बेमेतरा की राजबती को वर्षों बाद मिली अपनी ज़मीन, जिला प्रशासन की तत्परता से मिला न्याय

बेमेतरा की राजबती को वर्षों बाद मिली अपनी ज़मीन। प्रशासन की तत्परता और न्यायप्रियता ने दिलाया भरोसा और लौटाया हक़।
बेमेतरा की राजबती को वर्षों बाद मिली अपनी ज़मीन। प्रशासन की तत्परता और न्यायप्रियता ने दिलाया भरोसा और लौटाया हक़। (Chhattisgarh Talk)

 

अरुण पुरेना, बेमेतरा। जिले के बेरला ब्लॉक के ग्राम बहेरा की बुजुर्ग महिला राजबती को वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद अपनी ज़मीन का अधिकार पुनः प्राप्त हो गया है। यह सफलता प्रशासन की तत्परता, मानवीय दृष्टिकोण और न्यायप्रियता का प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसने ग्रामीण क्षेत्र में प्रशासन के प्रति विश्वास को और मजबूत किया है।

बुजुर्ग महिला राजबती का अतिक्रमण बना था परेशानी का कारण

राजबती की कृषि भूमि पर गांव के ही एक व्यक्ति ने अतिक्रमण कर लिया था। इस अतिक्रमण के चलते राजबती खेती नहीं कर पा रही थीं और उन्हें रोज़ी-रोटी के लिए भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कई बार स्थानीय स्तर पर शिकायत की, लेकिन निराकरण नहीं हो पाया। उम्र के इस पड़ाव पर वे खुद बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगा सकती थीं, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी।

बुजुर्ग महिला राजबती कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मांगा न्याय

थक-हारकर राजबती ने सीधे बेमेतरा कलेक्टर रणबीर शर्मा से संपर्क कर अपनी व्यथा बताई और लिखित आवेदन प्रस्तुत किया। कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए।

तहसीलदार की तत्पर कार्रवाई

तहसीलदार बेरला आशुतोष गुप्ता ने राजस्व टीम के साथ मौके का निरीक्षण किया। उन्होंने क्षेत्र का पुनः सीमांकन करवाया और दस्तावेज़ी स्थिति की पुष्टि की। अतिक्रमणकर्ता की उपस्थिति में पारदर्शी कार्यवाही करते हुए राजबती को उनकी भूमि पर कब्जा दिलवाया गया। इसके साथ ही भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए भूमि की सीमाओं को बांस और बल्ली से स्पष्ट रूप से चिह्नित कर दिया गया।

न्याय की उम्मीद छोड़ चुकी थीं राजबती

राजबती ने कहा, “मैंने तो न्याय की उम्मीद छोड़ दी थी। कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। अब मुझे यकीन हो गया है कि सरकार आम आदमी की भी सुनती है। मैं प्रशासन की आभारी हूं।” – राजबती

प्रशासन बना आम जनता का भरोसा

यह मामला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यदि प्रशासन संवेदनशीलता के साथ कार्य करे, तो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी न्याय मिल सकता है। यह निर्णय न केवल राजबती के लिए, बल्कि पूरे ग्रामीण समुदाय के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है।

इस घटना से यह संदेश मिलता है कि शासन यदि इच्छाशक्ति दिखाए, तो वर्षों पुराने मामलों को भी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ सुलझाया जा सकता है। यह घटना न्याय, जनसेवा और प्रशासनिक प्रतिबद्धता का एक जीवंत उदाहरण बनकर सामने आई है।

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