Farmers of Chhattisgarh : गेहूं में ताप प्रतिरोधी किस्म बहुत जल्द, जलवायु परिवर्तन के घेरे में अब गेहूं उत्पादक किसान
Chhattisgarh Talk / राजकुमार मल / भाटापारा न्यूज़ : बढ़ता तापमान, घटता उत्पादन। जरूरत अब गेहूं में ऐसी किस्म की महसूस की जा रही है, जिसमें बढ़ता तापमान सहने की क्षमता हो। सब कुछ सही रहा, तो किसानों को ताप प्रतिरोधी किस्म के गेहूं बीज बहुत जल्द मिलने लगेंगे।
Farmers of Chhattisgarh : जलवायु परिवर्तन के घेरे में अब गेहूं उत्पादक किसान भी आ चुके हैं। बोनी और फसल वृद्धि के मौके पर बढ़ता तापमान न केवल उत्पादन पर असर डाल रहा है बल्कि भूजल का स्तर भी तेजी से गिर रहा है। इसलिए किसान अब गेहूं में ताप प्रतिरोधी किस्म की प्रतीक्षा में हैं, जिस पर अनुसंधान लगभग पूरा हो चुका है।
इसलिए ताप प्रतिरोधी
Farmers of Chhattisgarh : गेहूं की बोनी नवंबर माह के अंत से लेकर दिसंबर अंत तक हर हाल में हो जाना चाहिए लेकिन यह काम इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि मध्य और विलंब से तैयार होने वाली धान की फसल लेते हैं, प्रदेश के किसान। इसकी कटाई 15 नवंबर तक होती देखी गई है। इसलिए गेहूं की बोनी के समय तापमान 28 से 29 डिग्री सेल्सियस की जगह 30 से 32 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचा हुआ होता है। असर, फसल की वृद्धि के समय तापमान इससे कुछ ज्यादा होता है।
परिणाम, कमजोर उत्पादन
Farmers of Chhattisgarh : मार्च के महीने में जैसा तापमान गेहूं की फसल के लिए होना चाहिए, यदि वह 32 से 35 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है, तो इस बरस गेहूं उत्पादन में 19.03% तक की गिरावट के प्रबल आसार हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि विलंब से बोनी के बाद मार्च महीने का तापमान इसके आसपास ही दर्ज किया गया है। यह ठीक वह महीना है, जब पौधों में पुष्पन और परागण की प्रक्रिया होती है।
प्रतीक्षा इन प्रजातियों की
Farmers of Chhattisgarh : केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद और नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट अडॉप्टेबल एग्रीकल्चर ने ताप प्रतिरोधी गेहूं की कुछ किस्में विकसित की हैं। भारतीय गेहूं और जौ संस्थान करनाल ने सात ऐसी प्रजातियां तैयार की हैं, जिन्हें ताप परिवर्तन रोधी किस्म माना जा रहा है। इधर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा में भी 6 प्रजातियां तैयार की जा चुकीं हैं, जो गर्मी सहनशील हैं। बताते चलें कि बीटीसी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर में भी कुछ प्रजातियों पर काम हुआ है।
रखना होगा इसका ध्यान
Farmers of Chhattisgarh : ताप प्रतिरोधी किस्म की बोनी में, समय का ध्यान बेहद अहम होगा क्योंकि बोनी करने के 100 से 110 दिन बाद पौधों में फूल लगने लगते हैं। बाद में परागण की प्रक्रिया में 4 से 5 दिन लगते हैं। नई किस्मों में इस दौरान 30 डिग्री सेल्सियस तापमान को सही माना गया है। यह स्तर बना रहा, तो दानों का वजन सही और उत्पादन का स्तर भी बना रहेगा।
बीज के लिए शासन स्तर पर पहल जरूरी
Farmers of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ प्रदेश की भूमि और तापमान को देखते हुए नवंबर अंत से दिसंबर प्रथम सप्ताह तक का समय सही माना गया है। नई ताप प्रतिरोधी किस्म के बीज के लिए शासन और प्रशासन का प्रयास जरूरी है क्योंकि प्रदेश के किसानों का रुझान नई किस्म की ओर तेजी से बढ़ रहा है — डॉ.एस.आर. पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर