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Election Result : सरकार भले ही चली गई, पर किसानों को याद आएंगे भूपेश बघेल, धान की कीमत बढ़ाने का श्रेय किसान दे रहे भूपेश बघेल को

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Election Result : सरकार भले ही चली गई, पर किसानों को याद आएंगे भूपेश बघेल, धान की कीमत बढ़ाने का श्रेय किसान दे रहे भूपेश बघेल को

पिछले 5 साल में हुए कार्य को देखकर अब भी बदलाव को नहीं पचा पा रहे लोग

Chhattisgarh Talk / लतीफ मोहम्मत / देवभोग: छत्तीसगढ़ विधानसभा का चुनाव संपन्न हो गया है। भूपेश बघेल की सरकार बदल गई है। अब बदली राजनीतिक समीकरण को लेकर केवल राजनीतिक दल के लोग ही नहीं चिंतन कर रहे हैं बल्कि आम लोग और किसान भी चिंतन कर रहे यह भी सोच रहे हैं कि 5 साल में कई ऐतिहासिक करने के बाद भी भूपेश बघेल सरकार क्यों बदल गई। घोषणा पत्र भी भाजपा की तुलना में कांग्रेस का मजबूत था इसके बाद भी लोगों ने भूपेश बघेल को क्यों नकार दिया, इसको लेकर लोक चर्चा में लगे हुए सरकार चली गई हो लेकिन बघेल कई मायने में किसानों याद आएंगे।

खास तौर पर धान की कीमत को बढ़ाने को लेकर बघेल को ही याद करेंगे।विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने वाली है। भूपेश बघेल की सरकार अब सत्ता से बाहर है,लेकिन हमेशा की तरह लोग अब चिंतन मनन और मंथन में लग गए हैं। बीते 5 साल के भूपेश बघेल के कार्यकाल को याद की कर रहे हैं कि उन्होंने क्या किया और क्या नहीं किया। इस मामले में किसान वर्ग सबसे आगे हैं,किसानों का कहना है कि भूपेश बघेल ने ही आज धान की कीमत बढ़ाई है। यदि भाजपा आज 3100 रुपए दे रही है तो इसका श्रेय भी भूपेश बघेल को ही जाता है,क्योंकि यदि भूपेश बघेल धान की कीमत 2800 नहीं करते तो शायद भाजपा भी धान की कीमत इतनी नहीं देती। यही वजह है कि सरकार तो भले चली गई है लेकिन किसान भूपेश बघेल को हमेशा याद रखेंगे कि उनकी उपज की वास्तविक कीमत दिलाने में भूपेश बघेल की ही महत्वपूर्ण भूमिका है।

कर्ज माफी और धान की कीमत बढ़ाकर भरी थी किसानों की झोली

किसानों का मानना है कि पिछले 5 साल में किसान काफी समृद्ध हुए हैं। 5 साल पहले धान की कीमत 1700 रुपए मिलती थी,जिसे भूपेश बघेल ने 2500 रुपए किया उसके बाद इस बार 2800 किया था। इसके बाद ही भाजपा ने 3100 देने का वादा किया। इसके अलावा 5 साल पहले जो ऋण माफी की थी इससे किसान काफी सुदृढ़ हुए थे। अधिकतर किसानों का यही मानना है कि कर्ज माफी से ज्यादा प्रभावशाली धान की कीमत बढ़ाना रहा, क्योंकि बढ़ी हुई कीमत हर साल मिलनी है,इससे किसानों को फायदा होगा जबकि समर्थन मूल्य हर साल 100 से 150 रुपए ही बढ़ता है। इस तरह किसानों को यही मानना है कि 5 साल में किसानों के लिए भूपेश बघेल ने बहुत कुछ किया था।

स्वामी आत्मानंद स्कूल भी रही उपलब्धि

गांव के किसानों, गरीबों के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दिलाने शुरू किए गए स्वामी आत्मानंद स्कूल भी भूपेश बघेल की बहुत बड़ी उपलब्धि रही है। इसके लिए भी लोग उन्हें हमेशा याद रखेंगे। इससे पहले सरकारी स्कूलों की हालत सभी जानते हैं अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बड़े लोगों के बच्चे ही पढ़ सकते हैं,इस अवधारणा को खत्म करते हुए गांव के गरीब बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में भर्ती करने की सोच केवल भूपेश बघेल ने ही बदली थी। वहीं इस बार अपने घोषणा पत्र में केजी से लेकर पीजी तक मुफ्त की शिक्षा देने वाले थे,यह भी एक बड़ी सौगात हो सकती थी। आगे अब सरकार बदल जाने के बाद क्या होगा इसको लेकर संशय बना हुआ है।

https://youtu.be/O3wuoaZ7mgM?si=FgEAiFBT_tBYhh7l

छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने किया काम

भूपेश बघेल का कार्यकाल इस मायने में भी यादगार रहेगा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाने व आगे बढ़ाने उन्होंने कई काम किए हैं। उन त्योहारों में भी छुट्टी जारी की थी जिसे बहुत महत्व नहीं दिया जाता था। वही छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलों को लोगों के जेहन में फिर से बिठाने लगातार विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही थी। छत्तीसगढ़ की त्योहारों को भी पारंपरिक तरीके से मनाने उन्होंने एक अभियान छेड़ दिया था।

भूपेश के कार्यों का बखान करते भरे पड़े हैं व्हाट्सएप ग्रुप

सोशल मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप में इन दोनों भाजपा की सरकार बनने को लेकर कई तरह के उत्साह जनक संदेश आ रहे हैं, वही भूपेश बघेल के कार्यों का बखान करते हुए भी कई संदेश प्रसारित हो रहे हैं। अमुमन इन संदेशों में यही बात कही जा रही है कि भूपेश बघेल ने किसानों, गांव, गरीब, युवाओं के लिए बहुत काम किया लेकिन इसका प्रतिफल उन्हें नहीं मिला।

छत्तीसगढ़ संस्कृति को बचाने लगातार प्रयासरत रहे लेकिन इसका भी फल उन्हें नहीं मिला। कई लोग तो यह भी कटाक्ष कर रहे हैं कि अब छत्तीसगढ़ के लोगों को छत्तीसगढ़िया राज नहीं चाहिए, कोई यह लिख रहे हैं कि किसानों को कर्ज माफी की जरूरत नहीं है, कोई कह रहा छत्तीसगढ़ के लोगों को बाहरी लोगों के रहमोकरम पर जीने की आदत नहीं गई,कोई कह रहा छत्तीसगढ़ के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम रास नहीं आ रहा।

 

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