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Public Service Guarantee Act: बलौदाबाजार जिले में विभागों का जेबी वीटो बनकर रह गया है लोक सेवा गारंटी अधिनियम पूरा पढ़े

Public Service Guarantee Act: बलौदाबाजार जिले में विभागों का जेबी वीटो बनकर रह गया है लोक सेवा गारंटी अधिनियम
Public Service Guarantee Act: बलौदाबाजार जिले में विभागों का जेबी वीटो बनकर रह गया है लोक सेवा गारंटी अधिनियम

लोक सेवा गारंटी अधिनियम को हो रहा है उल्लंघन

Public Service Guarantee Act: यह ऐतिहासिक अधिनियम अच्छे सुशासन को प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता का एक प्रतिबिंब है।छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011 नागरिकों को निर्धारित समय के भीतर बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है और ऐसा करने में विफलता के लिए जवाबदेही तंत्र की योजना करता है। इस अधिनियम के तहत जाति, आय, निवास, जन्म, मृत्यु , विवाह प्रमाण-पत्र जारी करना, भू-अभिलेखों की प्रतियाँ, खसरा नक्शा, जैसी 561 महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाओं को अधिसूचित किया गया है।

लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011′ देश में पहली बार, अपनी खास तरह का अधिनियम है, जो निर्धारित समय सीमा में नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं के प्रदान की गारंटी देता है। यह “ऐतिहासिक अधिनियम” अच्छे शासन को प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता का एक प्रतिबिंब है।

आम जनता को सुविधा

Public Service Guarantee Act: अधिनियम के तहत रोज के कामों के लिये अधिसूचित सेवाएं नियत समय में मिलेगी। तय समय सीमा में काम न होने पर इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है, जिसमें लोक सेवकों की जवाबदेही होगी। इस कानून में लोक सेवाओं के प्रदाय की मानीटरिंग का भी प्रावधान है। आम नागरिकों में संतोष और सरकारी व्यववस्थाक के प्रति विश्वास पैदा करना। सुशासन स्थापित करने के लिये शासन की यह क्रांतिकारी पहल राज्य शासन की जन प्रतिबद्धता को प्रमाणित करती है।

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लोक सेवाएँ प्रदान करने की गारंटी के लिये विशेष कानून

Public Service Guarantee Act: छत्तीसगढ़ लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2011 के लागू होने से अधिसूचित सेवाओं की समय सीमा में प्राप्ति सुनिश्चित होगी। अब सेवा की प्राप्ति आमजन का अधिकार है। इस महत्व पूर्ण कानून ने अब लोक सेवाओं को प्राप्त करने के लिये आमजन के याचना भाव को शक्ति में बदल दिया है। इस अधिनियम में सेवा प्रदान करने में लापरवाही बरतने वालों के लिये शास्ति (धारा 7) का प्रावधान भी है सूचना प्राप्त करने के हक की तरह अब अधिसूचित सेवाएँ प्राप्त करना भी आम जनता का हक बन गया है।

सेवा नहीं देने पर जुर्माना

हर सेवा की डिलीवरी के लिए एक समय अवधि तय की गई है। जो अधिकारी अपने कर्त्तव्यों का पालन करने में विफल रहता है और सेवाओं को समय पर प्रदान नहीं करता हैं, उसे प्रति दिन 100 रुपये से लेकर अधिकतम 1000 हजार रुपये तक की रकम का भुगतान जुर्माने के रूप में करना पडता है।

अपील का अधिकार

Public Service Guarantee Act: यह अधिनियम दो चरण की अपील प्रक्रिया प्रदान करता है। जब नागरिक को समय पर अधिसूचित सेवा प्राप्त नहीं होती तब वह प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। यदि प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय से नागिरक असंतुष्ट है तो वह दूसरे अपील प्राधिकारी के पास अपील दायर कर सकते हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ दूसरे अपीलीय प्राधिकारी को जुर्माना लगाने के और अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश देने की शक्ति होती है। जहां अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है वहीं आवेदकों को असुविधा झेलने के कारण मुआवजे का भुगतान किया जाता हैं। यह अनोखा कानून सिटीजन चार्टर के उद्देश्यों को साकार करने के लिए एक प्रभावी साधन प्रदान करता है।

गारंटी किसी काम की नहीं, अधिनियम बनाकर भूल गए अफसर

Public Service Guarantee Act: लोक सेवा में बलौदाबाजार समेत राज्यभर में लाखो से ज्यादा आवेदन और शिकायतें मिल चुकी हैं, लेकिन सभी अफसरों के टेबलों में धूल खा रही है। इनके तय समय में निराकरण के लिए 11025 लोक सेवा गांरटी केंद्र खोले गए थे, इनमें से आधे से ज्यादा में कोई कामकाज नहीं हो रहा है। अधिनियम के तहत न तो कोई कार्रवाई और न ही लोगों के काम किए जाते हैं। इस वजह से परेशान होकर लोगों ने अब शिकायत करना ही कम कर दिया है। अधिनियम के तहत काम नहीं करने वाले अफसरों पर 100 से 1000 रुपए जुर्माना का प्रावधान है। शहर मेें एक भी कर्मचारी-अफसर पर इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सरकारी कामकाज से जुड़ी जानकारी और सुविधाएं लोगों को तय समय के अंदर मिल पाए, इसलिए शासन की तरफ से 13 साल पहले लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू किया गया था। लेकिन हकीकत में इस लोक सेवा की गारंटी ऐसी है, कि हज़ार से ज्यादा शिकायतें पेडिंग पड़ी हुई हैं। अधिनियम में हर शासकीय विभाग से जुड़े अलग-अलग काम के पूरा होने के लिए अलग-अलग दिन तय किए गए हैं।

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Public Service Guarantee Act: हालात यह हैं कि अब तक बलौदाबाजार भाटापारा जिले में किसी भी अधिकारी- कर्मचारी के खिलाफ इसे लेकर न तो कोई कार्रवाई हुई है न ही जुर्माना। समय पर काम नहीं होने से बढ़ी शिकायतें तो दिन बढ़ा 2011 के अधिनियम में सभी विभागों के लिए दिन दिन तिथि का समय तय किया गया था। लेकिन कहीं भी इसका पालन नहीं हुआ और शिकायतें बढ़ने लगी। इसके बाद 25 मई 2016 को पुराने अधिनियम में संशोधन कर समय सीमा 30 दिन से बढ़ाकर 3 महीने कर दिया।

हर दफ्तर में जानकारी के लिए लगाना था बोर्ड

Public Service Guarantee Act: लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत काम होने की जानकारी देने के लिए कलेक्टोरेट, तहसील, निगम, जिला अस्पताल, पुलिस थानों समेत सभी दफ्तरों में मिलने वाली सुविधाएं और तय समय सीमा को लेकर सूचना बोर्ड भी लगाने थे, लेकिन अब यह बोर्ड भी कई जगहों से दिखाई पड़ता हैं तो कई जगहों पर इनका नामो निशान तक नहीं है। इन दफ्तरों में आने वाले लोगों को बोर्ड न लगने से पता ही नहीं चलता कि इस तरह का कोई अधिनियम भी है। जो हम आमजन के लिए होता है।

यह खबर छत्तीसगढ़ टॉक के संवाददाता लकेश बघेल ने लिखी हैं…

 

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