टोकन तुंहर हाथ: धान बेचने टोकन लेने में सर्वर की दिक्कत, चार मिनट में ही खत्म हो जाती है खरीदने की लिमिट, च्वाइस सेंटरों में बढ़ी भीड़, टोकन तुंहर हाथ एप भी देर से खुलता है….
टोकन तुंहर हाथ: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान की खरीदी के लिए शुरू की गई टोकन तुहर हाथ मोबाइल एप प्रणाली किसानों के लिए राहत से ज्यादा चिंता का कारण बन गई है। इस एप का उद्देश्य किसानों को समितियों के चक्कर लगाने से बचाना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं और सीमित खरीदी क्षमता के चलते किसानों को टोकन प्राप्त करने में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं।
“धान खरीदी में टोकन तुहर हाथ एप प्रणाली से किसानों की बढ़ी परेशानी, सर्वर और समय की समस्या से टोकन कटवाना मुश्किल”
टोकन तुंहर हाथ: समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए लागू की गई टोकन तुहर हाथ मोबाइल एप प्रणाली किसानों के लिए राहत से ज्यादा चिंता का कारण बन गई है। तकनीकी समस्याओं और सीमित खरीदी क्षमता के चलते किसान टोकन कटवाने के लिए घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं। इस एप को लाने का उद्देश्य था कि किसानों को समितियों के चक्कर लगाने से बचाया जाए। लेकिन यह योजना अपने उद्देश्य में विफल होती दिख रही है। एप सुबह 9:30 बजे चालू होता है, लेकिन जैसे ही किसान टोकन कटाने की कोशिश करते हैं, सर्वर डाउन या एप स्लो हो जाता है। जिन किसानों को एप कनेक्ट करने का मौका मिलता है, उन्हें 2-4 मिनट के अंदर टोकन कटाने का प्रयास करना पड़ता है। 4 मिनट के अंदर खरीदी केंद्र का लिमिट खत्म हो जाता है।
बलौदा बाजार में वायु सेना भर्ती, करियर गाइडेंस से जाने A TO Z जानकारी
ऐसे में किसान निराश होने लगा है क्योंकि सरकार ने धान खरीदी भी 14 दिन विलंब से शुरू किया और अब टोकन नहीं कटने से किसानों को धान बेचने में तकलीफ हो रही है। रोजाना की खरीदी सीमा इतनी जल्दी खत्म हो जाती है कि अधिकांश किसान टोकन कटाने में असफल रहते हैं। वही किसानों का कहना है कि वे सुबह से ही एप पर टोकन कटाने की कोशिश में लग जाते हैं, लेकिन सर्वर की समस्याओं और सीमित समय के कारण टोकन काटना संभव नहीं हो पाता। इस बार जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या 1,67,849 वही कुल पंजीकृत रकबा 1,76,008 हेक्टेयर और खरीदी का अनुमति लक्ष्य 9,62,912 टन है।
खरीदी 32,855 टन खरीदी, शुक्रवार को 8703 टन के लिए टोकन जारी
टोकन तुंहर हाथ: पंजीकृत किसानों में से केवल 7,877 (4.66%) को अब तक टोकन मिले हैं। खरीदी रकबे की कुल प्रतिशत 3.6% है, जो लक्ष्य से बहुत पीछे है। समस्या से जूझते किसानों ने सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। पूर्व में सहकारी समितियों से टोकन जारी किए जाते थे, जिससे उन्हें सहूलियत होती थी। उसे पुनः प्रारंभ करने और सर्वर और एप की क्षमता बढ़ाने एप को अपग्रेड कर इसकी क्षमता बढ़ाने की मांग की है। साथ ही खरीदी सीमा में वृद्धि कर रोजाना खरीदी की सीमा बढ़ाई जाए। साथ ही साथ ऑफलाइन टोकन का विकल्प उपलब्ध हो जिन किसानों के पास स्मार्टफोन या तकनीकी ज्ञान नहीं है, उनके लिए ऑफलाइन टोकन की व्यवस्था की जाए।
किसान अब सरकार से इस समस्या का समाधान करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि टोकन जारी करने के पुराने तरीके को फिर से शुरू किया जाए और एप की क्षमता बढ़ाई जाए। इसके अलावा, ऑफलाइन टोकन की व्यवस्था भी की जाए ताकि जिन किसानों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं या तकनीकी ज्ञान नहीं है, वे भी धान बेच सकें।
मिलर्स की हड़ताल से पुराने बारदानों की कमी, खरीदी प्रभावित
टोकन तुंहर हाथ: वही मिलार्स भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है जिससे खरीदी केंद्रों में पुराने बारदाने की समस्या हो रही है। खरीदी के सप्ताह भर में ही खरीदी के लिए बारदाना नहीं मिलने सेे खरीदी प्रभावित होने लगी है। वही कई खरीदी केंद्रों में किसानों को स्वयं के बारदाने में धान लाने को बोलने लगे हैं तो वही कई जगह बारदाने की कमी से खरीदी नहीं होने की सूचना भी गांवों में दी जा रही है। कोसमंदी गुरुवार को पुराने बारदाने की कमी के चलते खरीदी बंद का मुनादी करा दी गई थी, मगर सुबह बारदाने की व्यवस्था होने पर धान खरीदी की गई है।
बलौदाबाजार: अवैध रेत खनन का कारोबार नहीं थमा, प्रशासन की कार्रवाई भी बेअसर