छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ED की छापेमारी के बाद बढ़ी राजनीतिक उथल-पुथल

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (Chhattisgarh Talk)
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (Chhattisgarh Talk)

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ED की ताजा कार्रवाई पर कवासी लखमा और अरुण साव के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। जानें क्या है पूरा मामला, लखमा का आरोप और ED की जांच का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर।

रायपुर: छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार के दौरान कथित शराब घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई ताजा कार्रवाई ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को और अधिक गरमा दिया है। शुक्रवार को ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापेमारी की, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया है।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: कवासी लखमा का आरोप

ED की कार्रवाई के बाद शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कवासी लखमा ने इसे पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा, “मेरे घर की छापेमारी में ED को कुछ भी महत्वपूर्ण दस्तावेज या धनराशि नहीं मिली है। जो जमीन के कागजात मिले हैं, वे हमारे पूर्वजों की संपत्ति के हैं, और मैंने मंत्री बनने के बाद कोई नई संपत्ति नहीं खरीदी। यह छापा पूरी तरह से नगरीय निकाय चुनाव को प्रभावित करने और मुझे बदनाम करने की साजिश है।”

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कवासी लखमा ने यह भी दावा किया कि वह अनपढ़ हैं और जो कागज उनके पास आते थे, उन पर वह हस्ताक्षर कर देते थे। उन्होंने कहा, “मुझे इस शराब घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। एपी त्रिपाठी जो कागज लाते थे, उन पर मैं बिना समझे साइन कर देता था।” लखमा ने यह आरोप भी लगाया कि यह कार्रवाई उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, ताकि उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। -कवासी लखमा, पूर्व आबकारी मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: अरुण साव का जवाब

कवासी लखमा के आरोपों का जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने कहा, “ED की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह एक कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। यह कार्रवाई लम्बे समय से चल रही जांच का हिस्सा है।”अरुण साव ने यह भी कहा कि कवासी लखमा जिस समय आबकारी मंत्री थे, उस दौरान यह घोटाला हुआ था, और जांच के दौरान जो साक्ष्य मिले हैं, उनके आधार पर ही यह कार्रवाई की गई है।

अरुण साव ने आगे कहा, “कवासी लखमा के आरोप बेबुनियाद हैं। यदि लखमा ने किसी गलत तरीके से संपत्ति अर्जित की है तो वह जांच का विषय हो सकता है, लेकिन यह राजनीतिक खेल नहीं है। राज्य सरकार की नीति पारदर्शी है, और हम किसी प्रकार के घोटाले में शामिल नहीं हैं।”

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: क्या है पूरा मामला?

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है। बघेल सरकार के कार्यकाल में कथित रूप से 2000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है। आरोप हैं कि राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों ने शराब के कारोबार में अवैध रूप से भाग लिया और राज्य के खजाने को नुकसान पहुँचाया।

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इस मामले में ED और अन्य जांच एजेंसियां लगातार कार्रवाई कर रही हैं और अब तक कई नेताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। ED ने छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जब्त किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन दस्तावेजों का शराब घोटाले से क्या संबंध है।

ED सूत्रों के अनुसार, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का भी नाम इस घोटाले में शामिल किया गया है, हालांकि इस बारे में अभी तक कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इस मामले में एपी त्रिपाठी का नाम भी सामने आया है, जो वर्तमान में जेल में हैं। त्रिपाठी ने कथित रूप से शराब घोटाले के कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे, और उनके खिलाफ जांच चल रही है।

क्या आगे बढ़ेगी कार्रवाई?

ED की जांच अब तक कई मंत्री, अधिकारी और कर्मचारियों तक पहुंच चुकी है, और संभावना है कि यह जांच और व्यापक हो सकती है। जांच एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि इस मामले में और भी बड़े नाम शामिल हैं, जो शायद राज्य सरकार के उच्च स्तर पर जुड़े हो सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मामले का आगामी विधानसभा चुनावों पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि इस घोटाले में शामिल नेताओं और अधिकारियों का नाम राज्य की प्रमुख सत्ताधारी पार्टी के साथ जुड़ा हुआ है। इस जांच के दौरान सामने आने वाली कोई भी नई जानकारी कांग्रेस पार्टी के लिए राजनीतिक संकट उत्पन्न कर सकती है। वहीं, भाजपा और अन्य विपक्षी दल इस घोटाले को राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ा हथियार बना सकते हैं।

पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद, यह मामला अब और अधिक सियासी मोड़ लेता जा रहा है। विपक्षी दलों ने इसे बघेल सरकार के खिलाफ एक साजिश के रूप में देखा है, जबकि राज्य सरकार और ED इसे एक कानूनी कार्रवाई मानते हुए आगे बढ़ रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी नई जानकारियां सामने आ सकती हैं, जो छत्तीसगढ़ की राजनीति को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही, यह देखना होगा कि इस जांच के परिणाम राजनीतिक रूप से किस तरह से सामने आते हैं और छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनावों पर इसका क्या असर पड़ता है।

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