क्या ग्राम पंचायत कदलीमुडा़ में विकास की गाथा कागजों पर लिखी जाती हैं, शिकायत के बावजूद क्यों धृष्टराष्ट्र बने हुए आधिकारी

क्या ग्राम पंचायत कदलीमुडा़ में विकास की गाथा कागजों पर लिखी जाती हैं, शिकायत के बावजूद क्यों धृष्टराष्ट्र बने हुए आधिकारी
क्या ग्राम पंचायत कदलीमुडा़ में विकास की गाथा कागजों पर लिखी जाती हैं, शिकायत के बावजूद क्यों धृष्टराष्ट्र बने हुए आधिकारी

क्या ग्राम पंचायत कदलीमुडा़ में विकास की गाथा कागजों पर लिखी जाती हैं, शिकायत के बावजूद क्यों धृष्टराष्ट्र बने हुए आधिकारी

या भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए सरपंच सचिव को पर्याप्त समय देकर बचाने में जुगत में हैं जिम्मेदार

लतीफ मोहम्मद/देवभोग: गरियाबंद जिले के ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए शासन से लाखों रुपए भेजे तो जाते हैं किंतु विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होता हैं, विकास जमीनी स्तर पर नही कागजों तक सीमित रह जाता हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला देवभोग ब्लॉक के कदलीमुड़ा ग्राम पंचायत में, जहां……..

  1. वित्तीय वर्ष 2020-21 में मृतको के नाम पर 90 हजार रूपये निकाल कर गबन किया गया।
  2. दिनांक 30/9/22 को सोखता गढढा के नाम से श्माम ट्रेडर्स का बील लगाकर 1 लाख रूपये गबन करने का आरोप लगाया जा रहा है। जबकि जमीनी स्तर पर सोखता गढ्ढा गायब भी हैं।सोखता गढढा के नाम से श्माम ट्रेडर्स का बील लगाकर 1 लाख रूपये गबन करने का आरोप लगाया जा रहा है। जबकि जमीनी स्तर पर सोखता गढ्ढा गायब भी हैं।
  3. वही 20/10/22 को गांधी चौक से पुजारीपारा मार्ग तक सी सी सड़क के नाम पर दो अलग-अलग बील लगाकर 1 लाख 35 हजार राशि आहरण कर गबन करने की बात सामने आ रही है।
    क्या ग्राम पंचायत कदलीमुडा़ में विकास की गाथा कागजों पर लिखी जाती हैं, शिकायत के बावजूद क्यों धृष्टराष्ट्र बने हुए आधिकारी
    क्या ग्राम पंचायत कदलीमुडा़ में विकास की गाथा कागजों पर लिखी जाती हैं, शिकायत के बावजूद क्यों धृष्टराष्ट्र बने हुए आधिकारी

    Img 20240710 Wa0007(1)

इसे भी पढ़े- “जानिए अपना सूचना का अधिकार” – वी कैन शाइन फाउंडेशन ने सूचना के अधिकार (RTI) पर जागरूकता कार्यशाला किया आयोजित

जबकी सड़क जमीन पर नहीं कागजों में बना हुआ हैं। इसी कड़ी में अन्य वित्तीय वर्षो में साफ सफाई, रंगमंच निर्माण, नाली निर्माण (उपस्वास्थ केंद्र के पास) सार्वजनिक शौचालय, चबुतरा निर्माण जैसे राशी आहरण कर गबन करने की शिकायत शिकायतकर्ता द्वारा किया गया है। किंतु शिकायत के बाद भी जिम्मेदार मौन साधे बैठे हुए हैं। जनपद पंचायत देवभोग में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य कराके जहां सरकारी बजट को चूना लगाया जा रहा है, वहीं पंचायत प्रतिनिधि हर काम में कमाई के चक्कर में नियम कायदे को ताक पर रखकर उसके पालन से लापरवाह दिख रहे हैं। उन्हें न जांच की चिंता है, न अधिकारियों का डर है।

https://x.com/ChhatisgarhTalk/status/1810970151887511732?s=09

ग्राम पंचायतों में सरंपच, सचिव और जनपद पंचायत देवभोग की तिकड़ी का बेलगाम राज इस कदर हावी हैं की जनता के जरूरतों का इन्हें मानो कोई फिक्र ही नहीं हैं। पंचायतों में मनमानी करने की खुली छूट कहा से मिल रहीं हैं और ये किसके शह से हो रहा हैं यह एक उलझा सवाल बन कर रह गया हैं। एक और भाजपा के विष्णुदेव साय सरकार सुशासन की बात कर रही तो दूसरी ओर उनके ही अधिकारी सुशासन पर काली पोतते नजर आ रहे हैं। शिकायतों को अनदेखा करके जिम्मेदार मौन बने हैं। इसे लेकर लोगों में नाराजगी है और कुछ मामलों में अधिकारी खानापूर्ति के लिए कार्रवाई करने जांच कराने जैसे स्टेटमेंट देकर अपनी कमी छिपाने में जुटे हैं।

इसे भी पढ़े- नल जल योजना: पाईपलाइन के लिए खोदी सड़क, ग्रामीण परेशान, पैदल चलना भी मुश्किल

क्या जिम्मेदार अधिकारी पर्याप्त समय देकर सरपंच सचिव को बचाने में जुटे है?

शिकायतकर्ता द्वारा 12 जून को जनपद पंचायत सीईओ के समक्ष लिखित शिकायत देकर कदलीमुड़ा ग्राम पंचायत में हुए भ्रष्ट्राचार की जांच की मांग की थी किंतु लगभग महीने भर समय बीतने के बाद भी सरपंच सचिव पर जांच के नाम पर आंच नहीं आने देने का बेड़ा जिम्मेदारों ने आपने कंधे पर उठा रखा हैं। जिसके चलते ग्राम पंचायत में किए गए हेराफेरी को आराम से पर्दा डालने का काम किया जा रहा हैं। इस तरह के कार्यशैली से जनपद के अधिकारियों के ऊपर सवालिया निशान खड़ा हो रहा हैं। जनपद के अधिकारियों से अपना मोह भंग होता देख शिकायतकर्ता ने अब मुख्यमंत्री और कलेक्टर जनदर्शन की तरफ अपना रुख अख्तियार करने का मन बना लिया हैं। जिससे ग्राम पंचायत में हुए भ्रष्ट्राचार की कलई खोलने की बात कही हैं।

क्या जिम्मेदार अधिकारी पर्याप्त समय देकर सरपंच सचिव को बचाने में जुटे है? -शिकायतकर्ता
क्या जिम्मेदार अधिकारी पर्याप्त समय देकर सरपंच सचिव को बचाने में जुटे है? -शिकायतकर्ता

प्रदेशभर के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की बैठक, छ्त्तीसगढ़ में प्रशासनिक ‘व्यवस्था’ पर लग सकता हैं तगड़ा झटका, आखिर क्यों हुई बैठक?