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Chhattisgarh Talk Special News : 27 सितंबर को खुलेगा माता लिंगेश्वरी गुफा मंदिर का द्वार, श्रद्धालुओं को होंगे माता के दर्शन जानिये क्या हैं महत्व 

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Chhattisgarh Talk Special News : 27 सितंबर को खुलेगा माता लिंगेश्वरी गुफा मंदिर का द्वार, श्रद्धालुओं को होंगे माता के दर्शन जानिये क्या हैं महत्व

 

Chhattisgarh Talk Special News / रामकुमार भारद्वाज / कोंडागाँव फरसगांव न्यूज़ : छत्तीसगढ़ राज्य के कोंडागाँव जिले के विकासखंड मुख्यालय फरसगांव से बड़ेडोगर मार्ग पर 09 किमी की दूरी पर ग्राम आलोर स्थित है, आलोर से लिंगई माता का स्थान झांटीबंध पारा में उत्तर पश्चिम में 03 किमी की दूरी पर है । प्रति वर्ष भादो महिना की नवमी तिथि के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को इस अद्भुत गुफा का द्वार खुलता है। सेवा अर्जी के बाद उसके अंदर रेत में उभरे पगचिन्हों को देखकर पेनपुजारी द्वारा वर्ष भर की भविष्यवाणी की जाती है, तत्पश्चात श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ गुफा में प्रवेश दिया जाता है।

Chhattisgarh Talk Special News : दर्शनार्थी वहाँ खीरा लेकर जाते है उसे ही चढाया जाता है तत्पश्चात प्रसाद स्वरूप नाखून से फाड़कर उसे ग्रहण किया जाता है। लोग संतान की कामना लेकर बहुत दूर दूर से यहाँ आकर प्रातः 4:00बजे से कतार बद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करते है और उसी शाम 6:00 बजे गुफा में रेत बिछाकर द्वार बंद कर दिया जाता है । प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी एक दिवसीय लिंगई माता मंडई (लिंगेश्वरी माता मेला) का आयोजन बुधवार दिनांक 27 सितम्बर 2023 को किया जा रहा है।

मंदिर का साल में एक दिन खुलने का क्या है मान्यता–

Chhattisgarh Talk Special News : इस मेले के संबंध मे एक रोचक जनश्रुति है, एक बार एक कमार जाति का शिकारी शिकार की तलाश में झांटीबंध (आलोर का पारा) के जंगल में भटक रहा था, बहुत इधर उधर तलाशने के बाद उसे एक नन्हा खरगोश मिलता है । शिकारी अपने धनुष में बाण चढ़ाकर शिकार (खरगोश) के पीछे भागता है । पीछा करते करते सुबह से शाम हो जाता है शिकारी के हाथ कुछ नहीं आता, अंत में वह खरगोश एक सुरंग नुमा बिल में घुस जाता है।

Chhattisgarh Talk Special News : शिकारी उसे बाहर निकालने का उपाय करके भी थक जाता है तथा उस बिल को पत्तों से बंद कर (बुजना देकर) गाँव लौट आता है तथा अपने साथियों से पारद (शिकार) हेतु चलने का आग्रह करता है। शाम होने के कारण साथी लोग मना करते हैं तथा दूसरे दिन सुबह जाने की बात करते हैं। दूसरे दिन सुबह सारे लोग जाकर उस सुरंगनुमा गुफा में कुछ लोग घुस कर खरगोश की तलाश करते हैं किंतु वहाँ खरगोश नहीं मिलता।

Chhattisgarh Talk Special News : खरगोश के स्थान पर पत्थर से निर्मित लिंग की आकृति मिलती है, लोग निराश होकर वापस आ गये। रात में प्रमुख व्यक्ति को स्वपन आता है कि साल में एक बार मेरा सेवा अर्जी भाद्रपद नवमी के बाद आनें वाले बुधवार को करोगे तो मैं तुम्हारी मनौती को पूरा करूंगी।

Chhattisgarh Talk Special News : ये बात पूरी गांव में फैल गईं, लोगों ने अपनी अपनी मनौती मांगी, वे पूरी होने लगी तब से अब तक अनगिनत निसंतानों के गोद में किलकारी गूँज चूकी है। माता के डेरोठी (द्वार) में भक्त जन आकर अपनी अपनी मांग रखते हैं । अगले वर्ष जिनकी मन्नत पूरी होती है वे माँई के चरणों में धन्यवाद/सेवा पूजा अर्पण करते हैं । पहले ऐसे ही आयोजन होता था अब आयोजन समिति का गठन कर उसके मार्गदर्शन में मंडई का आयोजन किया जाता है

मंदिर पर दिखे पगचिन्हों से तय होता है साल भर का भविष्य–

Chhattisgarh Talk Special News : विदित हो की जब साल भर के बाद इस द्वार को खोल जाता है तो यहाँ भीतर के रेत पर यदि कमल फूल के निशान दिखाई दे तो धन संपत्ति वृद्धि, और हाथी पांव के निशान दिखे तो धन धान्य, यदि घोड़े के खुर के निशान मिले तो युद्ध और कला, बिल्ली के पैर के निशान मिले तो भय, बाघ के पैर के निशान मिले तो जंगली जानवरों का आतंक, और मुर्गी के पैर के निशान दिखाई दे तो अकाल का प्रतिक माना जाता है, यही से क्षेत्र का वार्षिक कलेंडर तय होता है |

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