झीपन रोड बना मौत का फंदा: अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा निर्माण, गड्ढों से भरी सड़क पर गिर रही ज़िंदगी

झीपन रोड बना मौत का फंदा: अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा निर्माण, गड्ढों से भरी सड़क पर गिर रही ज़िंदगी (Chhattisgarh Talk)
झीपन रोड बना मौत का फंदा: अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा निर्माण, गड्ढों से भरी सड़क पर गिर रही ज़िंदगी (Chhattisgarh Talk)

बलौदाबाजार के झीपन रोड पर अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा बनाई गई सड़क की हालत बदहाल है। गड्ढों और उभरे पत्थरों से आए दिन लोग घायल हो रहे हैं। एक स्कूली छात्रा और एक परिवार को हाल ही में गंभीर चोट आई। अब सवाल उठता है – जिम्मेदार कौन?


बलौदाबाजार/झीपन: एक तरफ सरकारें “गुणवत्ता आधारित विकास” के दावे कर रही हैं, तो दूसरी ओर अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी निजी कंपनियों द्वारा बनाई गई सड़कें लोगों की जान पर बन आई हैं। ऐसा ही मामला बलौदाबाजार जिले के झीपन रोड का है, जहां सड़क की बदहाल स्थिति किसी आपदा से कम नहीं है। बारिश के मौसम में यह सड़क एक दलदलनुमा रास्ता बन चुकी है – जिसमें चलना तो दूर, गाड़ी लेकर निकलना भी जान जोखिम में डालने जैसा है।


झीपन रोड: गड्ढों से नहीं, पत्थरों से पटा पड़ा है?

वेदप्रकाश वर्मा बताते हैं कि, झीपन गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली यह सड़क अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी द्वारा बनवाई गई थी। मगर, निर्माण की गुणवत्ता इतनी खराब है कि सड़क जगह-जगह उखड़ गई है और बड़े-बड़े उभरे हुए पत्थर चलने वालों के लिए जाल बन चुके हैं। सड़क के किनारे रेललाइन है, और दूसरी तरफ घना झाड़-झंखाड़ – ऐसे में यह रास्ता ग्रामीणों का प्रमुख संपर्क मार्ग बन गया है।


झीपन रोड: बारिश ने खोली पोल, गड्ढों में भरा कीचड़ बना मौत का फंदा

बारिश के आते ही सड़क के गड्ढों में पानी भर गया है। कई जगहों पर सड़क पूरी तरह जलमग्न हो गई है। इस बीच बुधवार को एक स्कूली छात्रा इस सड़क पर गिर गई, जिससे उसे गंभीर चोट आई। इसके अलावा एक परिवार जो मोटरसाइकिल से गुजर रहा था, असंतुलित होकर पत्थर से टकरा गया और बुरी तरह घायल हो गया।

स्थानीय निवासी वेदप्रकाश वर्मा बताते हैं –

“हर दिन कोई न कोई गिरता है। अब तो बच्चे पैदल भी डरते हैं स्कूल जाने से। ये सड़क नहीं, हादसे का रास्ता बन गया है।”


जनप्रतिनिधि मौन, कंपनी जवाबदेही से गायब

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को इसकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अब तक न तो सड़क की मरम्मत हुई, न ही अल्ट्राटेक सीमेंट की ओर से कोई जिम्मेदार अधिकारी सामने आया है।

झिपन गांव के निवासी वेदप्रकाश वर्मा कहते हैं –

“अगर ये सड़क किसी सरकारी विभाग ने बनाई होती तो शायद अब तक मरम्मत हो चुकी होती, लेकिन कंपनी का काम है तो सब आंख मूंदे बैठे हैं।”


कौन है जिम्मेदार? अल्ट्राटेक सीमेंट या प्रशासन?

यह सवाल अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। क्या निर्माण कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट अपनी ज़िम्मेदारी से बच सकती है? क्या जनप्रतिनिधि केवल चुनाव तक ही जवाबदेह हैं? और क्या प्रशासन तब जागेगा जब किसी की जान चली जाएगी?

ग्रामीणों की मांग है कि:

  • तत्काल प्रभाव से सड़क की मरम्मत करवाई जाए।
  • निर्माण कंपनी के खिलाफ कार्रवाई हो।
  • जनप्रतिनिधि और प्रशासन जिम्मेदारी लें।

जन सुनवाई में उठेगी मांग

ग्रामीणों ने तय किया है कि वे आगामी जन सुनवाई में यह मामला ज़ोरशोर से उठाएंगे। यदि प्रशासन ने अब भी कार्रवाई नहीं की, तो वे जिला कलेक्टर से मिलकर शिकायत दर्ज करेंगे और सोशल मीडिया पर जन आंदोलन शुरू करेंगे।


झीपन रोड की ये तस्वीर न सिर्फ एक बदहाल सड़क की, बल्कि हमारी व्यवस्थागत चुप्पी और संवेदनहीन विकास की तस्वीर है। सवाल यह है कि कितने और गिरेंगे, तब जाकर व्यवस्था जागेगी?


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