



बलौदाबाजार में 6 मई को पं. बंशराज तिवारी की 99वीं जयंती पर चंदा देवी तिवारी हॉस्पिटल में नि:शुल्क रोग परीक्षण व सर्जरी शिविर आयोजित। विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा इलाज, 19 वर्षों से जारी सेवा परंपरा।
रायपुर/बलौदाबाजार: बलौदाबाजार नगर में 6 मई को एक बार फिर सेवा और समर्पण की मिसाल देखने को मिलेगी। स्व. पं. बंशराज तिवारी की 99वीं जयंती के अवसर पर चंदा देवी तिवारी हॉस्पिटल में नि:शुल्क बहुविशेषज्ञ रोग परीक्षण एवं निदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन क्षेत्र के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रमोद तिवारी, उनके पुत्र डॉ. नितिन तिवारी एवं पौत्रवधु डॉ. गीतिका शंकर तिवारी द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
शिविर में उदर रोग, स्त्री रोग, अस्थि रोग, नेत्र, दंत, शिशु, हृदय एवं सामान्य रोगों की जांच विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा की जाएगी। बवासीर, हाइड्रोसील, हार्निया जैसी शल्य क्रियाएं पूरी तरह निःशुल्क की जाएंगी। इसके अलावा आवश्यकता अनुसार मरीजों की ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, ईसीजी और सोनोग्राफी जैसी सुविधाएं भी पूर्णतः निःशुल्क रहेंगी।
चंदा देवी हॉस्पिटल: सेवा की परंपरा को बनाया मिशन
डॉ. प्रमोद तिवारी ने कहा,
“पिताजी के सेवा कार्यों और समाज के प्रति समर्पण से प्रेरणा लेकर हम हर वर्ष उनकी जयंती पर यह शिविर आयोजित करते हैं। यह सेवा पिछले 19 वर्षों से निरंतर जारी है, जिससे अब तक हजारों गरीब और जरूरतमंद मरीज लाभान्वित हो चुके हैं। यह हमारी श्रद्धांजलि है—सेवा के रूप में।”
चंदा देवी हॉस्पिटल: कौन थे पं. बंशराज तिवारी?
स्व. पं. बंशराज तिवारी न केवल बलौदाबाजार के लोकप्रिय विधायक रहे, बल्कि वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी और गरीबों के लिए न्याय की आवाज भी थे। उनका जन्म 6 मई 1925 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। महात्मा गांधी की प्रेरणा से उन्होंने पटेल पद से इस्तीफा देकर स्वतंत्रता आंदोलन में कदम रखा।
उन्होंने 1977 में विधायक निर्वाचित होकर बलौदाबाजार के विकास में क्रांतिकारी कार्य किए—
- शिवनाथ नदी से बलौदाबाजार तक जल प्रदाय योजना
- खोरसी नाला और अन्य पुलों का निर्माण
- बलौदाबाजार में न्यायालय की स्थापना
- सीमेंट कारखानों के लिए डोलोमाइट परीक्षण
- नगर को गांवों से जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण
- सरकारी कॉलेज, डाकघर, टेलीफोन एक्सचेंज, पानी टंकी का निर्माण
बलिदान और समर्पण की विरासत
आपातकाल में उन्होंने तानाशाही के खिलाफ बलौदाबाजार में एकमात्र जुलूस निकाला, जिसके बाद उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और वे रायपुर सेंट्रल जेल में मधु लिमये व जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं के साथ बंद रहे।
उनके निधन के बाद उनके पुत्रों द्वारा जनसेवा की यह परंपरा जारी है। पत्नी की स्मृति में हॉस्पिटल, संघ को दी गई भूमि, और मुख्य मार्ग के लिए शासन को दान की गई करोड़ों की जमीन उनके परिवार के समाज समर्पण को दर्शाती है। प्रशासन ने उनकी स्मृति में नगर के मुख्य मार्ग का नाम “पं. बंशराज तिवारी मुख्यमार्ग” रखा है।
भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
पं. बंशराज तिवारी की स्मृति में आयोजित यह शिविर समाज में सेवा की भावना को जीवंत बनाए रखने का प्रयास है। क्षेत्रवासी यह मानते हैं कि शासन-प्रशासन को चाहिए कि ऐसे महान व्यक्तित्व को स्थायी रूप से स्मृति में रखने के लिए कोई भव्य स्मारक या संस्थान की स्थापना करे ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके योगदान को जान सकें और प्रेरणा ले सकें।
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