैसे हो रहा है? इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है?

Chhattisgarh Talk / भूपेंद्र साहू / कोरबा : भारत देश की ऊर्जा जरुरतों को पूरी करने वाली कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल के नौ खदानों की विस्तार से संबंधित फाइल केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में रूक गई है। पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल रही है। इसकी वजह वन विभाग की ओर से होने वाली प्रक्रिया में देरी हो रही है। इससे कोल इंडिया और इसकी सहयोगी कंपनी एसईसीएल की परेशानी बढ़ गई है। चिंता है कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से खदान विस्तार को लेकर हरी झंडी नहीं मिली तो कोयला उत्पादन का लक्ष्य मुश्किल हो जाएगा।

व्यू प्वाइंट से कुसमुंडा खदान का निरीक्षण

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गुरुवार को वन महानिरीक्षक (डायरेक्टर जनरल फॉरेस्ट) और माइनिंग गतिविधियों के लिए नियुक्त भारत सरकार के विशेष सचिव चन्द्र प्रकाश गोयल, अतिरिक्त वन महानिरीक्षक एसपी यादव और कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद हेलीकॉप्टर से गेवरा पहुंचे। व्यू प्वाइंट से कुसमुंडा खदान का निरीक्षण किया। खनन में लगी मशीनों को देखा। इससे पर्यावरणीय पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा। समझने का प्रयास किया।

South Eastern Coalfields Limited. देश में सर्वाधिक कोयला उत्‍पादन करने वाली कम्‍पनी है. साउथ ईस्‍टर्न कोलफील्‍ड्स लिमिटेड का कोयला दो राज्‍यों, छत्‍तीसगढ एवं मध्‍य प्रदेश राज्‍य में फैला हुआ है तथा कम्‍पनी में 65-खदानें संचालित है जिसमें 39 खदानें- छत्‍तीसगढ राज्‍य में और 26 खदानें – मध्‍य प्रदेश राज्‍य में स्थित है.

खदान विस्तार के दौरान कुसमुंडा प्रोजेक्ट के लिए काटे गए जंगल के बदले रोपे गए पौधों को देखा। डंपिंग यार्ड में लगाए गए पौधों के बारे में जानकारी प्राप्त किया। प्रबंधन की ओर से कुछ क्षेत्र में विकासित गए गए जंगल को भी देखा। स्थानीय अफसरों से खदान विस्तार के लिए वन विभाग की ओर से आ रही परेशानियों के संबंध में जाना। यहां गेवरा पहुंचे। थोड़ी देर रूकने के बाद हेलीकॉप्टर से निकल गए। इस दौरान एसईसीएल के सीएमडी डॉ. प्रेम सागर मिश्रा, कुसमुंडा के महाप्रबंधक सहित एसईसीएल के अन्य अधिकारी और वनमंडल के अफसर उपस्थित थे।

आबंटित वन भूमि का अवलोकन किया

मीडिया से चर्चा करते हुए वन महानिरीक्षक ने कहा कि कोयला खनन के लिए कोल इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनियों को वन भूमि का आवंटन किया गया है। कोल इंडिया की ओर से खदान विस्तार को लेकर कई प्रस्ताव दिए गए हैं, जो मंत्रालय में लंबित है। कोल इंडिया को आवंटित वन भूमि कोयला खनन कैसे हो रहा है? इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसको देखने के लिए उनकी टीम पहुंची है। साथ में छत्तीसगढ़ सरकार, कोल इंडिया और एसईसीएल के अफसर भी शामिल हैं। स्थिति को देखकर वन विभाग की टीम जल्द अपना निर्णय लेगी।

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