बलौदाबाजार के लिए अब हुई बुरी खबर: 30 साल बाद लौटा था बाघ! एक था टाइगर……
बलौदाबाजार जिले में पिछले तीन दशकों बाद बाघ की वापसी ने क्षेत्रवासियों में खुशी का माहौल बना दिया है। एक समय था जब यह क्षेत्र बाघों के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अवैध शिकार और जंगलों के नुकसान के कारण बाघों की संख्या में गिरावट आई थी। अब, बाघ की वापसी ने तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के संरक्षण प्रयासों को बल दिया है।
बलौदाबाजार जिले से एक बुरी खबर सामने आई है, जिसमें एक बाघ जो हाल ही में 30 साल बाद क्षेत्र में लौटा था, अब फिर से अपने घर की ओर लौटने में असमर्थ दिखाई दे रहा है। यह बाघ रायपुर जिले के तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व की ओर रेस्क्यू किए जाने के बाद वापस जा रहा है।
9 घंटे ऑपरेशन चालाकर उसे टेकुलाइज किया गया। सूत्रों की मानें ती बाप को अब दूसरी जगह भेजने की तैयारी है, जहां उसे रहने के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित बातावरण उपलब्ध कराया जा सके। बता दें कि ‘ बाप को भोजन में सबसे ज्यादा पसंद सांभर, चीतल से बार नवापारा आधार है। यानी उसके खाने के लिए चिंता नहीं थी। यही वजह है कि 30 साल बाद बार लौटे बाप की सुरक्षा ही वन अमले के लिए बढ़ा मुदाया
बताया जा रहा है कि यह बाघ मादा बाघ की तलाश में बलौदाबाजार जिले के जंगलों में 12 से 15 किमी तक भटकता था। वन विभाग की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे रेस्क्यू किया लेकिन इसकी वापसी के साथ ही एक नई चुनौती सामने आई है, क्योंकि इसे अब फिर से अपने नए घर यानी तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में छोड़ने की योजना है।
बलौदाबाजार के लिए अब हुई बुरी खबर: 30 साल बाद लौटा था बाघ
यह बाघ 30 साल बाद बलौदाबाजार जिले में लौटा था। इस क्षेत्र में बाघों की वापसी को वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा था। पहले बाघों की संख्या में गिरावट और अवैध शिकार के कारण बाघ इस क्षेत्र से पूरी तरह से गायब हो गए थे। लेकिन अब बाघ की वापसी से क्षेत्र के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को बल मिला था।
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उल्लेखनीय है कि बलौदाबाजार वनमंडल के कसडोल तहसील में बीते 8 माह से बारनवापारा वन क्षेत्र में विचरण कर रहे एक नर बाघ के कसडोल तहसील के ग्राम कोट पहुंच जाने की सूचना वन विभाग को मिली थी। वन विभाग का अमला आवश्यक रेस्क्यू सामग्री तथा वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारियों सहित मौके पर तत्काल पहुंचकर कसडोल नगर के पारस नगर सेक्टर से उक्त बाघ को रेस्क्यू किया था। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के निर्देश पर उक्त नर बाघ को आज प्रातः 8 बजे नवगठित गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया।
हालांकि, अब यह बाघ अपनी मादा साथी की तलाश में लगातार भटक रहा था। वन विभाग के अनुसार, यह बाघ जंगल में दिनभर भटकते भटकते गांव की ओर पहुँच गया था। वन विभाग की टीम ने बाघ को रेस्क्यू कर लिया और अब गुरूघासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व में गूंजेगी बाघ की दहाड़।
मुख्यमंत्री ने की टाइगर रिजर्व के संरक्षण प्रयासों की सराहना
मुख्यमंत्री ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ही भारत सरकार की ओर से ‘गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व‘ के रूप में एक नया टायगर रिजर्व घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि टायगर रिजर्व देश का 56वां टायगर रिजर्व है। छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सलाह पर छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया।
अब गुरूघासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व में गूंजेगी बाघ की दहाड़
रेस्क्यू किए गए इस बाघ को अब रायपुर जिले के तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में छोड़ने की योजना बनाई जा रही है। वहां पर इसे सुरक्षित रूप से रहने की व्यवस्था की जाएगी, और उम्मीद है कि बाघ की दहाड़ फिर से छत्तीसगढ़ के इस क्षेत्र में गूंजेगी। इससे पहले भी इस क्षेत्र में बाघों की आबादी धीरे-धीरे बढ़ रही थी, और अब इस नए बाघ की वापसी से स्थानीय जैव विविधता में और भी सुधार की संभावना जताई जा रही है।
गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व का महत्व
गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व को 2020 में भारत सरकार द्वारा एक नए टायगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह 2829.38 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 2049.2 वर्ग किलोमीटर का कोर क्षेत्र शामिल है। इस टायगर रिजर्व का गठन छत्तीसगढ़ राज्य में बाघों के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से किया गया है, और यह देश के तीसरे सबसे बड़े टाइगर रिजर्व के रूप में पहचाना जाता है।
गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व के अंतर्गत गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, जो एक समृद्ध जैव विविधता का घर हैं। यह टायगर रिजर्व राज्य और देश के लिए पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
तालाब के पास पहले छकाया ‘ फिर कसडोल तक अपने पीछे दौड़ाया
कोट गांव में बाधतताब के पास बैठा था। वन अमले ने यहीं उसे घेरकर पकड़ने की पूरी तैयारी कर रखी थी। लोगों के शोरगुल के बीच बाध वन अमले को यहां छकाकर फरार ही गया। यहां से दौड़ते भागते यह सीधे कराडोल के गोधना इलाके में पहुंच गया। यहां भी खेतों और झाड़ियों के बीच से बाते लगातार आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था। वल अमला इस दौरान उत्त पर ड्रोन के जरिए नजर बनाए हुआ था। रायपुर जंगल सकली और बिलासपुर के कानन पेंडारी से डॉक्टरों की टीम भी यहां पहुंच चुकी थी। यहां से निकलकर बाध कराहील के पारस नगर इलाके तक पहुंच गया। यहां भीड़ भी बढ़ने लगी थी। ऐसे में बाप के रेस्क्यू में अमते के पसीने छूटने लगे थे।
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