छत्तीसगढ़ में पहला टी 55 टैंक: 1971 के युद्ध का नायक टी 55 टैंक अब यहां

छत्तीसगढ़ में पहला टी 55 टैंक: 1971 के युद्ध का नायक टी 55 टैंक अब अम्बिकापुर में (Chhattisgarh Talk)
छत्तीसगढ़ में पहला टी 55 टैंक: 1971 के युद्ध का नायक टी 55 टैंक अब अम्बिकापुर में (Chhattisgarh Talk)

अंबिकापुर सैनिक स्कूल में भारतीय सेना के शौर्य प्रतीक, टी 55 टैंक की स्थापना की गई। यह ऐतिहासिक टैंक 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध का हिस्सा था, जो अब भारतीय सेना की वीरता को दर्शाता है और स्थानीय युवाओं को प्रेरित करेगा।

अंबिकापुर, छत्तीसगढ़: भारतीय सेना के शौर्य और वीरता का प्रतीक, टी 55 टैंक अब छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित सैनिक स्कूल में स्थापित किया गया है। यह ऐतिहासिक वॉर टैंक बुधवार को स्कूल के मुख्य गेट पर तैनात किया गया। भारतीय सेना की वीरता का यह प्रतीक अब छात्रों, शिक्षकों, और स्थानीय नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह कदम न केवल भारतीय सेना की शौर्य गाथाओं को जीवंत करने के लिए है, बल्कि क्षेत्र के युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाला टी 55 टैंक छत्तीसगढ़ में -एक ऐतिहासिक पल

टी 55 टैंक, जो कि सोवियत संघ द्वारा निर्मित एक युद्धक टैंक है, भारतीय सेना का एक अहम हिस्सा रहा है। इसे भारतीय सेना में 1950 के दशक के अंत में शामिल किया गया था और इस टैंक ने कई प्रमुख सैन्य अभियानों में भाग लिया। सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध में था, जहां इस टैंक ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए थे। बैटल ऑफ चम में यह टैंक भारतीय सेना के प्रमुख हथियार के रूप में सामने आया था, जिससे न केवल युद्ध के मैदान में पाकिस्तान की ताकत को कुचला गया, बल्कि भारतीय सेना की शक्ति और रणनीति को भी स्थापित किया गया।

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इस टैंक की सेवा लगभग 30 साल तक भारतीय सेना में रही, और 1997 में इसे डीकमीशन कर दिया गया। अब, यह टैंक अंबिकापुर के सैनिक स्कूल में एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में रखा गया है, जो भारतीय सेना की वीरता की याद दिलाता है।

छत्तीसगढ़ में पहला टी 55 टैंक

अंबिकापुर सैनिक स्कूल में इस टैंक की स्थापना का समारोह बेहद धूमधाम से मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर अंबिकापुर के विधायक श्री राजेश अग्रवाल और स्कूल के वाइस प्रिंसिपल श्री पी श्रीनिवास ने इस टैंक का अनावरण किया। इसके बाद, स्कूल के कैडेट्स, स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि इस टैंक को देखने पहुंचे और इसके इतिहास तथा महत्व पर विस्तार से चर्चा की।

टैंक के अनावरण के बाद, इसने न केवल स्थानीय लोगों को भारतीय सेना की शौर्य गाथाओं से परिचित कराया, बल्कि इसे देखने के बाद क्षेत्र के युवा में सेना के प्रति आस्था और प्रेरणा की भावना भी उत्पन्न हुई।

टी 55 टैंक की प्रमुख विशेषताएँ

टी 55 टैंक का वजन करीब 36 टन है और यह युद्ध के दौरान अत्यधिक प्रभावशाली साबित हुआ था। इसमें चार सदस्य होते हैं – एक कमांडर, एक गनर, एक लोडर और एक ड्राइवर। इसकी अधिकतम स्पीड 54 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो इसे युद्ध के मैदान में अत्यधिक प्रभावशाली बनाती है। भारतीय सेना के इतिहास में यह टैंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अब यह अंबिकापुर सैनिक स्कूल के मेन गेट पर तैनात होकर छात्रों और स्थानीय समुदाय के लिए एक शौर्य का प्रतीक बन गया है।

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“1971 के युद्ध का नायक टी 55 टैंक अब अंबिकापुर सैनिक स्कूल में: देशभक्ति की गौरव और प्रेरणा का स्रोत”

इस टैंक की स्थापना से अंबिकापुर और आसपास के क्षेत्र के नागरिकों में देशभक्ति की भावना को नई ऊर्जा मिली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस टैंक को देखकर उन्हें भारतीय सेना की वीरता और उसकी शौर्य गाथाओं की याद आती है। विशेष रूप से, यह स्थापना क्षेत्र के युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी। सैनिक स्कूल के छात्रों के लिए यह टैंक एक प्रेरणास्त्रोत बनेगा, जो उन्हें सेना की ताकत और उसकी महानता से अवगत कराएगा।

अंश सिन्हा, जो कि सैनिक स्कूल अंबिकापुर के वाइस कैप्टन हैं, ने कहा, “टी 55 टैंक का यहां होना हमारे लिए गर्व की बात है। यह न केवल भारतीय सेना के इतिहास का हिस्सा है, बल्कि हमें यह भी समझने का मौका मिलता है कि हमारी सेना ने किस प्रकार दुश्मनों को परास्त किया और भारत को गौरवान्वित किया।”

छत्तीसगढ़ में पहला टी 55 टैंक: युवाओं को सेना में प्रेरित करेगा

अंबिकापुर सैनिक स्कूल में यह टैंक एक प्रेरणा का स्तंभ बन चुका है। यहां के छात्र अब इसे सिर्फ एक युद्धक टैंक के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय सेना के समर्पण, साहस और बलिदान का प्रतीक मानते हैं। इस टैंक के साथ छात्रों को भारतीय सेना के इतिहास और उसके गौरवपूर्ण अभियानों की जानकारी मिलती है।

1971 के युद्ध का नायक टी 55 टैंक की जरूरी जानकारी (Chhattisgarh Talk)
1971 के युद्ध का नायक टी 55 टैंक की जरूरी जानकारी (Chhattisgarh Talk)

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स्थानीय समुदाय में खुशी और गर्व

टी 55 टैंक की स्थापना से अंबिकापुर के नागरिकों में खुशी और गर्व की लहर दौड़ गई है। छात्र, शिक्षक, स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि इस ऐतिहासिक घटना को गर्व के साथ मनाते हैं। यह घटना अंबिकापुर और पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है, जिससे इस इलाके में देशभक्ति और भारतीय सेना के प्रति श्रद्धा का नया संचार हो रहा है।

छत्तीसगढ़ का दूसरा युद्ध टैंक

इस टी 55 टैंक की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि यह राज्य का पहला टी 55 टैंक है। हालांकि, यह राज्य का दूसरा युद्ध टैंक है, जो भारतीय सेना के गौरव को प्रदर्शित करता है।

टी 55 टैंक अब अंबिकापुर सैनिक स्कूल में स्थापित होकर भारतीय सेना के गौरव और वीरता का प्रतीक बन गया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।

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