Implementing the Training Programs: Training design, Training Methods (off the job and on the job) Trainers and training styles, Implementation of training program, Evaluation of training program.

MBA HRD 3RD; UNIT-2 Implementing the Training Programs: Training design, Training Methods (off the job and on the job)  Trainers and training styles, Implementation of training program, Evaluation of training program.
MBA HRD 3RD; UNIT-2 Implementing the Training Programs: Training design, Training Methods (off the job and on the job)  Trainers and training styles, Implementation of training program, Evaluation of training program.

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन: प्रशिक्षण डिजाइन, प्रशिक्षण विधियाँ (कार्यस्थल से बाहर और कार्यस्थल पर) Implementing the Training Programs: Training design, Training Methods (off the job and on the job)

UNIT-2: प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करना (Implementing Training Programs)

 प्रशिक्षण डिज़ाइन (Training Design):

प्रशिक्षण डिज़ाइन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाई जाती है। इसमें कार्यक्रम के उद्देश्यों, सामग्री, विधियों, और संसाधनों का निर्धारण किया जाता है ताकि प्रशिक्षण प्रभावी और संगठित हो।

प्रशिक्षण डिज़ाइन के प्रमुख चरण (Key Steps in Training Design):

  1. प्रशिक्षण की आवश्यकता का विश्लेषण (Training Needs Analysis):
    यह समझना कि किसे, क्यों, और किस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  2. उद्देश्य तय करना (Setting Objectives):
    प्रशिक्षण के स्पष्ट उद्देश्य और अपेक्षित परिणामों को परिभाषित करना।
  3. सामग्री और संसाधनों का चयन (Selecting Content and Resources):
    प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम, उपकरण, और सामग्रियों को तैयार करना।
  4. विधियों का चयन (Selecting Training Methods):
    प्रशिक्षण के दौरान उपयोग की जाने वाली विधियों को चुनना, जैसे ऑन-द-जॉब या ऑफ-द-जॉब।
  5. मूल्यांकन प्रक्रिया तय करना (Evaluation Planning):
    प्रशिक्षण के परिणामों को मापने के लिए प्रक्रिया तैयार करना।

 प्रशिक्षण विधियाँ (Training Methods):

() ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण (On-the-Job Training):

यह विधि कार्यस्थल पर ही कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करती है, जिसमें वे अपने नियमित कार्य के दौरान नई जानकारी और कौशल सीखते हैं।

प्रमुख प्रकार (Major types):

  1. जॉब रोटेशन (Job Rotation):
    कर्मचारियों को विभिन्न विभागों में काम करवाकर उनकी समझ और अनुभव बढ़ाया जाता है।
  2. कोचिंग (Coaching):
    एक वरिष्ठ कर्मचारी या प्रबंधक द्वारा व्यक्तिगत मार्गदर्शन।
  3. शैडोइंग (Shadowing):
    एक कर्मचारी वरिष्ठ कर्मचारी के कार्यों को देखकर सीखता है।
  4. प्रोजेक्ट असाइनमेंट (Project Assignment):
    कर्मचारियों को नई परियोजनाओं पर काम देकर अनुभव प्रदान करना।

फायदे (Benefits):

  • वास्तविक समय में सीखने का मौका।
  • व्यावहारिक अनुभव।
  • कम लागत।

चुनौतियाँ (Challenges):

  • प्रशिक्षक की उपलब्धता।
  • कार्य बाधित होने का जोखिम।

(ख) ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण (Off-the-Job Training):

यह विधि कार्यस्थल से बाहर कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करती है, जिसमें वे एक औपचारिक वातावरण में नई जानकारी और कौशल प्राप्त करते हैं।

प्रमुख प्रकार (Major types):

  1. कक्षा प्रशिक्षण (Classroom Training):
    प्रशिक्षण विशेषज्ञ द्वारा संगोष्ठी या व्याख्यान।
  2. सिमुलेशन (Simulation):
    वास्तविक कार्य परिस्थितियों का अनुकरण करके प्रशिक्षण देना।
    उदाहरण: पायलट प्रशिक्षण।
  3. व्यावहारिक कार्यशालाएँ (Workshops):
    विशेष कौशल सिखाने के लिए।
  4. ई-लर्निंग (E-Learning):
    ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण।
  5. केस स्टडी (Case Study):
    वास्तविक समस्याओं का अध्ययन और समाधान।

फायदे (Benefits):

  • व्यवस्थित और केंद्रित प्रशिक्षण।
  • समूह में सीखने का अवसर।
  • नई तकनीकों और विचारों से अवगत होना।

चुनौतियाँ (Challenges):

  • उच्च लागत।
  • समय की अधिक आवश्यकता।

प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करने के चरण (Steps in Implementing Training Programs):

  1. प्रशिक्षण सामग्री तैयार करना (Prepare Training Material):
    प्रशिक्षण के लिए आवश्यक सामग्री और उपकरण तैयार करना।
  2. प्रशिक्षकों का चयन (Select Trainers):
    योग्य प्रशिक्षकों की नियुक्ति।
  3. कार्यक्रम शेड्यूल करना (Schedule the Program):
    प्रशिक्षण का समय और स्थान तय करना।
  4. कार्यक्रम संचालित करना (Conduct Training):
    प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से लागू करना।
  5. प्रतिक्रिया लेना (Collect Feedback):
    प्रशिक्षण के तुरंत बाद प्रशिक्षुओं से प्रतिक्रिया लेना।
  6. प्रदर्शन मूल्यांकन (Evaluate Performance):
    प्रशिक्षण के प्रभाव का आकलन करना।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल कार्यान्वयन कर्मचारियों और संगठन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण डिज़ाइन सही और संगठित होना चाहिए, और प्रशिक्षण विधियाँ संगठन की जरूरतों और कर्मचारियों के कौशल स्तर के अनुसार चुनी जानी चाहिए। ऑन-द-जॉब और ऑफ-द-जॉब दोनों विधियाँ अपने उद्देश्य के अनुसार उपयोगी होती हैं और संगठन की दीर्घकालिक सफलता में योगदान करती हैं।


प्रशिक्षक और प्रशिक्षण शैली, प्रशिक्षण कार्यक्रम का कार्यान्वयन, प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन Trainers and training styles, Implementation of training program, Evaluation of training program.

प्रशिक्षकों और प्रशिक्षण शैलियाँ (Trainers and Training Styles):

प्रशिक्षक (Trainers):

प्रशिक्षक वह व्यक्ति होता है जो प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन करता है। प्रशिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे प्रशिक्षण सामग्री को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करते हैं और प्रशिक्षुओं को कौशल और ज्ञान प्रदान करते हैं।

1. प्रशिक्षक (Trainers):

प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम की रीढ़ होते हैं। उनकी जिम्मेदारी है कि वे कर्मचारियों को प्रभावी रूप से कौशल, ज्ञान, और अनुभव प्रदान करें। प्रशिक्षकों का चयन प्रशिक्षण की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अच्छे प्रशिक्षक की विशेषताएँ:

  • विशेषज्ञता (Expertise): विषय में गहरी समझ और अनुभव।
  • संचार कौशल (Communication Skills): जटिल विषयों को सरलता से समझाने की क्षमता।
  • धैर्य (Patience): प्रशिक्षुओं के सवालों और उनकी जरूरतों को समझने का धैर्य।
  • प्रेरक (Motivational): प्रशिक्षुओं को सीखने के लिए प्रेरित करना।
  • लचीलापन (Flexibility): प्रशिक्षण को विभिन्न परिस्थितियों और व्यक्तियों के अनुसार अनुकूलित करना।

प्रशिक्षण शैली (Training Styles):

प्रशिक्षण शैली का मतलब वह तरीका है जिसके माध्यम से प्रशिक्षक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इसे प्रशिक्षुओं की आवश्यकताओं और विषय के आधार पर चुना जाता है।

प्रमुख प्रशिक्षण शैलियाँ:

  1. निर्देशात्मक शैली (Directive Style):
    • प्रशिक्षक का पूरा नियंत्रण होता है।
    • विषय स्पष्ट और संरचित होता है।
    • उदाहरण: कक्षा आधारित व्याख्यान।
  2. सहयोगात्मक शैली (Collaborative Style):
    • प्रशिक्षक और प्रशिक्षु के बीच इंटरैक्शन पर आधारित।
    • समूह चर्चा और केस स्टडी का उपयोग।
    • उदाहरण: कार्यशालाएँ।
  3. व्यावहारिक शैली (Hands-On Style):
    • प्रशिक्षु को प्रायोगिक अनुभव प्रदान किया जाता है।
    • सिमुलेशन और ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण।
    • उदाहरण: मशीन ऑपरेशन का प्रशिक्षण।
  4. दृश्य-श्रव्य शैली (Audio-Visual Style):
    • वीडियो, पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन, और अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग।
    • उदाहरण: ई-लर्निंग और वर्चुअल प्रशिक्षण।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का कार्यान्वयन (Implementation of Training Program):

1. कार्यान्वयन प्रक्रिया (Implementation Process):

  1. कार्यक्रम की योजना बनाना (Planning the Program):
    • प्रशिक्षण सामग्री, समय, स्थान, और संसाधनों की योजना।
  2. प्रशिक्षकों का चयन (Selecting Trainers):
    • विषय विशेषज्ञ और कुशल प्रशिक्षकों की नियुक्ति।
  3. प्रशिक्षण का प्रचार (Promoting the Training):
    • कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लाभों के बारे में जानकारी देना।
  4. प्रशिक्षण का संचालन (Conducting Training):
    • प्रशिक्षण को निर्धारित योजना के अनुसार लागू करना।
    • प्रशिक्षुओं के सवालों और प्रतिक्रिया को संभालना।
  5. प्रत्येक सत्र का आकलन (Assessing Each Session):
    • सत्र के दौरान प्रशिक्षुओं की भागीदारी और सीखने का मूल्यांकन।

प्रशिक्षण के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:

  • प्रेरणा (Motivation):
    प्रशिक्षुओं को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
  • इंटरएक्शन (Interaction):
    प्रशिक्षकों और प्रशिक्षुओं के बीच संवाद को बढ़ावा देना।
  • लचीलापन (Flexibility):
    प्रशिक्षण के दौरान परिस्थितियों के अनुसार बदलाव करना।
  • प्रतिक्रिया लेना (Feedback):
    प्रशिक्षुओं से प्रतिक्रिया प्राप्त करना और उसमें सुधार करना।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन (Evaluation of Training Program):

1. मूल्यांकन का उद्देश्य (Objective of Evaluation):

  • यह पता लगाना कि प्रशिक्षण कितना प्रभावी रहा।
  • प्रशिक्षुओं के प्रदर्शन में सुधार का आकलन।
  • प्रशिक्षण की कमजोरियों और सुधार के क्षेत्रों की पहचान।

2. मूल्यांकन के चरण (Steps in Evaluation):

  1. मूल्यांकन मानदंड तय करना (Setting Evaluation Criteria):
    • क्या मूल्यांकन किया जाएगा (जैसे ज्ञान, कौशल, व्यवहार)।
  2. डेटा संग्रह करना (Collecting Data):
    • प्रशिक्षुओं की प्रतिक्रिया, परीक्षा परिणाम, और प्रदर्शन रिपोर्ट।
  3. मूल्यांकन करना (Assessing the Data):
    • यह आकलन करना कि प्रशिक्षण के उद्देश्यों को किस हद तक प्राप्त किया गया।
  4. प्रतिक्रिया देना (Providing Feedback):
    • प्रशिक्षण की सफलता और कमजोरियों पर प्रशिक्षकों और संगठन को रिपोर्ट देना।

मूल्यांकन के मॉडल (Models of Evaluation):

  1. किर्कपैट्रिक मॉडल (Kirkpatrick Model):
    • स्तर 1: प्रतिक्रिया (Reaction) – प्रशिक्षु प्रशिक्षण के बारे में क्या सोचते हैं।
    • स्तर 2: शिक्षा (Learning) – उन्होंने क्या सीखा।
    • स्तर 3: व्यवहार (Behavior) – उन्होंने कार्यस्थल पर इसे कैसे लागू किया।
    • स्तर 4: परिणाम (Results) – प्रशिक्षण से संगठन को क्या लाभ हुआ।
  2. सीआईपीओ मॉडल (CIPO Model):
    • प्रवेश (Context), इनपुट (Input), प्रक्रिया (Process), आउटपुट (Output)

प्रशिक्षण और मूल्यांकन का महत्व:

  1. कर्मचारियों के लिए:
    • कौशल और ज्ञान का विकास।
    • आत्मविश्वास और प्रेरणा में सुधार।
  2. संगठन के लिए:
    • उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार।
    • प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त।
    • कर्मचारियों की संतुष्टि और निष्ठा।

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प्रशिक्षक की प्रमुख योग्यताएँ (Key competencies of the trainer):

  1. विषय का गहरा ज्ञान।
  2. अच्छा संवाद कौशल।
  3. विभिन्न प्रशिक्षण विधियों की समझ।
  4. प्रशिक्षुओं की आवश्यकताओं को समझने की क्षमता।
  5. समस्या-समाधान में कुशल।

प्रशिक्षण शैलियाँ (Training Styles):

  1. प्रभावशाली प्रशिक्षण (Authoritative Training):
    • प्रशिक्षक का केंद्रित दृष्टिकोण।
    • प्रशिक्षु केवल जानकारी प्राप्त करते हैं।
    • उदाहरण: व्याख्यान, निर्देशात्मक सत्र।
  2. इंटरैक्टिव प्रशिक्षण (Interactive Training):
    • प्रशिक्षकों और प्रशिक्षुओं के बीच संवाद।
    • समूह चर्चा, प्रश्नोत्तर सत्र।
    • उदाहरण: टीमवर्क, केस स्टडी।
  3. व्यावहारिक प्रशिक्षण (Practical Training):
    • प्रशिक्षु व्यावहारिक कार्य करके सीखते हैं।
    • उदाहरण: ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण, सिमुलेशन।
  4. ई-लर्निंग आधारित प्रशिक्षण (E-Learning-Based Training):
    • ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल और वीडियो।
    • प्रशिक्षु अपनी गति से सीख सकते हैं।
  5. कोचिंग और मेंटरशिप (Coaching and Mentorship):
    • व्यक्तिगत ध्यान और मार्गदर्शन।
    • दीर्घकालिक कौशल विकास।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का कार्यान्वयन (Implementation of Training Program):

प्रमुख चरण (Key Stages):

  1. प्रशिक्षण योजना तैयार करना (Prepare Training Plan):
    • प्रशिक्षण का उद्देश्य और सामग्री तय करना।
    • प्रशिक्षकों और संसाधनों का चयन।
  2. प्रशिक्षण सत्र का आयोजन (Organize Training Sessions):
    • समय और स्थान की व्यवस्था।
    • तकनीकी और अन्य उपकरणों की तैयारी।
  3. प्रशिक्षण का संचालन (Conduct Training):
    • प्रशिक्षण सत्र को निर्धारित योजना के अनुसार संचालित करना।
    • संवादात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना।
  4. समस्याओं का समाधान (Address Challenges):
    • प्रशिक्षण के दौरान आने वाली बाधाओं को हल करना।
    • प्रशिक्षुओं की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना।
  5. प्रशिक्षण के बाद का समर्थन (Post-Training Support):
    • प्रशिक्षुओं को अभ्यास के अवसर प्रदान करना।
    • ऑन-द-जॉब समर्थन सुनिश्चित करना।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन (Evaluation of Training Program):

मूल्यांकन का उद्देश्य:

  1. यह सुनिश्चित करना कि प्रशिक्षण के उद्देश्य पूरे हुए।
  2. प्रशिक्षण के प्रभाव का आकलन करना।
  3. सुधार के लिए सुझाव प्राप्त करना।

मूल्यांकन के चरण (Assessment Steps):

  1. प्रतिक्रिया संग्रह (Collect Feedback):
    • प्रशिक्षुओं और प्रशिक्षकों से तुरंत प्रतिक्रिया लेना।
    • प्रश्नावली, चर्चा, या सर्वेक्षण का उपयोग।
  2. ज्ञान और कौशल का परीक्षण (Test Knowledge and Skills):
    • प्रशिक्षण से पहले और बाद में परीक्षण।
    • प्रदर्शन में सुधार का आकलन।
  3. कार्य व्यवहार का विश्लेषण (Analyze Work Behavior):
    • यह देखना कि प्रशिक्षण के बाद कर्मचारी के कार्य व्यवहार में कितना सुधार हुआ।
    • ऑन-द-जॉब प्रदर्शन का मूल्यांकन।
  4. संगठनात्मक लाभ का आकलन (Assess Organizational Benefits):
    • उत्पादन, गुणवत्ता, या ग्राहक संतोष में सुधार की जांच।
    • ROI (Return on Investment) का विश्लेषण।

मूल्यांकन के मॉडल (Models of assessment):

  1. किर्कपैट्रिक मॉडल (Kirkpatrick Model):
    • स्तर 1: प्रतिक्रिया (Reaction)
    • स्तर 2: सीखना (Learning)
    • स्तर 3: व्यवहार (Behavior)
    • स्तर 4: परिणाम (Results)
  2. CIRO मॉडल:
    • संदर्भ (Context), इनपुट (Input), प्रतिक्रिया (Reaction), और परिणाम (Outcome) का आकलन।

महत्व (Importance):

  1. प्रशिक्षण के प्रभाव और सफलता का आकलन।
  2. सुधार की संभावनाओं की पहचान।
  3. निवेश पर प्राप्ति (ROI) को मापने में मदद।
  4. भविष्य के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रशिक्षकों की भूमिका और प्रशिक्षण शैलियाँ प्रशिक्षण के प्रभाव को निर्धारित करती हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम का कार्यान्वयन और मूल्यांकन सुनिश्चित करता है कि संगठनात्मक उद्देश्यों को पूरा किया जा रहा है। एक सुव्यवस्थित मूल्यांकन प्रक्रिया भविष्य में बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने में सहायक होती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रशिक्षण कार्यक्रम का कार्यान्वयन, प्रशिक्षकों और उनकी प्रशिक्षण शैलियों पर निर्भर करता है। साथ ही, प्रशिक्षण का प्रभाव तभी समझा जा सकता है जब उसका उचित मूल्यांकन किया जाए। प्रशिक्षुओं और संगठन के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू और मूल्यांकित किया जाना चाहिए।

Explain Training Design.

प्रशिक्षण डिजाइन (Training Design) का परिचय

प्रशिक्षण डिजाइन (Training Design) वह प्रक्रिया है जिसके तहत किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना, संरचना और कार्यान्वयन किया जाता है। इसका उद्देश्य प्रशिक्षण को प्रभावी, आकर्षक और परिणामोन्मुख बनाना है। एक सही प्रशिक्षण डिजाइन कर्मचारियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाता है ताकि उनके कौशल, ज्ञान और कार्यक्षमता में सुधार हो सके।


प्रशिक्षण डिजाइन के चरण (Steps in Training Design):

प्रशिक्षण डिजाइन को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाता है। इसमें मुख्यतः निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

1. आवश्यकता विश्लेषण (Needs Analysis):

  • इस चरण में संगठन और कर्मचारियों की जरूरतों का विश्लेषण किया जाता है।
  • यह निर्धारित किया जाता है कि कौन से कौशल और ज्ञान की आवश्यकता है।
  • इसके लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे:
    • साक्षात्कार (Interviews)
    • सर्वेक्षण (Surveys)
    • प्रदर्शन विश्लेषण (Performance Analysis)

2. लक्ष्य निर्धारण (Setting Objectives):

  • प्रशिक्षण के उद्देश्य स्पष्ट और मापने योग्य होने चाहिए।
  • उदाहरण:
    • तकनीकी कौशल: कर्मचारियों को नई मशीनरी का उपयोग सिखाना।
    • सॉफ्ट स्किल्स: बेहतर ग्राहक सेवा कौशल विकसित करना।

3. प्रशिक्षण सामग्री का विकास (Developing Training Content):

  • इस चरण में प्रशिक्षण के लिए आवश्यक सामग्री तैयार की जाती है।
  • सामग्री तैयार करते समय इसे सरल, प्रभावी और आकर्षक बनाना चाहिए।
  • सामग्री में शामिल हो सकते हैं:
    • मॉड्यूल (Modules)
    • वीडियो
    • केस स्टडी
    • प्रस्तुतीकरण (Presentations)

4. प्रशिक्षण विधियों का चयन (Choosing Training Methods):

  • प्रशिक्षण की विधि का चयन संगठन की जरूरतों और कर्मचारियों की प्रकृति पर निर्भर करता है।
  • विभिन्न प्रकार की विधियाँ:
    • कक्षा आधारित प्रशिक्षण (Classroom Training)
    • ऑनलाइन प्रशिक्षण (Online Training)
    • कार्य पर आधारित प्रशिक्षण (On-the-Job Training)
    • सिमुलेशन (Simulation)

5. प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना (Planning the Training Program):

  • कार्यक्रम की समय सीमा, स्थान, प्रतिभागियों की संख्या और प्रशिक्षकों को तय किया जाता है।
  • यह सुनिश्चित किया जाता है कि कार्यक्रम संगठन की अन्य गतिविधियों को बाधित न करे।

6. कार्यान्वयन (Implementation):

  • तैयार किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू किया जाता है।
  • यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रशिक्षण प्रभावी और प्रतिभागियों के लिए उपयोगी हो।

7. मूल्यांकन (Evaluation):

  • प्रशिक्षण के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।
  • यह देखा जाता है कि क्या प्रशिक्षण के उद्देश्य पूरे हुए हैं।
  • मूल्यांकन के तरीके:
    • फीडबैक (Feedback)
    • प्रदर्शन में सुधार (Performance Improvement)
    • परीक्षा या टेस्ट

प्रशिक्षण डिजाइन के महत्वपूर्ण घटक (Key Components of Training Design):

  1. संदर्भ (Context):
    • संगठन की संस्कृति और आवश्यकता को समझना।
  2. शिक्षण के तरीके (Teaching Methods):
    • जैसे: व्याख्यान, समूह चर्चा, और व्यावहारिक प्रदर्शन।
  3. मूल्यांकन उपकरण (Evaluation Tools):
    • प्रशिक्षण के परिणामों को मापने के लिए उचित उपकरण।

प्रशिक्षण डिजाइन का महत्व (Importance of Training Design):

1. प्रशिक्षण के उद्देश्य को प्राप्त करना:

सही डिजाइन प्रशिक्षण को प्रभावी बनाता है और सुनिश्चित करता है कि उद्देश्य पूरे हों।

2. संसाधनों का कुशल उपयोग:

सही डिजाइन से समय, धन और श्रम जैसे संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है।

3. प्रतिभागियों की भागीदारी:

एक आकर्षक डिजाइन प्रतिभागियों को प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करता है।

4. कौशल विकास:

प्रशिक्षण डिजाइन से प्रतिभागियों को उनके कौशल और ज्ञान को व्यवस्थित और प्रभावी ढंग से विकसित करने में मदद मिलती है।

5. संगठनात्मक प्रदर्शन में सुधार:

प्रशिक्षण डिजाइन संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को तैयार करता है।

Explain method for Evaluation of Training Program.

प्रशिक्षण कार्यक्रम के मूल्यांकन के तरीके (Methods for Evaluation of Training Program)

प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि वह अपने उद्देश्य को पूरा कर रहा है या नहीं। यह प्रक्रिया यह मापती है कि प्रशिक्षण से कर्मचारियों के कौशल, ज्ञान, और प्रदर्शन में कितना सुधार हुआ है और यह संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कितना सहायक है।


मूल्यांकन के प्रमुख उद्देश्य:

  1. यह जांचना कि प्रशिक्षण के उद्देश्य पूरे हुए या नहीं।
  2. प्रशिक्षण की प्रभावशीलता को मापना।
  3. प्रशिक्षुओं (Trainees) और प्रशिक्षकों (Trainers) दोनों की प्रतिक्रिया लेना।
  4. प्रशिक्षण प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव देना।
  5. संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करना।

प्रशिक्षण मूल्यांकन के लिए विभिन्न तरीके (Methods for Training Evaluation):

1. किर्कपैट्रिक मॉडल (Kirkpatrick Model):

यह सबसे प्रसिद्ध मॉडल है और इसमें मूल्यांकन के चार स्तर शामिल हैं:

  • स्तर 1: प्रतिक्रिया (Reaction):
    • यह मापा जाता है कि प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण कार्यक्रम कैसा लगा।
    • विधियां:
      • फीडबैक फॉर्म भरवाना।
      • साक्षात्कार करना।
    • उदाहरण:
      • क्या प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण उपयोगी और आकर्षक लगा?
  • स्तर 2: सीखना (Learning):
    • यह जांचता है कि प्रशिक्षुओं ने कितना ज्ञान और कौशल अर्जित किया।
    • विधियां:
      • लिखित परीक्षा।
      • व्यावहारिक प्रदर्शन।
    • उदाहरण:
      • प्रशिक्षुओं ने नई तकनीक का उपयोग करना सीखा या नहीं।
  • स्तर 3: व्यवहार (Behavior):
    • यह मापा जाता है कि प्रशिक्षण के बाद कर्मचारी के व्यवहार और प्रदर्शन में क्या बदलाव आया।
    • विधियां:
      • पर्यवेक्षक से फीडबैक।
      • काम के प्रदर्शन का विश्लेषण।
    • उदाहरण:
      • कर्मचारी ने अपने कार्य क्षेत्र में नई तकनीक का उपयोग किया या नहीं।
  • स्तर 4: परिणाम (Results):
    • यह प्रशिक्षण के संगठनात्मक परिणामों को मापता है।
    • विधियां:
      • उत्पादन दर का विश्लेषण।
      • मुनाफे और ग्राहक संतुष्टि की समीक्षा।
    • उदाहरण:
      • प्रशिक्षण के बाद उत्पादन में वृद्धि हुई या नहीं।

2. प्री-टेस्ट और पोस्ट-टेस्ट (Pre-Test and Post-Test):

  • प्रशिक्षण से पहले और बाद में कर्मचारियों का ज्ञान और कौशल मापा जाता है।
  • इससे यह पता चलता है कि प्रशिक्षण के दौरान क्या और कितना सीखा गया।

3. प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal):

  • प्रशिक्षण के बाद कर्मचारियों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाता है।
  • यह देखने के लिए कि उनके काम में कितना सुधार हुआ है।

4. व्यवहार अवलोकन (Behavior Observation):

  • प्रशिक्षण के बाद कर्मचारियों के व्यवहार में आए बदलाव को मापा जाता है।
  • यह तरीका दीर्घकालिक प्रभाव का विश्लेषण करता है।

5. लागत-लाभ विश्लेषण (Cost-Benefit Analysis):

  • यह मूल्यांकन करता है कि प्रशिक्षण पर जो खर्च किया गया है, उसका लाभ संगठन को कितना हुआ है।
  • यदि लाभ लागत से अधिक है, तो प्रशिक्षण सफल माना जाता है।

6. 360 डिग्री फीडबैक (360-Degree Feedback):

  • इसमें प्रशिक्षु के साथ उनके सहयोगियों, पर्यवेक्षकों, और अधीनस्थों से भी फीडबैक लिया जाता है।
  • यह व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

7. केस स्टडी और परियोजनाएँ (Case Studies and Projects):

  • प्रशिक्षुओं को वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए दिया जाता है।
  • इससे उनके व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधान कौशल का मूल्यांकन किया जाता है।

8. साक्षात्कार और सर्वेक्षण (Interviews and Surveys):

  • प्रशिक्षुओं और संबंधित व्यक्तियों से साक्षात्कार या सर्वेक्षण किया जाता है।
  • यह प्रशिक्षण कार्यक्रम की गुणवत्ता को मापने में सहायक होता है।

9. ROI (Return on Investment):

  • यह मापता है कि प्रशिक्षण से संगठन को कितनी वित्तीय या अन्य लाभ प्राप्त हुए।
  • ROI = (लाभ – लागत) / लागत × 100

प्रशिक्षण मूल्यांकन का महत्व (Importance of Training Evaluation):

  1. प्रशिक्षण की गुणवत्ता को समझना:
    • यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण के लिए चुनी गई सामग्री और विधियां प्रभावी हैं या नहीं।
  2. लक्ष्यों की प्राप्ति:
    • यह देखता है कि प्रशिक्षण अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है या नहीं।
  3. भविष्य के सुधार:
    • प्रशिक्षण कार्यक्रम की खामियों को पहचानकर उसमें सुधार किया जा सकता है।
  4. संसाधनों का कुशल उपयोग:
    • यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए गए धन, समय और प्रयास सही दिशा में लगाए गए हैं।
  5. कर्मचारियों की संतुष्टि:
    • प्रशिक्षुओं की प्रतिक्रिया के माध्यम से उनकी संतुष्टि को मापा जा सकता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन संगठन की सफलता के लिए आवश्यक है। यह न केवल प्रशिक्षण की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को मापने में मदद करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम कर्मचारियों और संगठन दोनों की जरूरतों को पूरा कर रहा है। एक सही मूल्यांकन प्रक्रिया संगठन को दीर्घकालिक सफलता के लिए तैयार करती है।

How are you going to evaluate the effectiveness of a training program?

प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभावशीलता का मूल्यांकन (Evaluation of Training Program Effectiveness)

प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभावशीलता का मूल्यांकन यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कार्यक्रम ने अपने उद्देश्यों को कितना सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह प्रक्रिया यह मापती है कि प्रशिक्षण कर्मचारियों के ज्ञान, कौशल, व्यवहार, और संगठन के प्रदर्शन को कितना प्रभावित करता है।


प्रशिक्षण मूल्यांकन के उद्देश्य (Objectives of Training Evaluation):

  1. प्रशिक्षण के परिणामों को मापना:
    • प्रशिक्षण के दौरान और बाद में कर्मचारियों में आए बदलाव का आकलन करना।
  2. लक्ष्य की पूर्ति सुनिश्चित करना:
    • यह देखना कि प्रशिक्षण ने अपने निर्धारित उद्देश्यों को पूरा किया या नहीं।
  3. भविष्य के सुधार:
    • कार्यक्रम में सुधार के लिए उपयोगी फीडबैक प्राप्त करना।
  4. संसाधनों का उचित उपयोग:
    • यह सुनिश्चित करना कि प्रशिक्षण पर खर्च किया गया समय और धन सही दिशा में लगाया गया है।

प्रशिक्षण मूल्यांकन के चरण (Steps in Training Evaluation):

1. आवश्यकता विश्लेषण (Needs Assessment):

  • प्रशिक्षण से पहले, यह जांचना कि संगठन और कर्मचारियों की क्या जरूरतें हैं।
  • यह सुनिश्चित करना कि प्रशिक्षण सही कौशल और ज्ञान प्रदान करेगा।

2. मूल्यांकन के लिए मापदंड निर्धारित करना (Setting Evaluation Criteria):

  • यह तय करना कि प्रशिक्षण की सफलता को कैसे मापा जाएगा।
  • उदाहरण:
    • कर्मचारियों के प्रदर्शन में सुधार।
    • उत्पादन में वृद्धि।
    • लागत में कमी।

प्रशिक्षण मूल्यांकन के अन्य तरीके (Other Methods for Training Evaluation):

1. ROI (Return on Investment):

  • यह प्रशिक्षण के वित्तीय लाभ को मापता है।
  • सूत्र:
    ROI = (लाभ – लागत) / लागत × 100
  • उदाहरण:
    यदि प्रशिक्षण पर ₹1,00,000 खर्च किए गए और इससे ₹2,00,000 का लाभ हुआ, तो ROI 100% होगा।

2. फीडबैक और सर्वेक्षण (Feedback and Surveys):

  • प्रशिक्षुओं और संबंधित व्यक्तियों से प्रतिक्रिया ली जाती है।
  • यह समझने में मदद करता है कि प्रशिक्षण उपयोगी था या नहीं।

3. प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal):

  • प्रशिक्षण के बाद कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है।
  • यह देखता है कि कर्मचारियों ने अपने कार्यक्षेत्र में कितना सुधार किया है।

4. व्यवहार अवलोकन (Behavior Observation):

  • कर्मचारियों के व्यवहार में आए बदलाव का निरीक्षण किया जाता है।
  • यह तरीका दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन करता है।

5. केस स्टडी और प्रोजेक्ट्स (Case Studies and Projects):

  • कर्मचारियों को किसी वास्तविक समस्या का समाधान करने के लिए कहा जाता है।
  • इससे उनके व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधान कौशल का मूल्यांकन किया जाता है।

Explain the methods of ‘Off the Job’ and ‘On the Job’ Training.

ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण (On-the-Job Training) और ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण (Off-the-Job Training) के तरीके

किसी संगठन में कर्मचारियों के कौशल और दक्षता को बढ़ाने के लिए ऑन-द-जॉब और ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण दोनों का उपयोग किया जाता है। इन दोनों विधियों का चयन संगठन की आवश्यकता और प्रशिक्षण के उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है।


1. ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण (On-the-Job Training):

यह प्रशिक्षण प्रक्रिया कार्यस्थल पर ही होती है। इसमें कर्मचारी को वास्तविक कामकाज के दौरान प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका उद्देश्य कर्मचारी को उसकी भूमिका और जिम्मेदारियों के लिए तुरंत तैयार करना होता है।

ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण के तरीके:

  1. जॉब रोटेशन (Job Rotation):
    • कर्मचारी को विभिन्न विभागों में स्थानांतरित करके विभिन्न कार्यों और प्रक्रियाओं का अनुभव कराया जाता है।
    • लाभ:
      • कर्मचारी बहु-कुशल (Multi-skilled) बनता है।
      • विभिन्न विभागों के बारे में व्यापक ज्ञान प्राप्त करता है।
  2. कोचिंग (Coaching):
    • एक वरिष्ठ कर्मचारी या पर्यवेक्षक प्रशिक्षु को प्रशिक्षण देता है और उसकी प्रदर्शन संबंधी समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
    • लाभ:
      • व्यक्तिगत ध्यान मिलता है।
      • कमजोरियों को तुरंत ठीक किया जा सकता है।
  3. मेंटरिंग (Mentoring):
    • एक अनुभवी कर्मचारी (मेंटॉर) प्रशिक्षु को अपने ज्ञान और अनुभव से मार्गदर्शन करता है।
    • लाभ:
      • दीर्घकालिक विकास के लिए मदद।
      • कर्मचारियों के साथ संबंध मजबूत होते हैं।
  4. अप्रेंटिसशिप (Apprenticeship):
    • इसमें कर्मचारी को लंबी अवधि के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है, विशेषकर तकनीकी या शिल्पकारी कार्यों में।
    • लाभ:
      • कौशल में विशेषज्ञता।
      • उद्योग-विशिष्ट अनुभव।
  5. जॉब इंस्ट्रक्शन टेक्निक (Job Instruction Technique):
    • कार्य के चरणों को व्यवस्थित तरीके से सिखाया जाता है।
    • लाभ:
      • जटिल कार्यों को सरल और प्रभावी तरीके से समझाया जाता है।
  6. अनुकरण (Shadowing):
    • प्रशिक्षु एक अनुभवी कर्मचारी का अनुसरण करता है और उसके कार्य करने की विधियों को सीखता है।
    • लाभ:
      • अनुभव से सीखने का अवसर।

ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण के लाभ:

  • वास्तविक समय में सीखने का अवसर।
  • प्रशिक्षु तुरंत काम शुरू कर सकता है।
  • लागत कम होती है।
  • कर्मचारी की उत्पादकता बढ़ती है।

ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण की सीमाएँ:

  • प्रशिक्षण के दौरान गलतियाँ हो सकती हैं।
  • कामकाज बाधित हो सकता है।
  • प्रशिक्षक की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

2. ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण (Off-the-Job Training):

यह प्रशिक्षण कार्यस्थल से अलग, किसी अन्य स्थान पर दिया जाता है। इसमें कर्मचारियों को उनके नियमित कार्य से हटाकर कौशल और ज्ञान विकसित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण के तरीके:

  1. कक्षा प्रशिक्षण (Classroom Training):
    • यह सबसे सामान्य तरीका है जिसमें लेक्चर, चर्चा, और प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • लाभ:
      • बड़े समूह को एक साथ प्रशिक्षित किया जा सकता है।
      • सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान किया जाता है।
  2. सिमुलेशन (Simulation):
    • यह वास्तविक कार्य स्थितियों की नकली स्थिति होती है जिसमें कर्मचारी व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करता है।
    • उदाहरण:
      • विमान चालक के लिए फ्लाइट सिमुलेटर।
    • लाभ:
      • जोखिम-मुक्त वातावरण।
      • व्यावहारिक अनुभव।
  3. केस स्टडी (Case Study):
    • कर्मचारियों को किसी वास्तविक समस्या का विश्लेषण और समाधान खोजने के लिए कहा जाता है।
    • लाभ:
      • समस्या-समाधान कौशल विकसित होते हैं।
      • व्यावहारिक ज्ञान मिलता है।
  4. व्याख्यान (Lectures):
    • प्रशिक्षक बड़ी संख्या में कर्मचारियों को सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करता है।
    • लाभ:
      • विषय का गहन ज्ञान।
      • समय की बचत।
  5. व्यवहार प्रशिक्षण (Behavioral Training):
    • इसमें कर्मचारियों के व्यवहार और सॉफ्ट स्किल्स पर ध्यान दिया जाता है।
    • जैसे: संचार कौशल, टीमवर्क।
  6. मॉक ड्रिल (Mock Drill):
    • आपातकालीन स्थितियों के लिए कर्मचारियों को तैयार करने का अभ्यास।
    • उदाहरण:
      • आग लगने की स्थिति में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना।
  7. ई-लर्निंग (E-Learning):
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • लाभ:
      • स्थान और समय की पाबंदी नहीं।
      • आत्म-गति से सीखने का अवसर।

ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण के लाभ:

  • ध्यान केंद्रित सीखने का अवसर।
  • विविध और विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता है।
  • कर्मचारियों को नए दृष्टिकोण सिखाए जाते हैं।

ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण की सीमाएँ:

  • महंगा हो सकता है।
  • वास्तविक कार्य से कटाव हो सकता है।
  • सीखने का प्रत्यक्ष उपयोग तुरंत नहीं हो सकता।

ऑन-द-जॉब और ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण में अंतर:

पहलू ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण
स्थान कार्यस्थल पर। कार्यस्थल के बाहर।
लागत कम। अधिक।
शिक्षण शैली व्यावहारिक। सैद्धांतिक और व्यावहारिक।
अवधि अल्पकालिक। लंबी अवधि।
प्रभाव तुरंत प्रभाव। दीर्घकालिक लाभ।

निष्कर्ष:

ऑन-द-जॉब और ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है, जबकि ऑफ-द-जॉब प्रशिक्षण गहन और व्यापक ज्ञान प्रदान करता है। संगठन को अपनी आवश्यकता, बजट, और कर्मचारियों की भूमिकाओं के आधार पर उपयुक्त प्रशिक्षण विधि का चयन करना चाहिए।

प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन क्यों आवश्यक है? (Why is Assessment of Training Need Required to Design Training Program?)

प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल और प्रभावी बनाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन (Training Need Assessment) एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मूल्यांकन सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण का उद्देश्य सही है और यह कर्मचारियों तथा संगठन की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन (TNA) क्या है?

प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसमें यह पहचाना जाता है कि कर्मचारियों या संगठन को किस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यह कार्यक्रम की योजना बनाने से पहले किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रशिक्षण सही दिशा में होगा और इसका अधिकतम लाभ होगा।

प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन क्यों आवश्यक है?

  1. संगठन की आवश्यकताओं के साथ मेल (Alignment with Organizational Needs):
    • संगठन की रणनीतिक योजनाओं और लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम उन लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करे।
    • उदाहरण: यदि संगठन का लक्ष्य नई तकनीक को अपनाना है, तो प्रशिक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों को उस नई तकनीक के बारे में प्रशिक्षित करना होना चाहिए।
  2. कर्मचारियों की कौशल गेप पहचानना (Identifying Skill Gaps in Employees):
    • प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन यह पहचानने में मदद करता है कि कर्मचारियों के पास वर्तमान में कौन सी कौशल की कमी है।
    • उदाहरण: यदि एक विभाग के कर्मचारियों को उन्नत कंप्यूटर कौशल की आवश्यकता है, तो उस कौशल के लिए विशेष प्रशिक्षण तैयार किया जाएगा।
  3. प्रशिक्षण की प्रभावशीलता सुनिश्चित करना (Ensuring Training Effectiveness):
    • बिना उचित मूल्यांकन के, प्रशिक्षण बेकार या अप्रासंगिक हो सकता है। TNA यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम कर्मचारियों की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करेगा और यह प्रभावी होगा।
    • उदाहरण: यदि कर्मचारियों को केवल बुनियादी जानकारी की आवश्यकता है, तो एक अत्यधिक विस्तृत और जटिल कार्यक्रम उनके लिए फायदेमंद नहीं होगा।
  4. संसाधनों का सही उपयोग (Efficient Use of Resources):
    • प्रशिक्षण कार्यक्रमों में समय, धन, और अन्य संसाधन लगाए जाते हैं। यदि प्रशिक्षण की आवश्यकता का सही मूल्यांकन नहीं किया जाता, तो संसाधन सही दिशा में खर्च नहीं हो सकते।
    • TNA यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल उन कर्मचारियों के लिए तैयार किया जाए जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, जिससे संसाधनों का अपव्यय रोका जा सके।
  5. कर्मचारियों की प्रेरणा (Motivation of Employees):
    • जब प्रशिक्षण कर्मचारियों की वास्तविक आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार तैयार होता है, तो कर्मचारी इसे अधिक गंभीरता से लेते हैं और प्रशिक्षण में अधिक रुचि दिखाते हैं।
    • उदाहरण: अगर कर्मचारी समझते हैं कि प्रशिक्षण उनके वर्तमान कार्य में सुधार लाएगा, तो उनकी प्रेरणा बढ़ेगी।
  6. प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार (Improvement in Training Quality):
    • TNA के माध्यम से, संगठन यह जान सकता है कि कौन सा प्रशिक्षण सबसे अधिक प्रभावी होगा और किस तरह के प्रशिक्षण विधियों का चयन किया जाना चाहिए।
    • उदाहरण: अगर कर्मचारियों को नई सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में प्रशिक्षित किया जाना है, तो व्यावहारिक अभ्यास (hands-on training) अधिक प्रभावी होगा।
  7. संगठनात्मक बदलाव को समायोजित करना (Adapting to Organizational Changes):
    • संगठन में कोई भी बदलाव (जैसे नई तकनीक, नई प्रक्रिया, या नया नेतृत्व) कर्मचारियों को नए कौशल की आवश्यकता पैदा कर सकता है। TNA यह पहचानने में मदद करता है कि संगठन में हो रहे परिवर्तनों के मद्देनजर कर्मचारियों को किस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  8. दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देना (Promoting Long-term Development):
    • यह मूल्यांकन प्रशिक्षण को दीर्घकालिक विकास के दृष्टिकोण से तैयार करने में मदद करता है। इससे कर्मचारियों को उनके करियर की उन्नति के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त होते हैं।
    • उदाहरण: यदि संगठन कर्मचारियों को भविष्य में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार कर रहा है, तो उसे नेतृत्व विकास प्रशिक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
  9. संतोषजनक परिणाम प्राप्त करना (Achieving Satisfactory Results):
    • अगर प्रशिक्षण की आवश्यकता का सही मूल्यांकन किया गया है, तो प्रशिक्षुओं के प्रदर्शन में सकारात्मक बदलाव होगा। इससे संगठन के समग्र परिणाम भी बेहतर होंगे।
    • उदाहरण: एक अच्छे मूल्यांकन से, कर्मचारियों का प्रदर्शन, उत्पादकता, और टीमवर्क बेहतर होगा।

प्रशिक्षण की आवश्यकता मूल्यांकन के तरीके (Methods of Training Need Assessment)

  1. कर्मचारी सर्वेक्षण (Employee Surveys):
    • कर्मचारियों से उनके कौशल, ज्ञान, और कार्य से संबंधित समस्याओं पर सर्वेक्षण किया जाता है।
  2. साक्षात्कार (Interviews):
    • कर्मचारियों और प्रबंधकों के साथ साक्षात्कार करके प्रशिक्षण की आवश्यकता को पहचाना जाता है।
  3. प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal):
    • कर्मचारियों के प्रदर्शन के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि किसे प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  4. कार्य विश्लेषण (Job Analysis):
    • यह विश्लेषण करता है कि किसी विशेष भूमिका के लिए क्या कौशल और ज्ञान आवश्यक हैं और क्या कर्मचारी इन आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं।
  5. फीडबैक और निरीक्षण (Feedback and Observation):
    • कर्मचारी और प्रबंधक से प्राप्त फीडबैक और कार्यस्थल पर निरीक्षण के माध्यम से मूल्यांकन किया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रशिक्षण की आवश्यकता का मूल्यांकन (TNA) संगठन और कर्मचारियों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। यह न केवल प्रशिक्षण के प्रभाव को सुनिश्चित करता है, बल्कि यह संगठन के लक्ष्यों, कर्मचारियों की क्षमताओं, और दीर्घकालिक विकास योजनाओं के अनुरूप प्रशिक्षण तैयार करने में भी मदद करता है। जब प्रशिक्षण की आवश्यकता का सही मूल्यांकन किया जाता है, तो यह संसाधनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है और कर्मचारियों के प्रदर्शन में सुधार करता है।

UNIT-3

Define performance management and the scope of performance management.

प्रदर्शन प्रबंधन (Performance Management) क्या है?

प्रदर्शन प्रबंधन एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के प्रदर्शन को अधिकतम करना है ताकि संगठन अपने उद्देश्यों को प्रभावी तरीके से प्राप्त कर सके। यह एक प्रबंधकीय प्रक्रिया है जो कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन का आकलन करती है, उनके विकास की दिशा निर्धारित करती है, और उन्हें प्रेरित करने के लिए विभिन्न उपायों को लागू करती है। प्रदर्शन प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के प्रदर्शन में सुधार करना, उन्हें संगठन के लक्ष्यों के प्रति समर्पित रखना और कर्मचारियों के व्यक्तिगत विकास में मदद करना है।

प्रदर्शन प्रबंधन में कर्मचारियों के प्रदर्शन का निगरानी, मूल्यांकन, फीडबैक और मार्गदर्शन शामिल होता है। यह प्रक्रिया केवल मूल्यांकन तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह कर्मचारियों के सुधार, विकास, और संगठन के उद्देश्यों के साथ तालमेल बनाए रखने पर भी ध्यान केंद्रित करती है।


प्रदर्शन प्रबंधन का उद्देश्य (Objectives of Performance Management)

  1. कर्मचारियों का सुधार (Improvement of Employees):
    प्रदर्शन प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के प्रदर्शन में सुधार करना है। यह निरंतर प्रक्रिया है जिसमें नियमित रूप से फीडबैक दिया जाता है और कर्मचारियों को सुधार के लिए मार्गदर्शन मिलता है।
  2. संगठनात्मक लक्ष्यों के साथ तालमेल (Aligning with Organizational Goals):
    प्रदर्शन प्रबंधन सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों के व्यक्तिगत लक्ष्यों और संगठन के लक्ष्यों में सामंजस्य हो, जिससे दोनों एक साथ सफलता की दिशा में आगे बढ़ें।
  3. कर्मचारी विकास (Employee Development):
    यह कर्मचारियों के व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में मदद करता है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षण, कौशल विकास, और करियर योजना शामिल होती है।
  4. प्रेरणा और पुरस्कार (Motivation and Reward):
    प्रदर्शन प्रबंधन के माध्यम से कर्मचारियों को प्रेरित किया जाता है और अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें पुरस्कार या प्रोत्साहन दिया जाता है।
  5. प्रदर्शन में समानता (Fairness in Performance):
    यह सुनिश्चित करता है कि सभी कर्मचारियों का मूल्यांकन निष्पक्ष और समान तरीके से किया जाए। इससे संगठन में पारदर्शिता और विश्वास बनाए रखने में मदद मिलती है।

प्रदर्शन प्रबंधन का दायरा (Scope of Performance Management)

प्रदर्शन प्रबंधन का दायरा बहुत व्यापक होता है, जिसमें कई प्रमुख तत्व शामिल होते हैं। यह संगठन के विभिन्न पहलुओं को कवर करता है, जैसे कि कर्मचारियों का मूल्यांकन, सुधार, प्रशिक्षण, पुरस्कार, और कर्मचारियों का विकास। इसके मुख्य घटक निम्नलिखित हैं:

  1. कार्य की स्पष्टता (Clarity of Job Role):
    • कर्मचारियों के कार्य की स्पष्टता सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब कर्मचारियों को उनके कार्य और जिम्मेदारियों के बारे में स्पष्ट जानकारी होती है, तो वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
  2. लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting):
    • प्रदर्शन प्रबंधन में कर्मचारियों के लिए स्पष्ट और मापनीय लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक होता है। यह लक्ष्यों को SMART (Specific, Measurable, Achievable, Relevant, Time-bound) तरीके से निर्धारित किया जाता है।
  3. प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal):
    • यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा कर्मचारियों के प्रदर्शन का आकलन किया जाता है। प्रदर्शन मूल्यांकन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि 360-डिग्री फीडबैक, लक्ष्य आधारित मूल्यांकन, या मासिक/वार्षिक समीक्षा।
  4. फीडबैक और संवाद (Feedback and Communication):
    • प्रदर्शन प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नियमित फीडबैक और संवाद है। यह कर्मचारियों को अपने प्रदर्शन के बारे में जानकारी देता है और सुधार के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  5. प्रशिक्षण और विकास (Training and Development):
    • प्रदर्शन प्रबंधन के अंतर्गत कर्मचारियों के कौशल में सुधार के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह कर्मचारियों की क्षमता को बढ़ाता है और उन्हें नए कार्यों के लिए तैयार करता है।
  6. प्रेरणा और पुरस्कार (Motivation and Reward):
    • अच्छे प्रदर्शन को मान्यता देने और प्रेरित करने के लिए पुरस्कार और प्रोत्साहन प्रणाली विकसित की जाती है। यह कर्मचारियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करता है।
  7. कर्मचारी की संतुष्टि (Employee Satisfaction):
    • प्रदर्शन प्रबंधन यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी अपने कार्य से संतुष्ट हों और संगठन के लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहें। संतुष्टि से कर्मचारियों की उत्पादकता और संगठन की सफलता बढ़ती है।
  8. पारदर्शिता और निष्पक्षता (Transparency and Fairness):
    • प्रदर्शन प्रबंधन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि मूल्यांकन और पुरस्कार प्रणाली निष्पक्ष और समान हो, जिससे कर्मचारियों में विश्वास बना रहे।
  9. समस्या समाधान (Problem Solving):
    • कर्मचारियों के प्रदर्शन से संबंधित समस्याओं को पहचानना और उनका समाधान करना प्रदर्शन प्रबंधन का एक अहम हिस्सा है। यह संगठन में सुधार की दिशा में काम करता है।

प्रदर्शन प्रबंधन का महत्व (Importance of Performance Management)

  1. कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ाना (Increasing Employee Productivity):
    • जब कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के बारे में नियमित फीडबैक और मार्गदर्शन मिलता है, तो उनकी उत्पादकता बढ़ती है।
  2. संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करना (Achieving Organizational Goals):
    • प्रभावी प्रदर्शन प्रबंधन संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ कर्मचारियों के प्रदर्शन को संरेखित करता है, जिससे दोनों एक साथ आगे बढ़ते हैं।
  3. कर्मचारी संतुष्टि और प्रेरणा (Employee Satisfaction and Motivation):
    • जब कर्मचारियों का प्रदर्शन सही तरीके से मूल्यांकन किया जाता है और उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पुरस्कार दिया जाता है, तो उनकी संतुष्टि और प्रेरणा बढ़ती है।
  4. कर्मचारी विकास (Employee Development):
    • प्रदर्शन प्रबंधन कर्मचारियों के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे उनका करियर प्रगति करता है और संगठन को लाभ होता है।
  5. पारदर्शिता और निष्पक्षता (Transparency and Fairness):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली संगठन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखती है, जिससे कर्मचारियों का विश्वास और समर्पण संगठन के प्रति बढ़ता है।

Why is performance appraisal required? Explain its purpose.

प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal) क्यों आवश्यक है?

प्रदर्शन मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन का आकलन करना, उनकी शक्तियों और कमजोरियों को पहचानना, और उन्हें सुधारने और बेहतर बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है। यह प्रक्रिया संगठन और कर्मचारियों दोनों के लिए फायदेमंद होती है, क्योंकि यह कर्मचारियों के कार्यक्षेत्र में सुधार लाने, उनकी प्रेरणा बढ़ाने, और संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करती है।

प्रदर्शन मूल्यांकन से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के बारे में सही जानकारी मिल रही है और संगठन अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग कर रहा है। इसके माध्यम से, संगठन अपने कर्मचारियों को सही दिशा में प्रशिक्षित करने, सुधारने, और उन्हें उचित पुरस्कार देने का निर्णय ले सकता है।


प्रदर्शन मूल्यांकन का उद्देश्य (Purpose of Performance Appraisal):

  1. कर्मचारी का प्रदर्शन मापना (Measuring Employee Performance):
    • प्रदर्शन मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है। यह मूल्यांकन यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कर्मचारी अपने कार्य में कितना सक्षम है और कितने अच्छे से अपने लक्ष्यों को पूरा कर रहा है।
  2. प्रेरणा और प्रेरक प्रतिक्रिया (Motivation and Motivational Feedback):
    • नियमित प्रदर्शन मूल्यांकन से कर्मचारियों को यह पता चलता है कि उनका प्रदर्शन कैसा है। अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है और उन्हें अधिक मेहनत करने के लिए उत्साहित किया जाता है। यह कर्मचारियों की कार्य प्रेरणा को बढ़ाता है।
  3. कर्मचारी विकास (Employee Development):
    • प्रदर्शन मूल्यांकन से यह पता चलता है कि कर्मचारी को किस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। यह सुधारात्मक कदमों को पहचानने और कर्मचारियों के कौशल और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों की योजना बनाने में मदद करता है।
  4. संगठनात्मक लक्ष्यों के साथ तालमेल (Aligning with Organizational Goals):
    • प्रदर्शन मूल्यांकन यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी संगठन के उद्देश्यों और लक्ष्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह कर्मचारियों को यह समझने में मदद करता है कि उनका कार्य संगठन के समग्र लक्ष्यों में कैसे योगदान कर रहा है।
  5. पुरस्कार और प्रोत्साहन (Rewards and Recognition):
    • अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पहचानना और पुरस्कार देना प्रदर्शन मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। यह कर्मचारियों को पुरस्कृत करने और उनके योगदान को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे उनकी प्रेरणा बढ़ती है।
  6. फीडबैक और सुधार (Feedback and Improvement):
    • कर्मचारियों को उनके कार्य प्रदर्शन पर सही और रचनात्मक फीडबैक देने से उन्हें अपनी कमजोरियों को पहचानने और सुधारने का मौका मिलता है। यह सुधारात्मक कार्रवाइयों के लिए एक आधार तैयार करता है, जिससे कर्मचारी अपनी कार्यक्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।
  7. मानव संसाधन निर्णयों में सहायता (Assisting in HR Decisions):
    • प्रदर्शन मूल्यांकन से प्राप्त जानकारी मानव संसाधन (HR) विभाग को कर्मचारियों के संबंध में निर्णय लेने में मदद करती है, जैसे कि प्रमोशन, वेतन वृद्धि, प्रशिक्षण आवश्यकताएँ, या अनुशासनात्मक कार्रवाई। यह निर्णय सही और उचित होते हैं क्योंकि इन्हें कर्मचारी के प्रदर्शन पर आधारित किया जाता है।
  8. संवेदनशीलता और पारदर्शिता (Sensitivity and Transparency):
    • जब प्रदर्शन मूल्यांकन पारदर्शी तरीके से किया जाता है, तो कर्मचारियों को यह विश्वास होता है कि उनका मूल्यांकन निष्पक्ष रूप से किया जा रहा है। यह संगठन में विश्वास और ईमानदारी बनाए रखने में मदद करता है।
  9. कार्य संतुष्टि और कार्य वातावरण (Job Satisfaction and Work Environment):
    • जब कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के बारे में फीडबैक मिलता है और उनका उचित मूल्यांकन किया जाता है, तो वे अपने काम में अधिक संतुष्ट रहते हैं। इससे कार्य वातावरण में सुधार होता है और कर्मचारियों की प्रतिबद्धता बढ़ती है।
  10. संगठन के विकास में योगदान (Contribution to Organizational Growth):
    • संगठन को प्रदर्शन मूल्यांकन के माध्यम से कर्मचारियों की शक्ति, कौशल और कमजोरियों का आकलन होता है। यह संगठन को यह पहचानने में मदद करता है कि किन कर्मचारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ दी जा सकती हैं, और किसे किसी विशेष कौशल में प्रशिक्षण की आवश्यकता है, ताकि संगठन की समग्र कार्यक्षमता में वृद्धि हो सके।

प्रदर्शन मूल्यांकन के लाभ (Benefits of Performance Appraisal):

  1. कर्मचारियों की प्रेरणा बढ़ाता है:
    • जब कर्मचारी जानते हैं कि उनके प्रदर्शन का नियमित मूल्यांकन किया जाएगा, तो वे और अधिक मेहनत करते हैं। उन्हें यह प्रेरणा मिलती है कि अच्छा प्रदर्शन पुरस्कार और मान्यता की ओर ले जाएगा।
  2. व्यक्तिगत और संगठनात्मक लक्ष्यों में तालमेल:
    • प्रदर्शन मूल्यांकन के माध्यम से, कर्मचारियों के व्यक्तिगत लक्ष्य और संगठन के उद्देश्य एक साथ जोड़े जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि दोनों एक ही दिशा में काम कर रहे हैं।
  3. प्रबंधन को सही निर्णय लेने में मदद:
    • प्रदर्शन मूल्यांकन से प्रबंधन को यह निर्णय लेने में मदद मिलती है कि किसे पदोन्नति दी जाए, किसे प्रशिक्षण की आवश्यकता है, और कौन से कर्मचारी संगठन में बने रहने के योग्य हैं।
  4. संतुष्ट कर्मचारियों का निर्माण:
    • जब कर्मचारी मूल्यांकन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष मानते हैं, तो उनका कार्यस्थल पर संतोष बढ़ता है और वे अपने कार्य में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

What are the different methods of performance appraisal?

परंपरागत मूल्यांकन विधियाँ (Traditional Methods of Performance Appraisal)

A. ग्रेडिंग या रेटिंग स्केल (Grading or Rating Scale Method)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारी के प्रदर्शन को विभिन्न मापदंडों पर अंकित किया जाता है, जैसे कार्य दक्षता, टीमवर्क, समय प्रबंधन आदि। प्रत्येक मापदंड पर कर्मचारी को एक निश्चित अंक (जैसे 1 से 5 तक) दिए जाते हैं।
  • लाभ:
    • सरल और सीधी विधि है।
    • आसानी से समझने योग्य है।
  • सीमाएँ:
    • यह काफी सामान्य होती है और कर्मचारी के प्रदर्शन का सही आकलन नहीं कर पाती।
    • प्रबंधक की व्यक्तिगत राय पर निर्भर रहती है।

B. प्रतियोगी मूल्यांकन (Comparative Method)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारियों का प्रदर्शन एक दूसरे से तुलना करके आंका जाता है। इसमें सबसे सामान्य तरीका “पैरेलल रेटिंग” होता है, जिसमें कर्मचारियों को एक साथ तुलना किया जाता है और उन्हें एक क्रम में रखा जाता है (जैसे सबसे अच्छा, सबसे खराब आदि)।
  • लाभ:
    • कर्मचारियों के प्रदर्शन को एक सटीक तुलना के आधार पर आंका जाता है।
  • सीमाएँ:
    • कर्मचारियों के व्यक्तिगत गुणों और असाधारण प्रयासों का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता।
    • यह विधि टीमवर्क को अनदेखा कर सकती है।

C. कथात्मक विधि (Critical Incident Method)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारी के प्रदर्शन को उसके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण घटनाओं के आधार पर आंका जाता है। इनमें कर्मचारियों के अच्छे और बुरे कार्यों के उदाहरण होते हैं जो उनके प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।
  • लाभ:
    • यह एक वस्तुनिष्ठ और विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान करती है।
  • सीमाएँ:
    • इसे लागू करना कठिन हो सकता है और समय लेने वाला हो सकता है।
    • केवल कुछ उदाहरणों पर आधारित होता है, जिससे पूरी तस्वीर नहीं मिलती।

आधुनिक मूल्यांकन विधियाँ (Modern Methods of Performance Appraisal)

A. 360-डिग्री फीडबैक (360-Degree Feedback)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारी का मूल्यांकन विभिन्न स्रोतों से किया जाता है, जैसे कि उनके पर्यवेक्षक (supervisor), सहकर्मी (peers), उपकर्मचारी (subordinates), और ग्राहक (customers)। यह कर्मचारियों को उनके सभी पहलुओं में सुधार करने का अवसर प्रदान करता है।
  • लाभ:
    • यह एक समग्र दृष्टिकोण देता है।
    • यह कर्मचारियों को सुधार के लिए व्यापक फीडबैक प्राप्त करने में मदद करता है।
  • सीमाएँ:
    • यह प्रक्रिया समय-लेने वाली हो सकती है।
    • कई बार फीडबैक में पक्षपाती (biased) रवैया हो सकता है।

B. उद्देश्य आधारित मूल्यांकन (Management by Objectives – MBO)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारियों और प्रबंधकों के बीच प्रदर्शन लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाता है। इन लक्ष्यों के आधार पर कर्मचारी का मूल्यांकन किया जाता है। MBO में मुख्य ध्यान कर्मचारी के परिणामों (results) पर होता है, न कि उसके कार्यों पर।
  • लाभ:
    • कर्मचारी और प्रबंधक के बीच स्पष्ट और साझा लक्ष्यों को सुनिश्चित करता है।
    • यह कर्मचारी को व्यक्तिगत विकास के लिए प्रेरित करता है।
  • सीमाएँ:
    • इस विधि में केवल परिणामों पर ध्यान केंद्रित होता है, जबकि प्रक्रिया को नजरअंदाज किया जा सकता है।
    • कुछ परिणाम हमेशा मापने योग्य नहीं होते।

C. बालेंस्ड स्कोरकार्ड (Balanced Scorecard Method)

  • विवरण:
    यह एक समग्र विधि है जिसमें कर्मचारियों के प्रदर्शन का आकलन विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जाता है: वित्तीय प्रदर्शन, ग्राहक संतुष्टि, आंतरिक प्रक्रिया, और कर्मचारियों का विकास। यह संगठन के व्यापक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों के योगदान को मापता है।
  • लाभ:
    • यह एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है जो संगठन के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखता है।
  • सीमाएँ:
    • इसे लागू करना और बनाए रखना जटिल हो सकता है।
    • कर्मचारियों को सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है।

D. आंतरिक मानक (Forced Distribution Method)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारियों का प्रदर्शन एक निर्धारित पैटर्न में वितरित किया जाता है, जैसे कि 10% सबसे अच्छे, 20% औसत, और 10% सबसे कमजोर कर्मचारी। यह विधि प्रदर्शन के विभिन्न स्तरों को वर्गीकृत करने में मदद करती है।
  • लाभ:
    • इसे लागू करना अपेक्षाकृत सरल है और यह एक सुसंगत पैटर्न प्रदान करता है।
  • सीमाएँ:
    • यह विधि कर्मचारियों के वास्तविक प्रयासों को सही से पहचानने में कठिनाई पैदा कर सकती है।
    • कुछ कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से कमजोर माना जा सकता है।

आधिकारिक और कर्मचारी स्व-मूल्यांकन (Self and Peer Appraisal)

a. स्व-मूल्यांकन (Self Appraisal)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारी खुद अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। इसमें कर्मचारी को अपनी शक्तियों और कमजोरियों के बारे में विचार करने का अवसर मिलता है, और वह अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों और संगठन के लक्ष्यों के साथ तुलना करता है।
  • लाभ:
    • कर्मचारियों को आत्ममूल्यांकन से अपनी क्षमताओं और सुधार की आवश्यकता को पहचानने का मौका मिलता है।
  • सीमाएँ:
    • कर्मचारियों द्वारा खुद का मूल्यांकन पक्षपाती (biased) हो सकता है।

b. सहकर्मी मूल्यांकन (Peer Appraisal)

  • विवरण:
    इस विधि में कर्मचारियों के सहकर्मी उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं। यह विधि टीम आधारित कार्यों और समूहों में प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोगी होती है।
  • लाभ:
    • कर्मचारियों को अपनी टीम के बीच काम करने का और उनके कार्यों का समग्र आकलन करने का अवसर मिलता है।
  • सीमाएँ:
    • सहकर्मी मूल्यांकन में व्यक्तिगत समीकरण और पक्षपाती टिप्पणियां हो सकती हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रदर्शन मूल्यांकन के विभिन्न तरीके संगठन की आवश्यकता, संस्कृति और लक्ष्य के आधार पर चुने जाते हैं। प्रत्येक विधि का अपना लाभ और सीमाएँ होती हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि संगठन अपने उद्देश्य और कर्मचारियों के प्रदर्शन की सटीकता के आधार पर उपयुक्त विधि का चयन करें। सही प्रदर्शन मूल्यांकन न केवल कर्मचारियों की क्षमताओं को पहचानने में मदद करता है, बल्कि उन्हें सुधारने और संगठन के लक्ष्यों के साथ मेल खाने में भी सहायक होता है।

Explain the nature and scope of Performance Management.

प्रदर्शन प्रबंधन (Performance Management) का स्वभाव और दायरा

प्रदर्शन प्रबंधन (Performance Management) एक समग्र और निरंतर प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के प्रदर्शन को अधिकतम करना है। इसमें न केवल कर्मचारियों के प्रदर्शन का आकलन किया जाता है, बल्कि उन्हें लक्ष्य निर्धारित करने, उनकी क्षमता बढ़ाने, और उनके विकास के अवसर प्रदान करने की प्रक्रिया भी शामिल होती है। यह प्रक्रिया संगठन के उद्देश्यों के साथ कर्मचारियों के व्यक्तिगत लक्ष्यों को जोड़ने, उन्हें प्रेरित करने, और उनकी कार्यक्षमता में सुधार लाने के लिए काम करती है।


प्रदर्शन प्रबंधन का स्वभाव (Nature of Performance Management)

  1. निरंतर प्रक्रिया (Continuous Process):
    • प्रदर्शन प्रबंधन केवल एक वार्षिक मूल्यांकन नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें समय-समय पर कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। यह कर्मचारियों के प्रदर्शन को नियमित रूप से मॉनीटर करता है और सुधारात्मक कदम उठाने का अवसर प्रदान करता है।
  2. कर्मचारी और संगठन के बीच संबंध (Link Between Employee and Organization):
    • प्रदर्शन प्रबंधन का उद्देश्य कर्मचारियों के प्रदर्शन को संगठन के लक्ष्यों के साथ जोड़ा जाता है। यह कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से उनके कार्यों और संगठन के उद्देश्य के बीच संबंध को समझने में मदद करता है।
  3. संगठनों के उद्देश्यों के अनुरूप (Aligned with Organizational Goals):
    • प्रदर्शन प्रबंधन का एक मुख्य पहलू यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी संगठन के समग्र उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए काम कर रहे हैं। कर्मचारी के व्यक्तिगत लक्ष्यों को संगठन के लक्ष्यों से जोड़ा जाता है, ताकि सभी मिलकर समान उद्देश्य की दिशा में काम कर सकें।
  4. प्रतिस्पर्धात्मक और निष्पक्ष (Competitive and Fair):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली को निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए, ताकि कर्मचारी यह महसूस करें कि उनका मूल्यांकन केवल उनके कार्य के आधार पर किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कर्मचारियों को समान अवसर और उचित इनाम मिलना चाहिए।
  5. प्रेरणा देने वाली (Motivational):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रेरित करती है। अच्छे प्रदर्शन को पुरस्कार और मान्यता दी जाती है, जिससे कर्मचारी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित होते हैं।
  6. कर्मचारी विकास पर ध्यान केंद्रित (Focus on Employee Development):
    • प्रदर्शन प्रबंधन का उद्देश्य केवल कर्मचारियों का मूल्यांकन करना नहीं है, बल्कि यह उनकी क्षमता, कौशल और दक्षताओं को बढ़ाने के लिए भी एक मंच प्रदान करता है। कर्मचारियों को निरंतर प्रशिक्षण और विकास के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
  7. दृष्टिकोण और सुधारात्मक (Diagnostic and Corrective Approach):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रक्रिया केवल परिणामों का मूल्यांकन नहीं करती, बल्कि यह कर्मचारियों की कमजोरियों का निदान करने में भी मदद करती है। यह प्रक्रिया सुधारात्मक कदम उठाने के लिए एक योजना तैयार करती है, ताकि कर्मचारी अपनी कार्यक्षमता में सुधार कर सकें।

प्रदर्शन प्रबंधन का दायरा (Scope of Performance Management)

  1. लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रक्रिया का पहला कदम है कर्मचारी के लिए स्पष्ट और मापनीय लक्ष्य निर्धारित करना। यह लक्ष्य संगठन के समग्र उद्देश्यों से मेल खाते हुए कर्मचारियों की व्यक्तिगत क्षमताओं और भूमिका के अनुसार होते हैं। इससे कर्मचारियों को यह स्पष्ट होता है कि उन्हें क्या हासिल करना है और उनका योगदान संगठन की सफलता में कैसे समाहित है।
  2. प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal):
    • प्रदर्शन प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण घटक है कर्मचारी के कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन। यह मूल्यांकन नियमित अंतराल पर किया जाता है, जैसे वार्षिक, त्रैमासिक या मासिक। मूल्यांकन में कर्मचारियों के प्रदर्शन, क्षमता, और योगदान की समीक्षा की जाती है।
  3. फीडबैक और सुधार (Feedback and Improvement):
    • कर्मचारियों को नियमित और रचनात्मक फीडबैक प्रदान किया जाता है ताकि वे अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकें। यह फीडबैक कर्मचारियों को उनके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में जागरूक करता है और उन्हें सुधार की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
  4. प्रेरणा और पुरस्कार (Motivation and Rewards):
    • अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पहचान और पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार वित्तीय (जैसे बोनस, वेतन वृद्धि) या गैर-आर्थिक (जैसे प्रमोशन, मान्यता) हो सकते हैं। पुरस्कार कर्मचारियों को प्रेरित करते हैं और उनके कार्य में उत्कृष्टता बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं।
  5. कर्मचारी प्रशिक्षण और विकास (Employee Training and Development):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू कर्मचारियों को प्रशिक्षण और विकास के अवसर प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी अपने कार्यों में सुधार कर सके और नई क्षमताओं और कौशलों को हासिल कर सके।
  6. कर्मचारी वेलनेस और संतुष्टि (Employee Well-being and Satisfaction):
    • प्रदर्शन प्रबंधन का एक दायरा कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करना भी है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों की संतुष्टि, कार्य-जीवन संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाते हैं।
  7. प्रबंधन निर्णय (Management Decisions):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली द्वारा प्राप्त जानकारी का उपयोग विभिन्न प्रबंधन निर्णयों में किया जाता है, जैसे पदोन्नति, वेतन वृद्धि, अनुशासनात्मक कार्रवाई, और कर्मचारियों की भूमिका का पुनर्निर्धारण। यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय कर्मचारियों के वास्तविक प्रदर्शन पर आधारित हों।
  8. संगठनात्मक विकास (Organizational Development):
    • प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली संगठन के विकास में मदद करती है। जब कर्मचारियों का प्रदर्शन सुधारता है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव संगठन की समग्र उत्पादकता और विकास पर पड़ता है। इस प्रकार, यह प्रणाली संगठन को उसकी दीर्घकालिक रणनीतियों को लागू करने में सहायक होती है।
  9. संघटनात्मक संस्कृति (Organizational Culture):
    • प्रदर्शन प्रबंधन कर्मचारियों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, सहयोग, और कार्य नैतिकता को बढ़ावा देता है। यह संगठन की संस्कृति को आकार देने में मदद करता है, जिसमें पारदर्शिता, निष्पक्षता और सहयोग का महत्व होता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

प्रदर्शन प्रबंधन का उद्देश्य केवल कर्मचारियों के प्रदर्शन का आकलन करना नहीं है, बल्कि यह एक समग्र प्रक्रिया है जो कर्मचारियों की क्षमता, कौशल और दक्षता को बढ़ाने के लिए काम करती है। इसका दायरा व्यापक है, जिसमें लक्ष्य निर्धारण, मूल्यांकन, फीडबैक, पुरस्कार, विकास, और कर्मचारियों की संतुष्टि शामिल हैं। यह संगठन को न केवल अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि कर्मचारियों के व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में भी योगदान करता है। एक प्रभावी प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली संगठन को उच्च गुणवत्ता, उत्पादकता और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।

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