



सक्ती जिले के प्राथमिक स्कूल में शराब पीकर आने वाले प्रधान पाठक को डीईओ ने ग्रामीणों की शिकायत पर तत्काल निलंबित किया। सुशासन तिहार के दौरान हुई त्वरित कार्रवाई ने प्रशासन पर बढ़ाया भरोसा।
प्रदीप शर्मा, सक्ती: शिक्षा मंदिर को शर्मसार करने वाले प्रधान पाठक पर आखिरकार गाज गिर ही गई। सरकारी स्कूल में शराब पीकर पहुंचने वाले शिक्षक को ग्रामीणों की शिकायत के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह पूरा मामला सक्ती जिले के ग्राम पंचायत रेड़ा का है, जहां शासकीय प्राथमिक शाला खैरा के प्रधान पाठक भानु प्रताप उइके शराब के नशे में स्कूल आना और बच्चों की पढ़ाई में लापरवाही बरतना जैसे गंभीर आरोपों से घिर गए।
शासन के “सुशासन तिहार” के दौरान सक्ती जिले में एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। ग्रामीणों की शिकायत पर शासकीय प्राथमिक शाला खैरा के प्रधान पाठक को शराब सेवन कर ड्यूटी पर आने के आरोप में तत्काल निलंबित कर दिया गया। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) नरेंद्र चंद्रा ने मौके पर निरीक्षण कर सख्त एक्शन लिया।
प्रधान पाठक निलंबित: ग्रामीणों ने उठाई थी आवाज, डीईओ ने लिया संज्ञान
ग्राम पंचायत रेड़ा में आयोजित “सुशासन तिहार” कार्यक्रम के दौरान डीईओ एन.के. चंद्रा जब निरीक्षण पर पहुंचे, तो वहां उपस्थित ग्रामीणों ने स्कूल के प्रधान पाठक भानु प्रताप उइके के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान पाठक अक्सर शराब पीकर स्कूल आते हैं, मनमर्जी से स्कूल आते-जाते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं देते।
प्रधान पाठक निलंबित: तीन दिन से गैरहाजिर, बिना सूचना गायब
शासकीय प्राथमिक शाला खैरा का निरीक्षण करते समय यह भी पाया गया कि भानु प्रताप उइके पिछले तीन दिनों से बिना किसी सूचना के स्कूल से गायब थे। इस गैरजिम्मेदाराना रवैये और ग्रामीणों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीईओ ने तुरंत प्रभाव से उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए।
डीईओ की त्वरित कार्रवाई पर ग्रामीणों ने जताया आभार
डीईओ की त्वरित और कड़ी कार्रवाई से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली और शासन-प्रशासन के प्रति भरोसा जताया। ग्रामीणों ने सार्वजनिक रूप से जिला शिक्षा अधिकारी का आभार जताया और उम्मीद जताई कि भविष्य में भी इस तरह की कार्यवाही से शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा।
प्रधान पाठक निलंबित: क्या बोले डीईओ?
जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र चंद्रा ने बताया,
“निरीक्षण के दौरान जब ग्रामीणों ने प्रधान पाठक के शराब सेवन कर स्कूल आने की शिकायत की, तो हमने मौके पर ही स्कूल का निरीक्षण किया। शिकायत सत्य पाई गई, जिस पर तत्काल निलंबन की कार्यवाही की गई है।”
यह मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
- शिक्षा जैसी जिम्मेदार सेवा में लापरवाही गंभीर अपराध है।
- बच्चों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
- शासन द्वारा चलाई जा रही “सुशासन तिहार” जैसी पहलें तभी सार्थक होंगी जब ऐसी शिकायतों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाए।
शिक्षा का मंदिर नशे से मुक्त हो – समाज की मांग
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि यदि प्रशासनिक अधिकारी चाहें तो शिक्षा जैसी पवित्र व्यवस्था में सुधार संभव है। ग्रामीणों की उम्मीद अब इस बात पर टिकी है कि ऐसे अन्य मामलों में भी इसी प्रकार की पारदर्शी और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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