importance of human rights: मानवाधिकार के महत्व के बारे में छात्र-छात्राओं को दी शिक्षा; डी के कॉलेज में विश्व मानवाधिकार दिवस का आयोजन
Chhattisgarh Talk / राघवेंद्र सिंह / बलौदाबाजार : अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में शासकीय दाऊ कल्याण कला, विधि, विज्ञान एवं वाणिज्य स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय बलौदाबाजार में विधि विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे मुख्य वक्ता विधिक सलाहकार प्रमुख सुश्री दीपा सोनी, वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेंद्र ठाकुर जी व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ए आर सी जेम्स की गरिमामयी उपस्थिती रही। कार्यक्रम की शुरुवात माँ सरस्वती के पूजा एवं भारतरत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर की छायाचित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्वलित कर किया गया। पूर्व प्राचार्य डॉ एके उपाध्याय ने उपस्थित समस्त अतिथियों महाविद्यालयीन प्राध्यापकों व विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए मानवाधिकार के महत्व के बारे में बताया।
प्रमुख वक्ता विधिक सलाहकार प्रमुख सुश्री दीपा सोनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मानव अधिकार का मतलब उन सभी अधिकारों से है जो मनुष्य की जीवन, स्वतंत्रता एवं समानता से संबद्ध है। ये वो मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिन्हें किसी भी धर्म, रंग, नस्ल, जाति, प्रांत, राष्ट्रीयता या लिंग के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। इनमें आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्ष शामिल है। चूंकि ये मनुष्य के अस्तित्व से संबंधित है इसीलिए ये अधिकार उसे जन्म के साथ ही प्राप्त है और इसमें कोई बाधा नहीं डाल सकता। लेकिन जब हम अपने जीवनयापन या अभिव्यक्ति के अधिकार की बात करते हैं तो ये याद रखने की जरुरत है कि इसमें किसी दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का हनन न हो रहा हो ।
मानवाधिकारों में मनुष्य के कल्याण और गरिमा का भाव निहित है और आज का दिन इस मायने में बहुत अहम है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री भूपेंद्र ठाकुर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मानव अधिकार दिवस के उद्देश्य पर प्रमुखता से अपनी बात रखी। श्री ठाकुर ने सर्वे भवंतु सुखिनाः सर्वे संतु निरामया का श्लोक कहते हुए मानवाधिकार के महत्ता से छात्र -छात्राओं को अवगत कराया तथा विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार के उल्लंघन के उदाहरण बताते हुए विद्यार्थियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बने रहने के लिए प्रेरित किया। प्राचार्य डॉ जेम्स ने मानव अधिकारों की अवधारणा को व्यक्तित्व विकास के लिए जरुरी बताते हुए कहा कि किसी भी मानव के पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए मानवाधिकार आवश्यक हैं।
मानवाधिकार शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is human rights education important?)
- मानव अधिकार शिक्षा समाज के निर्माण और आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण है
- मानवाधिकार शिक्षा लोगों को अपने अधिकारों को जानने, दावा करने और उनका बचाव करने का अधिकार देती है
- मानवाधिकार शिक्षा निर्णय लेने में भागीदारी और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देती है
- मानवाधिकार शिक्षा सहानुभूति, समावेशन और गैर-भेदभाव को प्रोत्साहित करती है
इन अधिकारों का उद्भव मानव की अंतर्निहित गरिमा से हुआ है। इन अधिकारों के बिना न तो व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकता है और न ही समाज के लिए उपयोगी कार्य कर सकता है। उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य ए आर सी जेम्स, विधिक सलाहकार प्रमुख सुश्री दीपा सोनी, वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेंद्र ठाकुर, प्रोफेसर डॉ सी के चंद्रवंशी, विभागाध्यक्ष डॉ नबी खान, श्री जयंत मिंज, अभिषेक बंजारे, आलोक दुबे, हरजीत सिंह चावला सहित विधि के विद्यार्थिगण उपस्थित रहें।
मानवाधिकार शिक्षा क्या है? (What is human rights education?)
“ शिक्षा, प्रशिक्षण और सूचना का उद्देश्य मानव अधिकारों की एक सार्वभौमिक संस्कृति का निर्माण करना है। ” मानवाधिकारों में एक व्यापक शिक्षा न केवल मानवाधिकारों और उनकी रक्षा करने वाले तंत्रों के बारे में ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि दैनिक जीवन में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने, बचाव करने और लागू करने के लिए आवश्यक कौशल भी प्रदान करती है। मानवाधिकार शिक्षा समाज के सभी सदस्यों के लिए मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए आवश्यक दृष्टिकोण और व्यवहार को बढ़ावा देती है। (संयुक्त राष्ट्र विश्व कार्यक्रम)
“ मानवाधिकार शिक्षा के माध्यम से आप अपने समुदाय, समाज और दुनिया भर में समानता, गरिमा और सम्मान को बढ़ावा देने वाले कौशल और दृष्टिकोण विकसित करने के लिए खुद को और दूसरों को सशक्त बना सकते हैं। ” (अंतराष्ट्रिय क्षमा)
https://youtu.be/VOcmT9W_0xw?si=9EhI4h6hHWpgVQF6
“ मानवाधिकार शिक्षा ज्ञान, कौशल और व्यवहार को प्रेरित करने वाले व्यवहार का निर्माण करती है जो मानव अधिकारों को कायम रखती है। यह सशक्तिकरण की एक प्रक्रिया है जो मानवाधिकार समस्याओं की पहचान करने और मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुरूप समाधान खोजने में मदद करती है। यह हमारे समुदाय और समाज में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों को वास्तविकता बनाने की हमारी अपनी ज़िम्मेदारी की समझ पर आधारित है। (नवी पिल्ले, पूर्व संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त)