नेमिष अग्रवाल/राजनांदगांव: रेलवे कर्मचारियों के हितों को लेकर हमेशा सक्रिय रहने वाली यूनियनें अब अपनी मान्यता के लिए चुनाव में हिस्सा ले रही हैं। यह चुनाव दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के तहत राजनांदगांव रेलवे स्टेशन के समीप तीन दिवसीय मतदान प्रक्रिया के रूप में हो रहा है। इस चुनाव की शुरुआत 4 दिसंबर से हुई थी, और यह 5 तथा 6 दिसंबर तक जारी रहेगा। यह चुनाव गुप्त मतदान प्रणाली के तहत संपन्न हो रहा है, जिसमें रेलवे कर्मचारियों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे कर्मचारी यूनियनों को मान्यता देने के लिए यह चुनाव आयोजित किया जा रहा है। राजनांदगांव रेलवे स्टेशन के पास स्थित बूथ क्रमांक 76 में मतदान की प्रक्रिया जारी है, जिसमें रेलवे के 59 कैडर के कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस चुनाव का उद्देश्य एक यूनियन को मान्यता प्रदान करना है, जो रेलवे कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करेगी और उनकी प्रमुख मांगों को सरकार के समक्ष उठाएगी।
यूनियन से जुड़े आकाश मिश्रा और जितेंद्र कुमार दुबे ने बताया कि यह चुनाव फेडरेशन की मान्यता का चुनाव है और इस प्रक्रिया में छह यूनियन अपनी मान्यता के लिए चुनाव मैदान में हैं। मतदान के बाद, जिस यूनियन को सबसे अधिक समर्थन मिलेगा, उसके बाद उस यूनियन का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री सहित पूरी बॉडी का गठन होगा। इसके बाद, जोन और डिवीजन स्तर पर भी पदाधिकारियों का गठन होगा।
“यह चुनाव हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यूनियन की मान्यता के लिए है। हम अपने कर्मचारियों के हित में काम करने का वादा करते हैं।” –आकाश मिश्रा, यूनियन कार्यकर्ता
“इस चुनाव से हमें अपने मुद्दों को सही तरीके से प्रस्तुत करने का मौका मिल रहा है। हम आशा करते हैं कि कर्मचारी हमें अपना समर्थन देंगे।” –जितेंद्र कुमार दुबे, यूनियन कार्यकर्ता
यूनियन की मान्यता के लिए हो रहे इस चुनाव में विभिन्न यूनियनें अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। इनमें मजदूर कांग्रेस यूनियन, स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी संघ, अखंड रेलवे कर्मचारी संघ, साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे श्रमिक यूनियन, रेल मजदूर यूनियन और दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ शामिल हैं। सभी यूनियनें अपने मेनिफेस्टो के जरिए रेलवे कर्मचारियों के हित में विभिन्न मुद्दों को उठाकर चुनाव में भाग ले रही हैं।
इस चुनाव में 441 रेलवे कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह चुनाव खासतौर पर ऐतिहासिक है क्योंकि यह 11 साल बाद हो रहा है। पहले ऐसा चुनाव 2013 में हुआ था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण पिछले छह साल में यह चुनाव संपन्न नहीं हो पाया। कोरोना महामारी के दौरान, चुनाव की प्रक्रिया में देरी हुई थी और इसे अब जाकर आयोजित किया जा रहा है।
यूनियन से जुड़े लोग बताते हैं कि चुनाव में 30 प्रतिशत वोट जिस यूनियन को मिलेगा, वही यूनियन कर्मचारियों का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त करेगी। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे रेलवे कर्मचारियों की आवाज को और अधिक मजबूती मिलेगी और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक ठोस मंच तैयार होगा।
“यह चुनाव कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए है। हम अपने सभी मुद्दों को सही तरीके से प्रस्तुत करेंगे और आशा है कि कर्मचारी हमें समर्थन देंगे।” –आकाश मिश्रा, यूनियन कार्यकर्ता
“हमारा उद्देश्य कर्मचारियों के हित में काम करना है। इस चुनाव से हम अपना मुद्दा सरकार के सामने मजबूती से रख सकते हैं।” –जितेंद्र कुमार दुबे, यूनियन कार्यकर्ता
यूनियन के चुनावों के इस ऐतिहासिक मौके पर रेलवे कर्मचारियों के बीच गहरी उत्सुकता और जोश देखा जा रहा है। सभी कर्मचारियों की नजरें अब इस चुनाव के परिणामों पर हैं, जो यह तय करेंगे कि कौन सी यूनियन उनके अधिकारों की आवाज बनेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
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