बलौदा बाजार में बांग्लादेश में हो रहे हिंदू समाज पर अत्याचार के खिलाफ विशाल धरना प्रदर्शन, ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: छत्तीसगढ़ में अत्याचार के खिलाफ विशाल धरना प्रदर्शन
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: छत्तीसगढ़ में अत्याचार के खिलाफ विशाल धरना प्रदर्शन

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: छत्तीसगढ़ में अत्याचार के खिलाफ विशाल धरना प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में आज हिंदू रक्षा मंच द्वारा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक विशाल धरना प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जिला के विभिन्न गांवों और मोहल्लों से बड़ी संख्या में आए नागरिकों, मातृशक्ति, समाज प्रमुखों और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ संपन्न हुआ।

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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार

कार्यक्रम की शुरुआत विजय महामंत्र से की गई, जिसमें जिले भर से सैकड़ों लोग उपस्थित हुए। सभी ने मिलकर महामंत्र का जाप किया, जिससे आयोजन का माहौल उत्साही और एकजुटता से भरा रहा। इसके बाद, कार्यक्रम का संचालन रघुनंदन बघमार और हेमंत टिकरीहा ने किया, जिन्होंने कार्यक्रम की शांति और अनुशासन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बलौदा बाजार में बांग्लादेश में हो रहे हिंदू समाज पर अत्याचार के खिलाफ विशाल धरना प्रदर्शन, ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम

कार्यक्रम के अंत में, अभिषेक तिवारी (जिला अध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद) ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन वाचन किया। ज्ञापन में बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों की गंभीरता को उजागर करते हुए, भारत सरकार से यह मांग की गई कि वह बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाले और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

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अभिषेक तिवारी ने बताया हाल की घटनाएं

अभिषेक तिवारी (जिला अध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद) ने कहा, हमारे पड़ोसी देश में हुई कुछ घटनाओं ने हमें गहरे आघात पहुँचाया है, जिनमें विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों पर किए गए हमलों की एक श्रृंखला शामिल है। निम्नलिखित घटनाओं का उल्लेख किया जाता है:

  1. 28 नवंबर 2024, ढाका: इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास जी के लिए महाप्रसाद लेकर जा रहे दो हिंदू श्रद्धालुओं को केवल उनके धार्मिक कर्तव्यों को निभाने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया।
  2. 27 नवंबर 2024, मैमनसिंह: एक हिंदू दुकानदार पर हमला कर उसकी दुकान को लूट लिया गया, जिससे उसका जीवन और आजीविका प्रभावित हुई।
  3. 26 नवंबर 2024, सिराजगंज: कट्टरपंथियों द्वारा लोकनाथ मंदिर पर पेट्रोल बम फेंका गया, जिससे मंदिर को नुकसान पहुँचाया गया और हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमला किया गया।
  4. 25 नवंबर 2024, ढाका: इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास जी को झूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय अधिकारों का उल्लंघन था।
  5. 24 नवंबर 2024, बगेरहाट: एक हिंदू लड़की को जबरन धर्मांतरण कर आतंकी संगठन में शामिल किया गया, जो एक गंभीर अपराध है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का प्रतीक है।
  6. 20 नवंबर 2024, बरिसाल: हिंदू समुदाय के घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, जिससे उनकी संपत्ति और सम्मान को नष्ट कर दिया गया।
  7. 19 सितंबर 2024, सिलहट: बौद्ध और हिंदू मंदिरों को तोड़-फोड़ कर आग लगा दी गई, जो धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करने का एक प्रयास था।

अभिषेक तिवारी ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों को सुरक्षा मिलनी चाहिए, ताकि वे बिना किसी डर के अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकें। ज्ञापन में बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकने की मांग की गई।

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हमारी मांगें:

  1. भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाए ताकि वहाँ अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और धार्मिक स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके।
  2. संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से बांग्लादेश सरकार को इन अत्याचारों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया जाए।
  3. अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए ताकि इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।

कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के विरोध में एकजुट होकर आवाज उठाई। सभी ने एक साथ मिलकर बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सम्मान की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, भारत सरकार से यह अपील की गई कि वह इस मुद्दे पर तुरंत और प्रभावी कदम उठाए ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिल सके और इन अत्याचारों को रोका जा सके।

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ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौंपने के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ, और सभी ने एकजुट होकर इस संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया।

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प्रमुख वक्ताओं द्वारा संबोधन

कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं के रूप में डॉ. ओमप्रकाश शर्मा (सामाजिक कार्यकर्ता), खोडश राम कश्यप (केन्द्रीय अध्यक्ष, वर्मा समाज), ईशान वैष्णव (प्रतिनिधि, वैष्णव समाज), श्याम केसरवानी (अध्यक्ष, केसरवानी समाज), किरण वर्मा (आर्ट ऑफ लिविंग), धनंजय साहू (प्रतिनिधि, साहू समाज), सनम जांगड़े (जिला अध्यक्ष, भाजपा), थानेश्वर वर्मा (जिला संयोजक, हिंदू जागरण मंच), कृष्णा अवस्थी (जिला मंत्री, भाजपा), मिना साहू (पतंजलि योग परिवार), साधना तिवारी (संस्कृत भारती), शालीन साहू (सामाजिक कार्यकर्ता) आदि ने अपनी महत्वपूर्ण बातें रखीं।

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सभी वक्ताओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन की कड़ी निंदा की। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक धरोहरों पर हमले हो रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं। वक्ताओं ने बांग्लादेश सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की और भारत सरकार से अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने का आह्वान किया।

इस कार्यक्रम ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर जागरूकता फैलाने और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने के लिए एक मजबूत संदेश दिया। सभी वक्ताओं और उपस्थित जनों ने इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करते हुए बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

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