



पत्रकार की हत्या: बीजापुर में तीन दिन से लापता पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। हत्या का शक ठेकेदार सुरेश चंद्राकर पर जताया जा रहा है। पुलिस जांच कर रही है। जानें पूरी कहानी और पत्रकारिता के प्रति मुकेश की बहादुरी।
पत्रकार की हत्या: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां तीन दिन से लापता पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव बरामद हुआ है। 3 जनवरी 2025 को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम ने सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के घर के पीछे स्थित सेप्टिक टैंक से उनका शव बाहर निकाला। शव की स्थिति को देखकर पुलिस ने इसे हत्या का मामला मानते हुए जांच शुरू कर दी है। परिवार और स्थानीय पत्रकारों का शक है कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकर से जुड़े विवाद के कारण मुकेश की हत्या की गई हो सकती है। पुलिस मामले की गहन जांच में जुटी हुई है।
पत्रकार की हत्या: कौन थे मुकेश चंद्राकर?
मुकेश चंद्राकर बीजापुर जिले के एक बहादुर और जांबाज पत्रकार थे। वह ‘विस्तार न्यूज’ के रिपोर्टर यूकेश चंद्राकर के छोटे भाई थे। मुकेश को अपनी निर्भीक पत्रकारिता के लिए जाना जाता था, खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में उनकी रिपोर्टिंग के कारण। वे न केवल पत्रकारिता में सक्रिय थे, बल्कि अपने यूट्यूब चैनल ‘बस्तर जंक्शन’ के जरिए भी बस्तर के स्थानीय मुद्दों को उजागर करते थे। उनका चैनल खासतौर पर बस्तर में पत्रकारिता करने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन मंच था, जिस पर उनके कई फॉलोअर्स थे। मुकेश चंद्राकर ने नक्सलियों के खिलाफ संघर्षरत सुरक्षा बलों की सहायता भी की और कई बार अपनी जान की बाजी लगाकर जवानों की जान बचाई।
पत्रकार की हत्या: लापता होने के बाद क्या हुआ?
1 जनवरी 2025 को मुकेश चंद्राकर और उनके भाई यूकेश के बीच आखिरी बार बात हुई थी। लेकिन जब 2 जनवरी को यूकेश ने मुकेश के कमरे में जाकर देखा, तो वह वहां नहीं थे और उनका मोबाइल भी स्विच्ड ऑफ था। यूकेश ने अपने भाई के बारे में जानने के लिए आसपास के लोगों से पूछताछ की, लेकिन कहीं भी उनका सुराग नहीं मिला। परेशान होकर उन्होंने 2 जनवरी को बीजापुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने लापता मुकेश की तलाश शुरू की।
पत्रकार की हत्या: सेप्टिक टैंक से मिला शव
तीसरे दिन, यानी 3 जनवरी 2025 को पुलिस को बीजापुर के चट्टानपारा बस्ती स्थित सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के घर के पास से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद हुआ। शव एक सेप्टिक टैंक के अंदर था, जिसे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम ने बाहर निकाला। शव को कब्जे में लेकर पुलिस ने पंचनामा तैयार किया और फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी। शव की हालत को देखकर यह शक जताया जा रहा है कि उनकी हत्या की गई है। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच तेज कर दी है और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के अलावा अन्य संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।
पत्रकार की हत्या: विवाद और हत्या का शक
मुकेश चंद्राकर के परिवार और करीबी मित्रों का मानना है कि उनकी हत्या के पीछे सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर का हाथ हो सकता है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि मुकेश और सुरेश के बीच कुछ समय से विवाद चल रहा था। हालांकि, इस विवाद का क्या कारण था और क्या यह हत्या की वजह बना, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। पुलिस इस पहलू की जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही मामले में कुछ ठोस जानकारी मिल सकेगी।
पत्रकार मुकेश की बहादुरी और पत्रकारिता
मुकेश चंद्राकर को उनकी बहादुरी के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 2021 में हुए एक बड़े नक्सली हमले के दौरान, जिसमें 23 जवान शहीद हो गए थे, मुकेश ने नक्सलियों से एक जवान को छुड़वाने के लिए अपनी जान को खतरे में डाला था। यह घटना उनकी निर्भीकता और पत्रकारिता के प्रति समर्पण को दर्शाती है। उनकी पत्रकारिता सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह हमेशा अपने साथी पत्रकारों और स्थानीय लोगों की मदद के लिए भी सामने आते थे।
पत्रकार मुकेश की हत्या: पुलिस जांच में जुटी
पुलिस ने शव को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है और मामले की गहरी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर सहित अन्य संदिग्धों से पूछताछ की है और सबूत जुटाने की कोशिश की है। यह भी माना जा रहा है कि मुकेश के काम और नक्सलियों के खिलाफ उनकी रिपोर्टिंग के कारण वह किसी बड़े विवाद में फंसे हो सकते हैं। हालांकि, जांच जारी है और पुलिस मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
मुकेश चंद्राकर की हत्या न केवल उनके परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि पूरे पत्रकारिता समुदाय के लिए भी एक गंभीर मामला बन चुकी है। बस्तर जैसे संवेदनशील इलाके में पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा पर यह सवाल उठाता है। यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस इस मामले को शीघ्र हल करती है या नहीं।
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