Raman Singh not made the CM? छत्तीसगढ़ में आखिर रमन सिंह को बीजेपी ने मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया? जानिए हकीकत

Raman Singh not made the CM? छत्तीसगढ़ में आखिर रमन सिंह को बीजेपी ने मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया? जानिए हकीकत

Chhattisgarh Talk / नैमिष अग्रवाल / रायपुर : छत्तीसगढ़ में तीन दिसंबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखने के लिए भारतीय जनता पार्टी के रायपुर मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में विशाल एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी. दिन चढ़ने के साथ-साथ जैसे-जैसे चुनाव के परिणाम आने लगे, स्क्रीन के सामने बैठे युवा कार्यकर्ता उत्साह से भरते चले गए. भारतीय जनता पार्टी की हर उम्मीदवार की जीत के साथ उत्साहित कार्यकर्ता नारे लगाते हुए, तालियां बजाने लग जाते थे. भाजपा के एक नेता बताते हैं कि जब राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के 45,084 हज़ार वोटों से जीत की ख़बर स्क्रिन पर चमकी तो मौके पर एक जोड़ी हाथ भी ताली बजाने के लिए नहीं उठे. तो क्या लगातार 15 सालों तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह का जादू ख़त्म हो चुका है?

क्या पहले से ही रेस में नहीं थे?

Why was Raman Singh not made the Chief Minister? कम से कम ताज़ा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद उनकी जगह, आदिवासी नेता विष्णुदेव साय की मुख्यमंत्री पद पर ताज़पोशी के बाद तो ऐसा ही लगता है.छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 में से 54 सीटों पर भाजपा की जीत के बाद माना जा रहा था कि रमन सिंह फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे. हालांकि भाजपा के प्रभारी ओम माथुर कई बार कह चुके थे कि इस बार मुख्यमंत्री के लिए चौंकाने वाला नाम सामने आएगा. लेकिन चुनाव जीतने के बाद रमन सिंह के हावभाव और आत्मविश्वास को देख कर राजनीतिक गलियारे में मान लिया गया था कि रमन सिंह को फिर से मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.

अब जबकि मुख्यमंत्री पद के लिए विष्णुदेव साय के नाम की घोषणा हो चुकी है, तब सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर रमन सिंह मुख्यमंत्री पद से कैसे चूक गए? रविवार को विधायक दल की बैठक में विष्णुदेव साय को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रमन सिंह को ही रखना पड़ा. रमन सिंह को भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष की ज़िम्मेवारी सौंपी है. Why was Raman Singh not made the Chief Minister?

रमन सिंह ने कहा, ”सबकी भूमिका संगठन में तय रहती है और संगठन सबको अलग-अलग दायित्व देता है. मुझे जो भी दायित्व दिया जाएगा, उसे मैं निभाउंगा.”

रमन सिंह पहली बार कब बने विधायक??

आयुर्वेदिक डॉक्टर से पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्री और फिर मुख्यमंत्री बनने वाले रमन सिंह के पुराने सहयोगियों को 40 साल पुरानी घटनाएं जस की तस याद हैं. वे बताते हैं कि कैसे भाजपा युवा मोर्चा में काम करते हुए, 1983 में कवर्धा शहर के शीतला वार्ड से रमन सिंह ने पार्षद का चुनाव जीता था. वे अपनी छोटी-सी क्लिनिक में बैठ कर मरीज़ों को आयुर्वेदिक दवाएं दिया करते थे और मरीज़ों के इलाज के लिए घूम-घूम कर दूसरे इलाक़ों में भी जाते थे.

Why was Raman Singh not made the Chief Minister? एक लोकप्रिय चेहरा मान कर भारतीय जनता पार्टी ने अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में 1990 में उन्हें पहली बार विधानसभा की टिकट दिया. कांग्रेस के जगदीश सिंह चंद्रवंशी को 16,033 मतों के अंतर से हरा कर रमन सिंह पहली बार विधानसभा पहुंचे. छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने की तैयारी चल ही रही थी. उससे पहले 1999 में लोकसभा के चुनाव हुए और रमन सिंह राजनांदगांव लोकसभा से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे. अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में रमन सिंह को वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री की ज़िम्मेवारी सौंपी गई.

छत्तीसगढ़ बीजेपी की कमान

2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना और राज्य में अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. अजीत जोगी का जलवा ऐसा था कि भाजपा के एक दर्जन से अधिक विधायक कांग्रेस में शामिल हो चुके थे. भाजपा के नेता डरे-सहमे रहते थे. ऐसे में 2003 में छत्तीसगढ़ में जब पहली बार विधानसभा चुनाव होने थे, तब भारतीय जनता पार्टी की कमान संभालने के लिए नेता की तलाश शुरू हुई.

जशपुर इलाक़े के नेता दिलीप सिंह जूदेव और रायपुर के सांसद रमेश बैस को यह दायित्व सौंपने की कोशिश हुई, लेकिन दोनों इसके लिए तैयार नहीं हुए. अंततः रमन सिंह को केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफ़ा देकर छत्तीसगढ़ लौटना पड़ा. रमन सिंह के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस 62 सीटों से 37 सीटों पर आ गई थी और भाजपा ने 50 सीट हासिल कर, सरकार बनाने में सफलता पाई. दिसंबर 2003 में रमन सिंह मुख्यमंत्री बने और अगले 15 सालों तक, 17 दिसंबर 2018 तक इस पद पर बने रहे.

Why was Raman Singh not made the Chief Minister? छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री अजीत जोगी को तो एक पूरा कार्यकाल भी नहीं मिला था. लेकिन अजीत जोगी ने विकास की जो नींव रखी, उसे रमन सिंह ने और विस्तारित किया. बिजली, सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई के क्षेत्र में राज्य ने एक लंबी छलांग लगाई.

रमन सिंह सरकार का कामकाज़ जानिए

सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस में ग़रीबों को राशन देने की उनकी योजना की तारीफ़ तो दुनिया भर में हुई. देश में इसे एक मॉडल की तरह देखा गया. हालांकि माओवाद का विस्तार, सलवा जुड़ूम, बस्तर में आदिवासियों की इच्छा के विरुद्ध उद्योग, खदानों का आवंटन, ग़रीबी के आंकड़ों में कोई कमी नहीं, भ्रष्टाचार, निरंकुश नौकरशाही और ख़ास तौर पर अंतिम कार्यकाल में ऐसे ही कई मोर्चे पर उनकी आलोचना भी हुई. लेकिन दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत हुई और भारतीय जनता पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ा तो मान लिया गया था कि अगले 10-15 सालों तक भाजपा की वापसी मुश्किल होगी. Why was Raman Singh not made the Chief Minister?

रमन सिंह के ख़राब स्वास्थ्य के बीच मान लिया गया कि अब उनके पास किसी राज्य का राज्यपाल बनने के अलावा कोई चारा नहीं है. हालांकि महीने भर के भीतर उन्हें भाजपा ने केंद्रीय उपाध्यक्ष ज़रूर बनाया लेकिन राज्य में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों से वे दूर होते चले गए. हमेशा सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहने और ज़मीनी कार्यकर्ताओं से कम संपर्क के कारण उनकी पूछ-परख कम होती चली गई. राजनीतिक गलियारे में माना जाता है कि केंद्रीय संगठन ने भी जिन नेताओं को यहां भेजा, उन्होंने भी रमन सिंह और उनके समर्थकों को हाशिये पर रखा और नये चेहरों को ज़्यादा महत्व दिया.