कृषि क्षेत्र में मच सकता है हड़कंप, टोकन की गड़बड़ी से किसान परेशान
छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में कृषि विभाग की धान खरीदी प्रक्रिया में किसानों को नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। धान की खरीदी के लिए निर्धारित “टोकन तुंहर हाथ ऐप“ सॉफ़्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से किसानों के लिए टोकन प्राप्त करना बेहद मुश्किल हो गया है। 15 जनवरी तक के सभी धान खरीदी टोकन “फूल” (भर चुके) हो चुके हैं, जिससे किसानों में असंतोष की लहर फैल गई है।
किसानों की बढ़ी परेशानी, समय पर उपज बेचने में मुश्किलें, 15 जनवरी तक सभी टोकन हुए ‘फूल’
धान खरीदारी की यह समस्या किसानों के लिए गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर सकती है। निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी उपज बेचने के लिए किसानों को टोकन की आवश्यकता होती है। लेकिन “टोकन तुंहर हाथ ऐप“ इस सॉफ़्टवेयर में हुई गड़बड़ी की वजह से किसानों के लिए टोकन प्राप्त करना अब एक चुनौती बन गई है। 15 जनवरी तक सभी टोकन पहले ही “फूल” हो चुके हैं, जिससे किसानों को अपनी उपज समय पर नहीं बेच पाने का डर सता रहा है, और इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है।
किसान संगठन और ग्रामीण समुदाय इस समस्या को लेकर बेहद चिंतित हैं।
छत्तीसगढ़ टॉक डॉट कॉम की खबर का असर: किसानों को मिली राहत
किसानों का कहना है कि अगर यह सॉफ़्टवेयर गड़बड़ी जल्दी ठीक नहीं की जाती है, तो किसानों को अपनी उपज को बिचौलियों के हाथों बेचना पड़ेगा, जो उन्हें उचित मूल्य से बहुत कम दाम पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इससे उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और वे आर्थिक रूप से और अधिक परेशान हो सकते हैं।
धान खरीदी टोकन सॉफ़्टवेयर में गड़बड़ी: किसानों के लिए नई मुश्किलें
किसान नेताओं और संगठनों ने इस गंभीर समस्या पर उनका कहना है कि यदि यह समस्या शीघ्र हल नहीं की जाती है, तो वे शासन और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर धान खरीदी टोकन का सॉफ़्टवेयर समय पर सही नहीं हुआ, तो किसानों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है और उनकी मेहनत व्यर्थ जाएगी।
कलेक्टर से कार्रवाई की मांग, समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं
किसान संगठनों का कहना है कि कलेक्टर से मिलेंगे और हमे उम्मीद हैं कि कलेक्टर साहब इस मामले संज्ञान में लेते त्वरित कार्रवाई करेंगे। फिलहाल, कृषि विभाग की ओर से इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। किसानों का कहना है कि वे किसी भी हालत में अपनी उपज को उचित मूल्य पर बेचना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें सरकार से तत्काल मदद की आवश्यकता है।
कृषि विभाग को चाहिए त्वरित समाधान
अभी तक विभाग की ओर से स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है, जिससे किसानों के मन में और अधिक असंतोष पनप रहा है। यदि जल्द ही समाधान नहीं मिलता, तो यह स्थिति और खराब हो सकती है। किसान विरोध प्रदर्शन की ओर भी बढ़ सकते हैं, जो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती है।
किसान बिचौलियों के हाथों फंसने से डरते हैं
किसानों का कहना है कि यदि सॉफ़्टवेयर में हुई गड़बड़ी से शीघ्र हल नहीं निकाला गया, तो उन्हें बिचौलियों के हाथों अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बिचौलिए अपनी साजिशों के तहत धान की खरीदी को कम कीमत पर करने के लिए किसानों को दबाव में डाल सकते हैं। इससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा, और उनके उत्पादों की सही कीमत न मिलने पर उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा।
संभावित विरोध प्रदर्शन और समाधान की ओर कदम बढ़ाने की आवश्यकता
किसानों का कहना है कि अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतर सकते हैं और विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। इससे शासन और प्रशासन पर दबाव बनेगा, और शायद उनके मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर कृषि विभाग इस समस्या का त्वरित समाधान नहीं निकालता है, तो उनका विरोध आंदोलन के रूप में और भी विकराल हो सकता है।
किसान इस समय धान की खरीदी में कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, और सबसे बड़ी समस्या यह है कि सॉफ़्टवेयर में गड़बड़ी के कारण उनके लिए टोकन प्राप्त करना लगभग असंभव हो गया है। कृषि विभाग को इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि किसानों को उनके अधिकार और उचित मूल्य मिल सके। इसके साथ ही, किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन और सरकार को मिलकर काम करना होगा ताकि उनका विश्वास बहाल हो सके और वे अपनी उपज को सही समय पर और सही मूल्य पर बेच सकें।
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