JNA College : जी एन ए कॉलेज ने सीआईएसएफ के जवानों को करवाया ध्यान क्या है इसके पीछे का राज जानिए

JNA College : जी एन ए कॉलेज ने सीआईएसएफ के जवानों को करवाया ध्यान क्या है इसके पीछे का राज जानिए

Chhattisgarh Talk / राघवेंद्र सिंह / बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित रूप से संपन्न करवाने हेतु केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की अनेक बटालियन छत्तीसगढ़ के जिलों में तैनात की गई थी। इस तारतम्य में भाटापारा में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न करवाने हेतु सीआईएसएफ की बटालियन क्रमांक 306 / 552 ई और 308 / 552 डी को रांची से बुलवाया गया था, जिसके ठहरने की व्यवस्था शासकीय गजानंद अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा में की गई थी. बटालियन के जवानों को उदासी और यांत्रिक दिनचर्या से उबरने में सहायता करने के उद्देश्य से महाविद्यालय की वाणिज्य परिषद की ओर से तनाव प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन स्पोर्ट्स हाल में किया गया ।

महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. श्रीमती पूर्णिमा साहू के मार्गदर्शन और वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष अशोक वर्मा के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। दूसरे सत्र के प्रारंभ में अपने उद्बोधन में प्राचार्या महोदया ने छत्तीसगढ़ की धरा पर जवानों का अभिनंदन किया और तनाव प्रबंधन में योग एवं ध्यान की भूमिका के बारे में अपने अनुभव साझा किये । इसके बाद कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार सरवैया ने मंच संभाला। गौरतलब है कि उन्होंने ब्रह्म ऋषि पितामह डॉ. सुभाष पत्री जी से ध्यान सीखा है, जिन्होंने पूरे विश्व में पिरामिड ध्यान और शाकाहार का प्रचार-प्रसार करने हेतु पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट की स्थापना की थी।

सरवैया छत्तीसगढ़ पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट में ध्यान प्रशिक्षक है। कार्यक्रम के आरंभ में आपने जवानों को कठिन और चुनौती पूर्ण परिस्थितियों में रहते हुए भी पूरी तत्परता से चुनाव में सुरक्षा प्रदान करने हेतु धन्यवाद दिया। बाद में उन्होंने दैनिक जीवन के कुछ उदाहरणों से बताया कि मानव किस तरह विभिन्न परिस्थितियों में क्रिया -प्रतिक्रिया करके मानसिक और भावनात्मक उलझनों में फंस जाता है।

उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि डिजिटल क्रांति से विचारों के प्रदूषण की गति बढ़ गई है, जिसने मानव के विचारों एवं भावनाओं को दूषित कर गहरे तक प्रभावित कर दिया है, इससे मनुष्य में धैर्य और सहनशीलता कम हो गई है और वह तत्काल प्रतिक्रिया करने लगा है, इससे न केवल पारिवारिक बल्कि सामाजिक और पेशेवर क्षेत्र में भी लोगों के आपसी कलह होने से तनाव, चिंता, उदासी की लहरें बढ़ गई है। तकनीक के शिखर युग में हमें भौतिक सुख सुविधाएं तो बहुत सी प्राप्त हो रही है, लेकिन हमारी मानसिक और भावनात्मक शांति लगभग लुप्त हो गई है। लोग भीतर ही भीतर संघर्ष कर रहे हैं, इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हम अपने दिनचर्या में एक ऐसी प्रक्रिया को अपनाएं, जिससे हम अपने मन और भावनाओं को संभाल सके। इस समस्या का समाधान हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्षों पहले से ही खोजा था, जिसे हम योग- ध्यान के रूप में जानते हैं, अतः मन की देखभाल और सफाई करने के लिए प्रतिदिन ध्यान करना लाभकारी होता है।

अंत में उन्होंने सभी जवानों को लगभग 20 मिनट तक निर्देशित आनापानसती ध्यान करवाया। कार्यक्रम का पहला सत्र सुबह 10 बजे और दूसरा सत्र 4 बजे अलग-अलग टीम के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें कुल 150 जवानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में श्रीमती रमा बेन सरवैया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थी और बटालियन के इंस्पेक्टर बी सी आरभगत जी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्राचार्या महोदया मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थी, बटालियन के इंस्पेक्टर आरके सिंह उपस्थित थे। इसके अलावा डॉ. शशि किरण कुजूर, डॉ. सुमित पंत, दीपक कुमार यादव सहित अनेक प्राध्यापक साथी उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में गुप्तेश्वर साहू,रोहन अग्रवाल, विकास ठाकुर, उमेश, कोमल मानिकपुरी और सुब्बू दास का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।