छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ :- छत्तीसगढ़ में 6 से 8 दिसंबर 2024 तक आयोजित ‘कौशिकी’, एक अखिल भारतीय कला महोत्सव एवं प्रतियोगिता, में देशभर से कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम का आयोजन आकार और वेदश्री कला संगम द्वारा किया गया, जिसमें अखिल भारतीय शास्त्रीय नृत्य, गायन, वाद्य कला, और दृश्य कलाओं की विभिन्न श्रेणियों में प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।
हेमा, वर्तमान में दिल्ली पब्लिक स्कूल, बाल्को, कोरबा की कक्षा 8वीं की छात्रा हैं। उन्होंने इस प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा और कठोर अभ्यास के माध्यम से निर्णायकों और दर्शकों का दिल जीत लिया।
हेमा की उल्लेखनीय कुछ उपलब्धियां-
हेमा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए कई पुरस्कार जीते हैं। उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
1. अखिल भारतीय संस्कृति संघ, पुणे (मई 2022):
एकल कथक नृत्य में चेयरमैन पुरस्कार।
2. नृत्य धाम कला समिति, भिलाई (अगस्त 2022):
प्रतिभा परिज्ञान महोत्सव में द्वितीय पुरस्कार।
3. साई नृत्य निलायम, बिलासपुर (सितंबर 2022):
प्रणव महोत्सव में प्रथम पुरस्कार।
4. नृत्यधाम कला समिति, भिलाई (अक्टूबर 2022):
देश राग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान।
5. महर्षि पंडित विष्णु दिगंबर अखिल भारतीय 58वी संगीत प्रतियोगिता (निनाद) आगरा (नवंबर 2022):
किशोर वर्ग में प्रथम स्थान।
6. अखिल भारतीय संस्कृति संघ, पुणे (मई 2024):
जूनियर सोलो कथक नृत्य में द्वितीय स्थान।
इसके अलावा कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी हेमा ने विशेष उपलब्धियाँ प्राप्त की है।
गुरु और परिवार का योगदान-
हेमा पिछले तीन वर्षों से प्रख्यात कथक गुरु और तबला वादक तलमणि सम्राट श्री मोरध्वज वैष्णव जी से कथक नृत्य की विधिवत शिक्षा ले रही हैं। हेमा के पिता श्री वीरेंद्र जायसवाल, जो बाल्को में कार्यरत हैं, और माता श्रीमती दीप्ति जायसवाल, जो शिक्षिका हैं, ने अपनी बेटी की सफलता का श्रेय उसकी लगन और गुरुजी के मार्गदर्शन को दिया है।
विद्यालय और समाज ने की सराहना-
डीपीएस बाल्को के प्राचार्य और शिक्षकों ने हेमा की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। समाज के विभिन्न वर्गों ने भी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए हेमा को शुभकामनाएं दीं।
अंतरराष्ट्रीय मंच की ओर अग्रसर-
हेमा अब अंतरराष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिताओं में भी अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। उनकी इस सफलता ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे कोरबा और छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है।
हेमा की यह उपलब्धि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है और भारतीय शास्त्रीय नृत्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।