Mustard cultivation : मात्र 94 दिन में सरसों!! सरसों अनुसंधान निदेशालय ने तैयार की पांच नई किस्में, करे सरसो की खेती

Mustard cultivation : मात्र 94 दिन में सरसों!! सरसों अनुसंधान निदेशालय ने तैयार की पांच नई किस्में, करे सरसो की खेती

Chhattisgarh Talk / राजकुमार मल / भाटापारा न्यूज़ : राधिका, रुक्मणी, बृजराज और डी आर एम आर l यह चार, वह नाम हैं, जिनकी जगह रबीनामा में पक्की मानी जा रही है लेकिन जल्द तैयार होने वाली किस्म को किसानों ने प्राथमिकता दी, तो पीली सरसों इन चारों से आगे निकल सकती है l

Mustard cultivation : बीते कुछ सालों से छत्तीसगढ़ में सरसों की खेती को लेकर रुझान काफी बढ़ा है l इसलिए सरसों अनुसंधान निदेशालय ने सरसों की पांच ऐसी किस्में तैयार की हैं, जो प्रदेश की भूमि और जलवायु के लिए सही मानी जा रही है l अब देखना यह है कि सरसों किसान किस किस्म को स्वीकार करता है l

इसलिए तैयार नई किस्में

Mustard cultivation : जलवायु, सिंचाई, मिटटी की गुणवत्ता और उर्वरक l सरसों अनुसंधान निदेशालय ने इस पर विशेष ध्यान रखा l यह भी देखा कि सिंचित और असिंचित अवस्था में कैसे सफल परिणाम मिल सकते हैं l इस तरह तैयार हुई राधिका, रुक्मणी, बृजराज, डी आर एम आर और पीली सरसों l अब यह पांच किस्में छत्तीसगढ़ के खेतों तक पहुचने के लिए पूरी तरह तैयार हैं l

यह हैं नई किस्में

Mustard cultivation :

राधिका – विलंब बोनी के लिए उपयुक्त 
परिपक्वता अवधि – 131 दिन 
उत्पादन – 7.15 क्विन्टल प्रति एकड़ 
तेल – 40 प्रतिशत 
छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के लिए अनुमोदित 

Mustard cultivation : बृजराज – जलवायु आधारित है यह प्रजाति 
परिपक्वता अवधि – 120 से 149 दिन 
उत्पादन – 6 से 7 क्विन्टल प्रति एकड़ 
तेल – 40 प्रतिशत 
दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के लिए अनुमोदित 

Mustard cultivation : रुक्मणी – सिंचित और असिंचित क्षेत्र के लिए 
परिपक्वता अवधि – 135 से 140 दिन 
उत्पादन – 9 से 10 क्विन्टल प्रति एकड़ 
तेल – 42 प्रतिशत 
राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और जम्मू कश्मीर के लिए अनुमोदित 

Mustard cultivation : डी आर एम आर – कम पानी में तैयार होती है 
परिपक्वता अवधि – 120 से 130 दिन 
उत्पादन – 7 क्विन्टल प्रति एकड़ 
तेल – 39 प्रतिशत 
छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर के लिए अनुमोदित 

Mustard cultivation : पीली सरसों – फफूंद और ब्लाइट प्रतिरोधी 
परिपक्वता अवधि – मात्र 94 दिन 
उत्पादन – 6 से 7 क्विन्टल प्रति एकड़ 
तेल – 46 प्रतिशत 
पीली सरसों की खेती करने वाले सभी राज्यों में इस किस्म की फसल ली जा सकती है 


Mustard cultivation : भारत में मूंगफली के बाद सरसों दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। छत्तीसगढ़ में सरसों की खेती कृषकों के बीच काफी लोकप्रिय होती जा रही है क्योंकि इसमें कम सिंचाई व लागत से अन्य फसलों की अपेक्षा लाभ प्राप्त हो रहा है। सरसों की कम उत्पादकता के मुख्य कारण उपयुक्त किस्म का चयन, असंतुलित उर्वरक प्रयोग एवं पादप रोग व कीटों की पर्याप्त रोकथाम ना करना आदि है –डॉ.दिनेश पांडे, साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर