10463 शालाओं का होगा युक्तियुक्तकरण, छत्तीसगढ़ शासन ने लिया बड़ा निर्णय

स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण का आदेश किया जारी, 10 हजार 443 स्कूलों के लिए दी मंजूरी - RATIONALIZATION ORDER ISSUED (Chhattisgarh Talk)
स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण का आदेश किया जारी, 10 हजार 443 स्कूलों के लिए दी मंजूरी - RATIONALIZATION ORDER ISSUED (Chhattisgarh Talk)

chhattisgarh school rationalization: छत्तीसगढ़ शासन ने ई-संवर्ग व टी-संवर्ग की 10463 शालाओं के युक्तियुक्तकरण का आदेश जारी किया। जानिए आदेश की पूरी जानकारी और इसका असर।

रायपुर | छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य की शैक्षणिक व्यवस्था को सुदृढ़ और व्यवस्थित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए कुल 10,463 शालाओं के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह आदेश सोमवार को स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर अटल नगर से जारी किया गया।

इस फैसले के तहत ई-संवर्ग की 5849 शालाएं और टी-संवर्ग की 4614 शालाएं शामिल हैं, जिनका संरचनात्मक और शैक्षिक पुनर्गठन किया जाएगा। शासन ने इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं।

📋 क्या है युक्तियुक्तकरण?

युक्तियुक्तकरण का आशय शैक्षणिक संसाधनों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और भवनों के प्रभावी समायोजन से है, ताकि शिक्षकों की उपलब्धता, अधोसंरचना और शिक्षण गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके। जिन शालाओं में शिक्षक कम हैं या विद्यार्थी संख्या नाममात्र की है, उनका समायोजन पास की प्रभावी शालाओं से किया जाएगा।

🔍 शासन ने किन पहलुओं को ध्यान में रखा?

  • जिलों से प्राप्त प्रस्ताव
  • लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रस्तुत योजनाएं
  • समग्र शिक्षा अभियान की प्राथमिकताएं
  • अधोसंरचना, मानव संसाधन और छात्रों की उपस्थिति

🖋️ आदेश में क्या कहा गया है?

स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव आर.पी. वर्मा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है:

“राज्य शासन एतद् द्वारा जिलों से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को मान्य करते हुए ई-संवर्ग के 5849 एवं टी-संवर्ग के 4614 शालाओं के युक्तियुक्तकरण का निर्णय लिया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है।”

📍 कहाँ तक पहुंचेगा आदेश?

इस आदेश की प्रतिलिपि समस्त कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, संभागीय संयुक्त संचालक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद, पाठ्यपुस्तक निगम सहित मुख्यमंत्री सचिवालय तक भी भेजी गई है, ताकि इसे हर स्तर पर अमल में लाया जा सके।


तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा

प्रदेश में वर्तमान में 30 700 शासकीय प्राथमिक शालाएं संचालित हो रही हैं, जिनमें छात्र-शिक्षक अनुपात 21.84 है। वहीं 13149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में यह अनुपात 26.2 है, जो राष्ट्रीय औसत की तुलना में बेहतर स्थिति को दर्शाता है। इसके बावजूद कई विद्यालयों में शिक्षक संसाधनों की कमी देखने को मिल रही है। वर्तमान में प्रदेश की 212 प्राथमिक शालाएं पूर्णतः शिक्षक विहीन हैं, जबकि 6 हजार 872 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। इसी प्रकार 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षक विहीन हैं तथा 255 शालाएं एकल शिक्षकीय श्रेणी में आती है।

📢 क्या होगा असर?

  • शिक्षकों का तैनाती आधार पर पुनर्विन्यास
  • दूरस्थ और कम उपस्थिति वाली शालाएं होंगी समायोजित
  • संसाधनों की बर्बादी रुकेगी, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
  • स्कूलों के एकीकरण से प्रशासनिक बोझ होगा कम
  • विद्यार्थियों को मिलेगा बेहतर शिक्षण वातावरण

🎙️ विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

शिक्षा विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कई छोटे-छोटे स्कूल वर्षों से कम विद्यार्थियों और अधूरे स्टाफ के भरोसे चल रहे हैं। इस फैसले से शिक्षा का केन्द्रीयकरण होगा, और संसाधनों का इष्टतम उपयोग हो सकेगा।


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