राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के गृह जिले में तहसील कार्यालय में किसान ने खाया जहर! जानें पूरा मामला

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के गृह जिले में तहसील कार्यालय में किसान ने खाया जहर! जानें पूरा मामला (Chhattisgarh Talk)
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के गृह जिले में तहसील कार्यालय में किसान ने खाया जहर! जानें पूरा मामला (Chhattisgarh Talk)

बलौदाबाजार के सुहेला तहसील कार्यालय में किसान हीरालाल साहू ने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। प्रशासनिक लापरवाही के चलते किसान लंबे समय से परेशान था। जानें पूरी खबर।

विश्वनाथ द्विवेदी, बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। कैबिनेट एवं राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के गृह जिले में एक किसान ने तहसील कार्यालय में जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। किसान हीरालाल साहू, निवासी बुढ़गहन गांव, लंबे समय से अपनी जमीन पर कब्जे से जुड़े विवाद को लेकर परेशान था। जब बार-बार प्रशासन से मदद नहीं मिली, तो आखिरकार उसने तहसील कार्यालय सुहेला में जहर खा लिया।

घटना के बाद तहसील कार्यालय में हड़कंप मच गया। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत किसान को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुहेला में भर्ती कराया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

क्यों खाया किसान ने जहर?

सूत्रों के मुताबिक, किसान हीरालाल साहू का भूमि कब्जे से जुड़ा एक मामला सुहेला तहसील में लंबित था। वह लगातार तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहा था, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की बेरुखी और मामले के लंबित रहने के कारण वह मानसिक रूप से टूट चुका था।

इस दौरान उसने कई बार तहसीलदार और अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। आखिरकार न्याय की उम्मीद छोड़कर उसने तहसील कार्यालय के अंदर ही जहर खा लिया।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा- राजस्व मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में किसान की आत्महत्या की कोशिश

दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि राजस्व मंत्री के विधानसभा क्षेत्र का किसान राजस्व अधिकारियों की लापरवाही के चलते आत्महत्या का प्रयास करने को मजबूर हो रहे है। इससे यह सिद्ध हो रहा है कि सरकार और सरकार के मंत्री संवेदनहीन हो गये हैं। प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है। यह सरकार की नाकामी और मंत्री जी की असफलता है। -हितेंद्र ठाकुर, कांग्रेस जिलाध्यक्ष बलौदाबाजार

बलौदाबाजार किसान आत्महत्या: घटना के बाद प्रशासन ने साधी चुप्पी

जब इस मामले में अधिक जानकारी के लिए पत्रकारों ने तहसीलदार कुनाल सरवैया और CMHO राजेश अवस्थी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन काट दिया और जवाब देने से बचते रहे। यह प्रशासनिक लापरवाही अब लोगों के गुस्से की वजह बन रही है।

SDM ने क्या कहा?

सिमगा SDM अंशुल वर्मा ने कहा कि किसान हीरालाल साहू का मामला न्यायालयीन प्रक्रिया में था और तुरंत समाधान संभव नहीं था। संभवतः किसान इस कारण मानसिक रूप से परेशान रहा होगा, जिससे उसने यह कदम उठाया।

प्रशासन पर उठ रहे हैं बड़े सवाल

  • किसान ने न्याय की उम्मीद में कब से प्रशासन के चक्कर काटे?
  • यदि मामला न्यायालय में लंबित था, तो उसे उचित कानूनी सलाह और सहायता क्यों नहीं दी गई?
  • अधिकारियों ने फोन काटकर मामले पर चुप्पी क्यों साध ली?
  • अगर समय रहते उसकी शिकायत पर कार्रवाई होती, तो क्या यह घटना टल सकती थी?

बलौदाबाजार किसान आत्महत्या: किसान की हालत गंभीर, ग्रामीणों में आक्रोश

फिलहाल डॉक्टरों की टीम किसान की हालत पर नजर बनाए हुए है, लेकिन इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और किसान संगठनों में आक्रोश बढ़ गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने पहले ही उचित कार्रवाई की होती, तो यह स्थिति नहीं आती। किसान पहले से ही आर्थिक और मानसिक दबाव में रहते हैं, ऐसे में प्रशासन की लापरवाही उनके लिए आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने का कारण बन जाती है।

किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेने की जरूरत

किसानों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं, और प्रशासन की निष्क्रियता इस समस्या को और विकराल बना रही है। यह घटना एक बार फिर बताती है कि अगर समय पर प्रशासन ने हस्तक्षेप किया होता, तो आज एक किसान अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष नहीं कर रहा होता।

अब देखना होगा कि प्रशासन इस घटना को लेकर क्या कदम उठाता है, और क्या हीरालाल साहू को न्याय मिलेगा या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

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