



बलौदाबाजार के सुहेला ग्राम में नवरात्रि के पावन पर्व पर जंवारा विसर्जन श्रद्धा, आस्था और सामाजिक एकता के साथ भव्य रूप से संपन्न हुआ।
मिथलेश वर्मा, सुहेला/बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले का सुहेला गांव नवरात्रि की नवमी पर जैसे जीवंत हो उठा। तपती धूप, खुले पांव, और सिर पर श्रद्धा की जंवारा—यह दृश्य ना सिर्फ भक्ति का, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का भी अद्भुत प्रतीक बन गया। सैकड़ों महिलाएं, पुरुष, और बच्चे सिर पर जंवारा लेकर घरों से निकले। कतारबद्ध ढंग से खुले पांव चलते हुए, भक्ति भाव से ओतप्रोत ये श्रद्धालु जब महामाया माता चौक की ओर बढ़े, तो पूरा गांव “जय माता दी” की जयकारों से गूंज उठा।
जंवारा विसर्जन सुहेला; भक्ति की शुरुआत – सूरज की पहली किरण के साथ
सुबह होते ही गांव की गलियों में मांदर की थाप गूंजने लगी। महिलाएं सिर पर हरियाली से सजे जंवारा लिए, नंगे पांव तपती जमीन पर विश्वास की ठोस नींव लिए आगे बढ़ने लगीं। पुरुषों और बच्चों ने भी कदम से कदम मिलाया। कोई हाथों में धूप-दीप लिए चल रहा था, तो कोई भक्ति गीतों में डूबा हुआ था।
गांव के हर कोने से निकली आस्था की यह यात्रा, ग्राम की मुख्य सड़कों से होते हुए महामाया माता चौक पर एकत्र हुई। सिर पर जंवारा और हृदय में श्रद्धा लिए, महिलाएं-पुरुष कतारबद्ध चल रहे थे—यह दृश्य न केवल धार्मिक आस्था को दर्शा रहा था, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुशासन की भी मिसाल बन गया।
मांदर, गीत और जयकारों से गूंज उठा गांव
चौक पर पहुंचते ही “जय माता दी!” की गूंज आसमान तक जा रही थी। बुजुर्गों ने मांदर की थाप पर भक्ति गीतों की तान छेड़ी—“सेवा करंव माता रानी के, करम बने सब काम”—और युवा ताल से ताल मिलाकर झूम उठे। यह क्षण केवल धार्मिक नहीं था, बल्कि गांव के सांस्कृतिक जीवन का उत्सव भी था।
सतबहिनीय माता मंदिर की ओर आस्था की पदयात्रा
महामाया चौक से जंवारा यात्रा धीरे-धीरे सतबहिनीय माता मंदिर की ओर बढ़ी। यहां नारियल, अगरबत्ती और फूलों से विधिवत पूजा की गई। भक्तों ने अपनी-अपनी इच्छाएं मां के चरणों में अर्पित कीं और परिवार, गांव और समाज के लिए मंगल की कामना की।
तालाब में विसर्जन – जल में विलीन हुई श्रद्धा की प्रतीक
पूजा के उपरांत, जंवारा को ग्राम के बड़े तालाब में विसर्जित किया गया। यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं थी, बल्कि उस आस्था का प्रतीक था जिसे गांववासी पूरे नौ दिनों तक संजोए रहे। तालाब किनारे जब महिलाएं भक्ति गीतों के साथ नृत्य कर रही थीं और बच्चे मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे—तो वह दृश्य आंखों से नहीं, दिल से महसूस किया जा सकता था।
जंवारा विसर्जन सुहेला: एकता और शांति का संदेश
इस आयोजन में धर्म के साथ-साथ सौहार्द और भाईचारे का अद्वितीय संदेश भी देखने को मिला। गांव के हर जाति, वर्ग और उम्र के लोग साथ आए—कंधे से कंधा मिलाकर चले, पूजा की, और उत्सव को पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न किया।
पर्व बना यादगार अनुभव
इस जंवारा विसर्जन ने यह साबित किया कि धार्मिक आयोजन केवल परंपरा नहीं होते, वे समाज को जोड़ने, संस्कृति को जीवित रखने और भावनाओं को साझा करने का जरिया भी होते हैं। सुहेला ग्राम में आयोजित यह कार्यक्रम श्रद्धा, संस्कृति और सौहार्द का जीवंत उदाहरण बन गया—एक ऐसा पर्व जो आस्था के साथ आत्मीयता भी सिखा गया।
📢 छत्तीसगढ़ टॉक डॉट कॉम (Chhattisgarh Talk) अपडेट देता रहेगा!
व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े- Join Now
- विज्ञापन के लिए संपर्क करे: 9111755172
-टीम छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ (Chhattisgarh Talk News)
ट्रैफिक पुलिस बनी वसूली एजेंसी: टोकन दिखाओ, चालान से बचो! जानिए इस गुप्त वसूली खेल की सच्चाई!
Exclusive News: टोकन सिस्टम अवैध वसूली की खबर के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप! एक्शन में बलौदाबाजार कप्तान (SP), लेकिन क्या बच निकलेंगे बड़े खिलाड़ी?
कृषि योजनाओं का लाभ चाहिए? बिना देरी के कराएं फार्मर रजिस्ट्रेशन, जानें पूरी प्रक्रिया!
बलौदाबाजार नगर पालिका शपथ ग्रहण विवाद: भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने, अलग-अलग स्थानों पर हुआ शपथ समारोह!
बलौदाबाजार में भाजपा कार्यालय बना रणभूमि: ताले टूटे, नारे गूंजे! जानें क्यों भाजपा में मचा बवाल!
आप किस जेनरेशन का हिस्सा हैं? जानिए हर पीढ़ी की विशेषताएँ और योगदान